मध्यप्रदेश का चुनावी घमासान, कांग्रेस में कमलनाथ तो बीजेपी में शिवराज के हाथ में ही होगी कमान

भाजपा कोर ग्रुप की सदस्यों की बैठक में बनी जातीय समीकरणों को साधने की रणनीति तो कांग्रेस में सात बार के विधायक डॉक्टर गोविंद सिंह बने नेता प्रतिपक्ष, कमलनाथ ने विधायक दल के नेता का पद इसी शर्त पर छोड़ा कि पार्टी उनके चेहरे पर ही लड़ेगी चुनाव, वहीं बीजेपी कोई बड़ा पिछड़ा नेता प्रदेश में नहीं खड़ा कर पाई इसलिए इस बार भी शिवराज के हाथों में ही कमान आई

मध्यप्रदेश का चुनावी घमासान
मध्यप्रदेश का चुनावी घमासान

Politalks. News/MadhyaPradesh/Election2023. लोकसभा चुनाव से पहले अगले साल देश के पांच राज्यों में होने वाले चुनावों के लिए सभी सियासी दलों ने कमर कस ली है. बात करें मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की तो यहां मिशन 2023 की तैयारियों में जुटे दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस में अपने अपने राजनीतिक एजेंडे तय कर लिए हैं. बीते सप्ताह हुए दो बड़े घटनाक्रमों ने इस बात पर मुहर भी लगा दी है. बीते सप्ताह दिल्ली में हुई भाजपा (BJP) कोर ग्रुप की सदस्यों की बैठक में जातीय समीकरणों को साधने की रणनीति बनी तो वहीं कांग्रेस में डॉक्टर गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने के बाद तय हो गया है कि पार्टी में अनुभवी नेताओं को वरीयता दी जाएगी. यहां यह भी लगभग तय हो गया है कि कांग्रेस (Congress) एक बार फिर कमलनाथ (Kamalnath) के चेहरे पर लड़ेगी और भाजपा की कमान शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) के हाथ में होगी. कांग्रेस के जानकार सूत्रों के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विधायक दल के नेता का पद इसी शर्त पर छोड़ा है कि पार्टी उनके चेहरे पर चुनाव लड़ेगी और कांग्रेस आलाकमान ने इसकी हरी झंडी दे दी है.

आपको बता दें कि देश की राजनीति के दोनों ही प्रमुख दल बीजेपी और कांग्रेस मिशन 2023 के साथ साथ मिशन 2024 की तैयारियों में भी जुट गए हैं. इसके लिए पार्टियों में जरुरी निर्णय को लेने का सिलसिला प्रारंभ हो गया है. मध्यप्रदेश में सत्तारूढ़ दल भाजपा में सत्ता और संगठन को गति देने के लिए बीते सप्ताह दिल्ली में हुई कोर ग्रुप की बैठक में पार्टी नेताओं ने आगामी रोड मैप तैयार किया. जिसमें खास तौर पर सत्ता और संगठन में जातीय समीकरणों को साधने की कवायद तेज हो गई है. बैठक में प्रदेश स्तर से लेकर स्थानीय स्तर तक कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच तालमेल बनाने पर जोर दिया गया.

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बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में भाजपा के रणनीतिकार राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष, सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा, केंद्रीय मंत्री राष्ट्रीय एवं प्रदेश के पदाधिकारियों के अलावा प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा मौजूद रहे. बैठक में स्पष्ट तौर पर 2023 के चुनाव को गंभीरता से लेने पर चर्चा हुई 2018 की तरह पार्टी की रणनीति और टिकट वितरण में कोई गलती ना हो. इसकी तैयारी अभी से करने को कहा गया. सूत्रों की मानें तो मंत्रियों के परफारमेंस रिपोर्ट पर भी चर्चा हुई जिससे आने वाले समय में जब भी मंत्रिमंडल का फेरबदल होगा उसमें कुछ लोगों को बाहर किया जाएगा और कुछ मंत्रियों के विभाग परिवर्तन किए जाएंगे.

इसके साथ ही पिछले कुछ समय से लगाई जा रही अटकलों पर भी विराम लग गया है कि भाजपा आलाकमान मध्यप्रदेश में नेतृत्व बदल सकता है. लेकिन अब उसकी संभावना खत्म हो गई है. पार्टी आलाकमान ने न सिर्फ शिवराज सिंह चौहान को बनाए रखा है, बल्कि सूत्रों की मानें तो इस बात के स्पष्ट संकेत भी दे दिए गए हैं कि पार्टी शिवराज की कमान में ही चुनाव लड़ेगी. इसका एक बड़ा कारण यह है कि पार्टी कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है. पिछले चुनाव में भी पार्टी उनके चेहरे पर लड़ी थी और 15 साल की एंटी इन्कम्बैंसी के बावजूद बराबरी की टक्कर दी थी. इसके अलावा एक कारण यह भी है कि शिवराज सिंह चौहान की जगह पार्टी कोई बड़ा पिछड़ा नेता प्रदेश में नहीं खड़ा कर पाई और किसी सवर्ण नेता के नाम पर पार्टी जोखिम नहीं लेगी. चौहान के बाद पार्टी के जितने भी नेता हैं, जैसे कैलाश विजयवर्गीय, नरोत्तम मिश्र, गोपाल भार्गव, विष्णु दत्त शर्मा सब अगड़ी जाति हैं.3

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वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी बड़ा फैसला लेते हुए सात बार के विधायक डॉक्टर गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया है. अब तक प्रदेश अध्यक्ष के साथ साथ नेता प्रतिपक्ष की कमान पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के पास ही थी और इसको लेकर चर्चा चलती रहती थी कि कोई एक पद कमलनाथ छोड़ें. कमलनाथ भी अपनी पद छोड़ने की इच्छा राष्ट्रीय नेतृत्व के सामने बहुत पहले जता चुके थे लेकिन जिस तरह से दावेदार सक्रिय थे, उसको लेकर फैसला लेना भी आसान नहीं था. लेकिन 2018 की तरह पार्टी नेताओं के बीच एकता बनाने और अनुभवी लोगों को प्राथमिकता देने की रणनीति पर कांग्रेसी एक बार फिर आगे बढ़ रही है. यही नहीं अब तक असंतुष्ट चल रहे अरुण यादव और डॉक्टर गोविंद सिंह को पार्टी ने सक्रिय कर लिया है पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह विंध्य क्षेत्र में पहले ही सक्रिय हो चुके हैं.

वहीं कमलनाथ के नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ने के साथ ही यह स्पष्ट संकेत भी मिल गया है कि पार्टी इस बार भी कमलनाथ के चेहरे पर ही चुनाव लड़ेगी. सूत्रों की मानें तो आलाकमान के इस फैसले पर दिग्विजय सिंह को भी इस पर आपत्ति नहीं है कि कांग्रेस कमलनाथ के नाम पर चुनाव लड़े. आपको बता दें कि पिछली बार भी संसाधन जुटाने से लेकर चुनाव लड़ाने तक का पूरा काम कमलनाथ ने ही किया था और इस बार वे ही चुनाव संभालेंगे. कुल मिलाकर प्रदेश में समय से पहले सत्ता संघर्ष तेज हो गया है और माना जा रहा है कि प्रदेश में 2023 का चुनाव दोनों ही दलों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है राजनीति के एजेंडे तय करते हुए दोनों ही दल मैदान में सक्रियता बढाएंगे.­ सबसे बड़ी बात प्रदेश में एक बार फिर बड़ा रोचक मुकाबला शिवराज सिंह चौहान और कमलनाथ के बीच ही होगा.

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