Politalks.News/Uttarpradesh. क्या ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के बीच ‘आभासी गठबंधन’ हो चुका है? क्यों अचानक दोनों ही दिग्गजों के निशाने पर आ गई है कांग्रेस? ममता बनर्जी के यूपीए और कांग्रेस (Congress) नेतृत्व पर सवाल उठाने के ठीक बाद अब समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी कांग्रेस पर जोरदार हमला किया है. साथ ही ममता बनर्जी के नेतृत्व वाले वैकल्पिक विपक्षी मोर्चे में शामिल होने के विकल्प को खुला रखा है. यूपी विधानसभा चुनाव (UttarPradesh Assembly Election) में भाजपा (BJP) को चुनौती देने के लिए एक मंच बनाने में व्यस्त अखिलेश यादव ने कहा कि, ‘यूपी में सत्तारूढ़ पार्टी का “सफाया” हो जाएगा, जैसा कि बंगाल चुनावों में ममता बनर्जी ने उनका सफाया कर दिया था’. सियासी गलियारों में चर्चा है कि ममता और अखिलेश साथ आ सकते हैं और कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं
कांग्रेस को चुनाव में मिलेंगी 0 सीटें- अखिलेश
अखिलेश यादव ने बुंदेलखंड के झांसी में संवाददाताओं से कहा कि, ‘मैं उनका स्वागत करता हूं. जिस तरह से उन्होंने बंगाल में भाजपा का सफाया किया… उत्तर प्रदेश के लोग भी उसी तरह भाजपा का सफाया कर देंगे’. जब मीडिया ने उनसे ममता के वैकल्पिक मोर्चे की बात की तो अखिलेश कहा कि, ‘जब सही समय आएगा तब हम इसके बारे में बात करेंगे’. पूर्व मुख्यमंत्री ने कांग्रेस को भी खारिज कर दिया और कहा, ‘जनता उन्हें वोट नहीं देगी और आगामी चुनावों में उन्हें 0 सीटें मिलेंगी’. अखिलेश यादव पहले भी कह चुके हैं कि, ‘उत्तर प्रदेश ने कांग्रेस को खारिज कर दिया है. दोनों दलों ने 2017 में एक साथ काम किया था लेकिन हमारा अनुभव अच्छा नहीं रहा’.
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‘पूर्वांचल एक्सप्रेस वे को बनाने में साढ़े चार साल क्यों लगे?’
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किए गए पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे को लेकर भी भाजपा पर निशाना साधा. यादव ने दावा किया कि, ‘भाजपा उनकी पार्टी द्वारा शुरू की गई परियोजनाओं का श्रेय ले रही है. अगर समाजवादी पार्टी 22 महीने में एक्सप्रेसवे बना सकती है तो बीजेपी को उसी काम को करने में 4.5 साल क्यों लगे? ऐसा इसलिए है क्योंकि वे यूपी में लोगों के कल्याण के लिए काम नहीं करना चाहते हैं’. अखिलेश यादव यूपी चुनाव से पहले राज्य के पूर्वी हिस्से में क्षेत्रीय दलों को आत्मसात कर एक “इंद्रधनुषीय” गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे हैं. इसके अलावा वह पश्चिमी यूपी में किसानों के वोटों पर भी निर्भर हैं.
कांग्रेस की बढ़ सकती है मुश्किलें, ममता-अखिलेश साथ आते हैं तो…!
सियासी गलियारों में चर्चा है कि अखिलेश यादव और तृणमूल कांग्रेस के बीच एक लिंक-अप की चर्चा दोनों दलों द्वारा कांग्रेस पर कटाक्ष किए जाने के बाद जोर पकड़ रही है. सियासी जानकार अंदाजा लगा रहे हैं कि कांग्रेस विपक्षी दल की भूमिका से भी हाथ धो सकती है. समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस ने बंगाल चुनावों में भी मैत्रीपूर्ण टिप्पणियों का आदान-प्रदान किया था, जब यादव ने कहा था कि, ‘उनकी पार्टी तृणमूल की ओर से प्रचार करेगी’. बंगाल में भाजपा को हराने के बाद से ममता बनर्जी, जोर-शोर से पार्टी का प्रसार करने में जुटी हैं. इस दौरान कई नेता कांग्रेस छोड़कर TMC में शामिल हो चुके हैं. उन्होंने इसी सप्ताह मुंबई में एनसीपी प्रमुख शरद पवार और महाराष्ट्र के मंत्री आदित्य ठाकरे से भी मुलाकात की थी, जो मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे हैं.
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अपने महाराष्ट्र दौरे के दौरान बनर्जी ने कांग्रेस नीत गठबंधन यूपीए को लेकर बड़ा बयान दिया था. ममता ने कहा था कि, ‘UPA क्या होता है? कोई यूपीए नहीं है’. इससे पहले पिछले महीने दिल्ली में ममता ने इस बात का उपहास उड़ाया कि हर बार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से क्यों मिलना चाहिए? अब अखिलेश यादव ने भी कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.