कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल होने वाले माणिक साहा चौथे नेता जिन्हें भाजपा ने दिया CM पद का तोहफा

बिपल्ब देब के इस्तीफे के बाद पूर्व कांग्रेसी नेता माणिक साहा ने आज त्रिपुरा के नए मुख्यमंत्री के तौर पर ली शपथ, कांग्रेस छोड़कर 2016 में भाजपा में आए माणिक को चार साल बाद 2020 में बीजेपी ने बना दिया था प्रदेश पार्टी अध्यक्ष, इससे पहले असम, मणिपुर और नागालैंड में भी बीजेपी ने कांग्रेस से आए नेताओं को बनाया मुख्यमंत्री बनाया, ऐसे में कांग्रेस छोड़कर आए कई नेताओं की खुल गई किस्मत

माणिक साहा 2016 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में हुए थे शामिल
माणिक साहा 2016 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में हुए थे शामिल

Politalks.News/Tripura/CM. एक दिन पहले अचानक ही बिपल्ब देब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे दिए जाने के बाद आज पूर्व पूर्व कांग्रेसी नेता माणिक साहा ने आज त्रिपुरा के नए मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली है. ऐसे में साहा त्रिपुरा राज्य के 11वें मुख्यमंत्री बने हैं. राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने रविवार को चमचमाते दरबार हॉल में एक सादे समारोह में साहा (Manik Saha) को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी. बता दें अभी माणिक साहा ने अकेले ही शपथ ली क्योंकि मुख्यमंत्री के अचानक बदलने के बाद विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों के बीच बड़े पैमाने पर कथित असंतोष के कारण पार्टी ने अभी तक उनके कैबिनेट सदस्यों की सूची को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है. यहां आपको बता दें कि साहा कांग्रेस छोड़कर 2016 में भाजपा में शामिल हुए थे. भाजपा में आने के बाद माणिक को चार साल बाद 2020 में बीजेपी ने प्रदेश पार्टी अध्यक्ष बना दिया था.  

आपको बता दें, की इससे पहले माणिक साहा त्रिपुरा (Tripura) क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. यही नहीं साहा को हाल ही में राज्यसभा के लिए नामांकित किया गया था और अब उन्हें राज्य का नया सीएम बनाया गया है. माणिक साहा पेशे से डेंटिस्ट हैं और उनकी छवि बेहद साफ-सुथरी मानी जाती है. माणिक को भाजपा में किसी खेमे का नहीं माना जाता है. यहां सबसे बड़ी गौर करने वाली बात यह है कि मात्र 6 साल पहले कांग्रेस से बीजेपी में आए एक नेता को बीजेपी ने न सिर्फ 2 साल बाद ही प्रदेश अध्यक्ष बनाया बल्कि अब मुख्यमंत्री भी बना दिया. हालांकि इस तरह का बीजेपी की ओर से यह पहला प्रयोग नहीं है. इससे पहले असम, मणिपुर और नागालैंड में भी बीजेपी ने कांग्रेस से आए नेताओं को मुख्यमंत्री बनाया है. ऐसे में कांग्रेस छोड़कर आए कई नेताओं की किस्मत खुल गई.

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असम: हिमंत बिस्वा सरमा
हिमंत बिस्वा सरमा साल 2021 में असम के 15वें मुख्यमंत्री बने थे. बिस्वा को यह जिम्मेदारी सर्बानंद सोनोवाल की जगह दी गई थी. हिमंत 2015 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे. 2016 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में सरमा के जोरदार प्रचार को बीजेपी की जीत की एक वजह माना जा रहा था. हिमंत असम की जलुकबाड़ी विधानसभा सीट से लगातार पांचवीं बार विधायक चुने गए हैं. सोनोवाल की सरकार में हिमंत बिस्वा सरमा को कैबिनेट मंत्री बनाया गया था.

मणिपुर: एन बीरेन सिंह
एन बीरेन सिंह ने 2016 में कांग्रेस छोड़ दी और मणिपुर में 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले भाजपा में शामिल हो गए. 15 साल बाद राज्य में एक गैर-कांग्रेसी सरकार बनी और भाजपा ने एन बीरेन सिंह को सीएम बनाया. मणिपुर में बीरेन सिंह बीजेपी के पहले मुख्यमंत्री बने. बिरेन सिंह ने भाजपा और उसके सहयोगियों के 33 विधायकों के समर्थन से विधानसभा का फ्लोर टेस्ट जीतकर अपना दमखम दिखाया.

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नागालैंड: नेफ्यू रियो
नेफ्यू रियो नागालैंड के पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने लगातार तीन चुनाव जीते हैं. रियो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे. उन्होंने 2002 में कांग्रेस छोड़ दी थी. उन्होंने नागालैंड मुद्दे पर तत्कालीन सीएम एससी जमीर के साथ मतभेदों के कारण इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद रियो नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) में शामिल हो गए. यह स्थानीय राजनीतिक दलों और भाजपा से जुड़ा था. उनके नेतृत्व में डेमोक्रेटिक अलायंस ऑफ नागालैंड (DAN) का गठन किया गया था. इस गठबंधन ने 2003 में विधानसभा चुनाव जीता था. वहीं कांग्रेस को 10 साल बाद सत्ता से बाहर कर दिया गया और नेफ्यू रियो पहली बार नागालैंड के मुख्यमंत्री बने. 2008 में DAN गठबंधन ने राज्य में सरकार बनाई और रियो सीएम बने. नेफ्यू ने 1989 में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की और 2003-08, 2008-13 और 2013-14 के दौरान नागालैंड के मुख्यमंत्री रहे.

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