महाराजा हरि सिंह के पोते विक्रमादित्य सिंह ने छोड़ी कांग्रेस, बोले- पार्टी जमीनी हकीकत से बहुत दूर

जम्मू कश्मीर में कांग्रेस को बड़ा झटका, पूर्व महाराजा हरि सिंह के पोते और कर्ण सिंह के बेटे विक्रमादित्य ने दिया कांग्रेस से इस्तीफा, बोले- 'कश्मीर मुद्दे पर पार्टी से नहीं मिलते विचार', 2017 पीडीपी का दामन छोड़ कांग्रेस में हुए थे शामिल, भविष्य को लेकर लगाए जा रहे हैं कयास, क्या भाजपा के साथ नई पारी शुरू करेंगे विक्रमादित्य?

कांग्रेस जमीनी हकीकत से दूर- विक्रमादित्य
कांग्रेस जमीनी हकीकत से दूर- विक्रमादित्य

Politalks.News/Jammukashmir. फिल्म द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files) पर देशभर में बहस छिड़ी है. कुछ सियासी जानकार इसे जम्मू कश्मीर में चुनाव की आहट मान रहे हैं. इस बीच जम्मू कश्मीर में कांग्रेस (Congress) को तगड़ा झटका लगा है. वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. कर्ण सिंह (Senior Congress leader Dr. Karan Singh) के बेटे विक्रमादित्य सिंह (Vikramaditya Singh) ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. जम्मू-कश्मीर के कांग्रेस नेता और पूर्व एमएलसी विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि, ‘उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से अपना इस्तीफा राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप दिया है’. आपको बता दें कि विक्रमादित्य सिंह तत्कालीन जम्मू-कश्मीर रियासत के महाराजा हरि सिंह (Maharaja Hari Singh) के पोते हैं. विक्रमदित्य 2017 में पीडीपी से MLC थे लेकिन पीडीपी का साथ छोड़ वो कांग्रेस में आ गए थे. अब सियासी जानकारों का कहना है कि फिलहाल तो विक्रमादित्य ने भविष्य को लेकर पत्ते नहीं खोले हैं. लेकिन हो सकता है की वो भाजपा के साथ चुनाव में उतरें.

कांग्रेस जमीनी हकीकत से दूर- विक्रमादित्य
कांग्रेस नेता विक्रमादित्य ने ट्वीट कर इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा कि, ‘जम्मू-कश्मीर के साथ महत्वपूर्ण मुद्दों पर मेरी स्थिति जो राष्ट्रीय हितों को दर्शाती है, वह कांग्रेस के साथ मेल नहीं खाती है. पार्टी जमीनी हकीकत से अलग है’.

यह भी पढ़ें- अपने काम के लिए एक सदस्य BJP में भेजा- मायावती का अखिलेश पर सीधा वार, याद दिलाई 5 साल पुरानी बात

‘लोगों की भावनाओं और आकांक्षाओं को महसूस करने और समझने में विफल है कांग्रेस’
आज अपने बयान में विक्रमादित्य ने कहा कि, ‘कांग्रेस पार्टी जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों की भावनाओं और आकांक्षाओं को महसूस करने और समझने में विफल रही है. पार्टी जमीनी हकीकत से बेखबर है और न केवल जम्मू-कश्मीर में, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी उभरते परिदृश्यों को बनाए रखने के लिए आवश्यक संगठनात्मक और अन्य परिवर्तन करने में असमर्थ है’.

कांग्रेस पार्टी के रुख से मेल नहीं खा रहे थे विक्रमादित्य के विचार!
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि, ‘2018 में कांग्रेस में शामिल होने के बाद उन्होंने कई मुद्दों या घटनाओं के समर्थन में खुलकर अपने विचार व्यक्त किए हैं जो कांग्रेस पार्टी के रुख से मेल नहीं खाते हैं. इसमें शामिल है- पीओजेके में बालाकोट हवाई हमले, जम्मू-कश्मीर में ग्राम रक्षा समितियों (वीडीसी) का पुन: सशक्तिकरण, अनुच्छेद 370 और 35 ए को हटाना, लद्दाख यूटी का गठन, गुप्कर गठबंधन की निंदा और जम्मू-कश्मीर में परिसीमन प्रक्रिया/मसौदे के लिए समर्थन शामिल है’.

यह भी पढ़ें- चुनावी धांधली की बहस से बचने के लिए लाए कश्मीर फाइल्स- अखिलेश बोले नहीं जाऊंगा शपथ ग्रहण समारोह में

पीडीपी छोड़ थामा था कांग्रेस का दामन
साल 2017 में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के विधान परिषद के सदस्य विक्रमादित्य सिंह ने पार्टी और एमएलसी पद से इस्तीफा देने की घोषणा की थी. विक्रमादित्य के पीडीपी से इस्तीफे से जम्मू संभाग में पीडीपी को तगड़ा झटका लगा था. पीडीपी उस दौरान जम्मू संभाग में अपना जनाधार बढ़ाने में लगी हुई थी. विक्रमादित्य सिंह जम्मू संभाग को लेकर बेबाकी से अपनी बात रखते आए हैं.

पिछले कुछ दिनों से थे मुखर
आपको बता दें कि, ‘पिछले कुछ दिनों से विक्रमादित्य सिंह कश्मीरी पंडितों के पलायन और अन्य मुद्दों को लेकर मुखर नजर आए हैं. हाल ही में उन्होंने एक ट्वीट में कहा था कि कश्मीर में जो हुआ वह नरसंहार से कम नहीं था. उन्होंने लिखा था कि कश्मीर, डोडा, भद्रवाह और किश्तवाड़ के हिंदुओं को मारा गया और उन्हें अपनी मातृभूमि से निकाल दिया गया. मैं 1989 में श्रीनगर में था. उसके बाद मेरे परिवार को अपूरणीय क्षति हुई. सैकड़ों की जान चली गई’. बता दें कि हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ ने कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार को एक बार फिर चर्चा के केंद्र में ला दिया है.

Leave a Reply