कर्नाटक और गोवा में मिली सफलता के बाद अब भारतीय जनता पार्टी का ऑपरेशन लोटस महाराष्ट्र में शुरू हो रहा है. अगर रांकपा अध्यक्ष शरद पवार और भाजपा नेताओं के दावों पर विश्वास करें तो कांग्रेस और एनसीपी के कई विधायक और नेता भाजपा में शामिल हो सकते हैं. रविवार को ही एनसीपी के प्रमुख शरद पवार ने दावा किया था कि राज्य की भाजपा सरकार उनकी पार्टी और कांग्रेस के नेताओं को तोड़ रही है और उन पर दबाव डाल रही है.
वहीं हाल ही में महाराष्ट्र के जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन ने दावा किया है कि कांग्रेस और एनसीपी के 50 से ज्यादा विधायक भाजपा के संपर्क में हैं और विधानसभा चुनाव से पहले वह पार्टी में शामिल होना चाहते हैं. महाजन का यह बयान ऐसे वक्त आया है, जब शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के कई नेता हाल ही में पार्टी छोड़ चुके हैं.
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मंगलवार को महाराष्ट्र कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के चार विधायकों जिनमें एनसीपी विधायक संदीप नाईक, कांग्रेस के कालिदास कोलंबकर, वैभव पच्छाद और शिवेंद्र राजे भोसले ने अपनी पार्टी से इस्तीफा दे दिया. माना जा रहा है कि चारों विधायक बीजेपी में शामिल होंगे. चारों विधायकों ने महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर हरिभाऊ बागाडे को अपना इस्तीफा सौंपा.
बता दें, पिछले हफ्ते ही मुंबई एनसीपी के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री सचिव अहिर एनसीपी का दामन छोड़ शिवसेना में शामिल हो गए थे. वहीं एनसीपी की महिला ईकाई की अध्यक्ष चित्रा वाघ ने भी एनसीपी से किनारा कर लिया था. एनसीपी की नेता चित्रा वाघ ने एक महीने पहले ही कहा था कि उनका एनसीपी में कोई भविष्य नहीं है और भाजपा में शामिल होना चाहती हैं, हालांकि वह शिवसेना में शामिल हुई हैं. इस पर शरद पवार ने आरोप लगाया था कि भाजपा सरकार कांग्रेस और एनसीपी को हराने के लिए उनके नेताओं के खिलाफ सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है.
गौरतलब है कि कर्नाटक और गोवा में भी ठीक ऐसा ही हुआ. कर्नाटक में कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली 434 दिन चली जेडीएस-कांग्रेस सरकार को गिराकर वहां बीजेपी की सरकार बन गयी और सत्ता की कमान संभाली बीएस येदियुरप्पा ने. गोवा में भी आॅपरेशन लोट्स के चलते कांग्रेस के 15 में से 10 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए. दो तिहाई से ज्यादा होने के चलते प्रदेश में दलबदल कानून भी नहीं लग सकता और बीजेपी ने यहां पूर्ण बहुमत की सरकार बना ली. गोवा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या विपक्ष में इतनी सी रह गयी कि वो किसी भी बात पर विरोध तक करने के काबिल न रहे.
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अगले दो महीनों बाद महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव होने हैं, लेकिन उससे पहले ही नेताओं का पाला बदलने का दौर शुरू हो गया है. महाराष्ट्र में बीजेपी के मनसूबों को इस बात से भांप सकते हैं कि हाल में महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार में जल संसाधन मंत्री और भाजपा के कद्दावर नेता गिरीश महाजन ने दावा किया कि राज्य में शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस के 50 से ज्यादा विधायक उनके संपर्क में हैं और सभी नेता विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल होना चाहते हैं. इससे पहले महाराष्ट्र में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने भी यह कहकर हलचल मचा दी थी कि आने वाले 8 से 10 दिनों के भीतर कई कांग्रेसी और एनसीपी के विधायक इस्तीफा दे देंगे.
बात करें कांग्रेस की तो महाराष्ट्र कांग्रेस को उस समय बड़ा झटका लगा जब लोकसभा चुनाव की वोटिंग से ऐन वक्त पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष राधाकृष्ण विखे पाटिल के बेटे सुजय विखे पाटिल बीजेपी में शामिल हो गए. भाजपा ने उन्हें अहमदनगर सीट से टिकट दिया और उन्हें जीत भी मिली. उसके बाद जून में उनके पिता राधाकृष्ण विखे पाटिल ने भी भाजपा का दामन थाम लिया और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें कैबिनेट मंत्री बना दिया. अब विधायक कालिदास कोलाम्बकर भी इस्तीफा दे चुके हैं, कोलाम्बकर मुंबई से सात बार विधायक रह चुके हैं.
वहीं दूसरी ओर, शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी को उसके नेता लगातार अलविदा कह रहे हैं. अकोला से विधायक वैभव पिचड ने शनिवार को घोषणा की थी कि वह सत्ताधारी भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं. एनसीपी की मुंबई इकाई के अध्यक्ष सचिन अहीर और एनसीपी की महाराष्ट्र महिला विंग की अध्यक्ष चित्रा वाघ पहले ही शिवसेना में शामिल हो चुके हैं.
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राधाकृष्ण विखे पाटिल और कालिदास कोलाम्बकर जैसे दिग्गज और सीनियर नेताओं का पार्टी छोड़ बीजेपी में शामिल होने से कांग्रेस और एनसीपी की नींव कमजोर होती जा रही है. बता दें, 288 सदस्यों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में फिलहाल बीजेपी के 135 और शिवसेना के 70 विधायक हैं. यहां दोनों की गठबंधन सरकार है और इसके मुखिया देवेंद्र फडणवीस हैं. एनसीपी और कांग्रेस के विधायकों की संख्या 60 के करीब है.