Politalks.News/Delhi. दिल्ली में इन दिनों सत्ताधारी पार्टी आप और केंद्र सरकार के बीच खींचतान चरम पर है. पहले दिल्ली की सरकार की नई आबकारी नीति को लेकर बीजेपी और आप आमने सामने हो गए तो वहीं अब दिल्ली में आयोजित हुए वन महोत्स्व को लेकर सियासत चरम पर है. दरअसल दिल्ली के असोला भाटी में रविवार को आयोजित वन महोत्सव समापन समारोह में पोस्टर लगाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया. विवाद इतना बढ़ा कि पहले से तय कार्यक्रम के बावजूद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत दिल्ली सरकार की ओर से कोई भी शामिल नहीं हुआ. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि वन महोत्सव कार्यक्रम में लगे पोस्टर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पोस्टर लगा हुआ था. यहीं नहीं आम आदमी पार्टी के नेताओं का आरोप है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पोस्टर को फाड़कर कर के वो पोस्टर लगाया गया है. इसे लेकर आम आदमी पार्टी ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
रविवार को दिल्ली सरकार की ओर से आयोजित वन महोत्सव कार्यक्रम में उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को बतौर मुख्य अतिथि बुलाया गया था. इस कार्यक्रम में दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आप संयोजक अरविंद केजरीवाल के भी आने का कार्यक्रम तय था लेकिन मंच पर लगे पोस्टर से केजरीवाल भड़क गए. दरअसल कार्यक्रम के लिए अरविंद केजरीवाल का पोस्टर लगा हुआ था लेकिन केजरीवाल के बैनर पोस्टर को हटाकर वहां पुलिस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बैनर पोस्टर लगा दिए. अब इसे लेकर प्रदेश की सियासत गरमा गई है. इस मुद्दे पर पत्रकारों से बात करते हुए पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि, ‘बीजेपी ने इस पूरे कार्यक्रम का राजनीतिकरण करके पुलिस के जरिए उसे हाईजैक कर लिया.’
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गोपाल राय ने कहा कि, ‘कार्यक्रम स्थल से अरविंद केजरीवाल के बैनर-पोस्टर हटाकर पुलिस ने प्रधानमंत्री के बैनर-पोस्टर लगा दिए. कार्यक्रम का राजनीतिकरण होने से हमने नहीं जाने का फैसला किया. वन महोत्सव दिल्ली सरकार का अभियान था और इसे 11 जुलाई को शुरू किया गया था, जिसका 24 जुलाई को असोला भाटी में समापन समारोह था. इसमें उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री दोनों को शामिल होना था. लेकिन समारोह स्थल पर रातोंरात दिल्ली पुलिस का इस्तेमाल कर कब्जा कर लिया गया.’ गोपाल राय ने कहा कि, ‘इस कार्यक्रम के द्वारा एलईडी टीवी के माध्यम से बच्चों को वीडियो और फोटो दिखाकर पौधरोपण के बारे में जागरूक करना था, लेकिन इस स्क्रीन पर भी प्रधानमंत्री का बैनर लगा दिया गया. इस बैनर को लगाकर प्रधानमंत्री कार्यालय क्या संदेश देना चाहता है, यह दिल्ली सरकार की समझ से परे है. केंद्र सरकार को अचानक से केजरीवाल सरकार से इतना डर क्यों लगा रहा है?’
वहीं इस मामले को लेकर आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि, ‘क्या देश के प्रधानमंत्री को ऐसा आचरण करना शोभा देता है? केजरीवाल सरकार के खिलाफ साजिश के तहत शृंखलाबद्ध घटनाक्रम को अंजाम दिया जा रहा है. अब तक 150 से ज्यादा फर्जी मुकदमे आप नेताओं पर दर्ज किए गए हैं. उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और मंत्री सत्येंद्र जैन पर भी मनगढ़ंत आरोप लगाए गए हैं. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के दिल्ली मॉडल से नरेंद्र मोदी भयभीत हैं, मगर उनसे केजरीवाल का मॉडल रुकने वाला नहीं है. इस प्रकार की हरकतों से केजरीवाल की लोकप्रियता और बढ़ेगी, लेकिन सभी को सोचना पड़ेगा कि कैसे आखिर एक राज्य सरकार काम कर पाएगी, जब देश के प्रधानमंत्री ही इस तरह से पीछे पड़े हैं.’
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आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि, ‘ये तो तानाशाही है, जैसे मध्य पूर्व के शासकों की तस्वीर हर दुकान और होटल में लगी होती है, ठीक वैसे ही अब लगता है कि जल्द ही हर जगह मोदी जी की तस्वीर लगाने के लिए क़ानून बनने वाला है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इतने निराश है कि ‘मैं हर मंच पर अपनी तस्वीर लगा दूं.’ ऐसा तो फिल्म राजा बाबू में होता था जहां करिश्मा कपूर को गोविन्दा कभी इंस्पेक्टर, कभी डॉक्टर तो कभी वकील की तस्वीर में नज़र आते हैं. मोदी जी को भी इसी तरह अपनी फोटो लगाने का शौक़ है. सवाल सीधा और साफ़ है कि क्या नरेंद्र मोदी जब गुजरात के CM थे तब वो क्या अपने कार्यक्रम में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की फोटो लगाते थे?’
वहीं दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह विधूड़ी ने कहा कि, ‘इस मामले में मुख्यमंत्री का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चित्र लगने पर कार्यक्रम का बहिष्कार करना दुर्भाग्यपूर्ण है. किसी भी सरकार का यह व्यवहार बहुत ही बचकाना है. यह व्यवहार प्रोटोकोल के अनुरूप भी नहीं है. दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है और नरेंद्र मोदी पूरे देश के प्रधानमंत्री हैं. राजनीतिक मतभेद अपनी जगह हैं. किसी भी राज्य के विकास में केंद्र और राज्य सरकारों में तालमेल और आपसी समझबूझ होना बहुत जरूरी है.’