Politalks.News/Punjab. पंजाब (Punjab) के मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Maan) ने आज विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें केंद्र सरकार (Central government) पर केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन में संतुलन को बिगाड़ने की कोशिश करने का आरोप लगाया. साथ ही चंडीगढ़ (Chandigarh) को तुरंत पंजाब स्थानांतरित करने की मांग की गई. सदन में मुख्यमंत्री मान के प्रस्ताव के अनुसार सौहार्द बनाए रखने और लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए यह सदन एक बार फिर चंडीगढ़ को तत्काल पंजाब को हस्तांतरित करने के मामले को केंद्र सरकार के समक्ष उठाने की सिफारिश करता है.
‘चंडीगढ़ पर सिर्फ पंजाब का हक है’
सीएम भगवंत मान ने कहा कि ‘चंडीगढ़ पर सिर्फ पंजाब का हक है’. विधानसभा का यह एक दिवसीय विशेष सत्र तब आयोजित किया गया है. पंजाब सरकार चंडीगढ़ में लागू केंद्रीय सेवा नियमों के खिलाफ प्रस्ताव लाई है. मुख्यमंत्री भगवंत मान ने चंडीगढ़ में केंद्रीय सेवा नियम लागू किए जाने पर प्रस्ताव पेश किया. मुख्यमंत्री मान द्वारा यह कदम केंद्र और पंजाब के बीच केंद्र शासित प्रदेश को नियंत्रित करने के लिए चल रहे संघर्ष के बीच उठाया गया है. सियासी जानकारों की माने तो मान सरकार ने सीधा केन्द्र सरकार से पंगा ले लिया है. भगवंत मान ने चंडीगढ़ को अपने कंट्रोल में लेने के लिए बड़ा कदम उठाया है. आपको बता दें कि चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा दोनों की राजधानी है.
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केन्द्र द्वारा चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों के लिए सेवा नियमों में बदलाव पर बवाल
सियासी जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के दो सप्ताह बाद भगवंत मान ने चंडीगढ़ को अपने कंट्रोल में लेने के लिए बड़ा कदम उठाया है. आपको बता दें कि चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश होने के साथ-साथ पंजाब और पड़ोसी हरियाणा दोनों की ही राजधानी है. केंद्र सरकार चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों के लिए सेवा नियमों में बदलाव कर रही है. इससे केंद्र सरकार के अधिकारियों की तरह चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों को भी लाभ मिल रहा है.
केन्द्र सरकार कर रही संतुलन बिगाड़ने की कोशिश- मान
विधानसभा से पास अपने प्रस्ताव में भगवंत मान ने कहा है कि, ‘पंजाब पुनर्गठन अधिनियम-1966 के तहत पंजाब को हरियाणा राज्य में पुनर्गठित किया गया था. केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ और पंजाब के कुछ हिस्सों को तत्कालीन केंद्र शासित प्रदेश हिमाचल प्रदेश को दे दिया गया था’. मान ने कहा कि, ‘तब से पंजाब और हरियाणा राज्य के नामांकित व्यक्तियों को कुछ अनुपात में प्रबंधन पदों को देकर भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड जैसी सामान्य संपत्ति के प्रशासन में एक संतुलन का उल्लेख किया गया था. अपनी कई हालिया कार्रवाइयों के माध्यम से केंद्र सरकार इस संतुलन को बिगाड़ने की कोशिश कर रहा है’.
‘…अतीत में हुए समझौतों के खिलाफ’
मुख्यमंत्री मान ने कहा कि, ‘चंडीगढ़ प्रशासन हमेशा पंजाब और हरियाणा के अधिकारियों द्वारा 60:40 के अनुपात में प्रबंधित किया गया है. हालांकि, हाल ही में केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ में बाहरी अधिकारियों को तैनात किया है और चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों के लिए केंद्रीय सिविल सेवा नियम पेश किए हैं, जो कि पूरी तरह से अतीत में हुए समझौतों के खिलाफ है’.
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चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों को मिलेगा केन्द्रीय कर्मचारियों के समकक्ष लाभ
आपको बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पिछले हफ्ते घोषणा के बाद ताजा संघर्ष शुरू हुआ है. इसमें उन्होंने कहा गया था कि चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों को केंद्र सरकार में काम करने वाले उनके समकक्षों के समान लाभ मिलेगा’. इसके बाद राज्य में विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि, ‘इससे चंडीगढ़ पर पंजाब का दावा कमजोर हो जाएगा’. हाल के चुनाव में पंजाब में सत्ता में आई सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने दावा किया कि चुनाव नतीजों के बाद यह भाजपा की पैनिक प्रतिक्रिया थी. कांग्रेस और अकाली दल ने भी इस कदम का विरोध किया.
‘मजबूती से लड़ेगी पंजाब सरकार’
भगवंत ने पहले कहा था कि, ‘पंजाब सरकार चंडीगढ़ पर अपने सही दावे के लिए मजबूती से लड़ेगी’. वहीं अमित शाह ने कहा था कि, ‘चंडीगढ़ में कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष की जाएगी और महिला कर्मचारियों को वर्तमान एक वर्ष से दो वर्ष की चाइल्ड केयर लीव मिलेगी, ये लाभ चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों की लंबे समय से लंबित मांग थी. नए सेवा नियम मंगलवार को अधिसूचित किए गए’.
हरियाणा और पंजाब की संयुक्त राजधानी है चंडीगढ़
आपको बता दें कि चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश का दर्ज हासिल है. चंडीगढ़ पहले सिर्फ पंजाब की राजधानी हुआ करती थी. लेकिन 1966 में जब हरियाणा को अलग राज्य का दर्ज दिया गया तो चंडीगढ़ को हरियाणा और पंजाब की संयुक्त राजधानी बना दिया गया है. हरियाणा की ओर से भी चंडीगढ़ पर अपने हक को लेकर दावे किए जाते हैं.