जाने कब BJP की नीयत हो खराब और सरकार पर आ जाए संकट, इसलिए असेंबली रखी कंटिन्यू- गहलोत

बीजेपी पर निशाना साधते हुए बोले सीएम अशोक गहलोत- आज ये लोग विधानसभा अध्यक्ष के चेंबर में धरना दे रहे हैं लेकिन सबसे पहले इनसे पूछो कि ये नौबत क्यों आई? पिछली बार राज्यपाल को बीजेपी ने मजबूर कर दिया था कि वो विधानसभा का सत्र ना बुलाएं, लम्पी वायरस को राष्ट्रीय आपदा घोषित करवाने में साथ देने के बजाए यहां धरने के कर रहे हैं नाटक

'दिल्ली जाकर करो धरने का नाटक'
'दिल्ली जाकर करो धरने का नाटक'

Politalks.News/Rajasthan/Gehlot. राजस्थान की 15वीं विधानसभा के 7वें सत्र का दूसरा चरण सोमवार से शुरु हुआ, लेकिन विपक्ष के जोरदार हंगामे के चलते कुछ ही घण्टों बाद सदन के पहले दिन कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित करनी पड़ी. वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले विपक्ष पर जमकर निशाना तो साधा ही साथ में राज्यपाल कलराज मिश्र पर भी बीजेपी के इशारे पर काम करने का बड़ा आरोप लगाया. सबसे बड़ी बात देश की सियासत के जादूगर माने जाने वाले मुख्यमंत्री गहलोत ने सुबह तो राज्यपाल पर निशाना साधा और दोपहर होते होते खुद राजभवन पहुंच उनसे मुलाकात भी की. वहीं असेंबली कंटीन्यू रखने के जवाब में सीएम गहलोत ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि हमने जानबूझकर असेंबली को कंटिन्यू रखा क्योंकि पता नहीं इनकी नियत कब खराब हो जाए और फिर सरकार गिराने की कोशिश हो जाए.

राजस्थान विधानसभा में सोमवार को विधानसभा के बजट सत्र को खत्म ना करके उसे कंटिन्यू करने पर जमकर हंगामा हुआ. विपक्ष जहां प्रदेश सरकार पर हमलावर है तो वहीं सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पत्रकारों से बात करते हुए बीजेपी पर जमकर निशाना साधा. सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘हमने जानबूझकर असेंबली को कंटिन्यू रखा है. आज ये लोग विधानसभा अध्यक्ष के चेंबर में धरना दे रहे हैं लेकिन सबसे पहले इनसे पूछो कि ये नौबत क्यों आई? असेंबली लगातार रखी गई क्यों? मैं बार-बार कह रहा हूं कि बीजेपी ने जो नया मॉडल बनाया देश के अंदर सरकार गिराने का, ये लोकतंत्र में अच्छा नहीं है. हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और अब अन्य राज्यों पर उनकी नजरें हैं, ये अच्छी बात नहीं है. बीजेपी ने अपने आप में हॉर्स ट्रेडिंग का और सरकार गिराने का एक मॉडल देश में बना दिया है.’

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सीएम अशोक गहलोत ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान सियासी संकट की याद ताजा करते हुए कहा कि, ‘पिछली बार राज्यपाल को बीजेपी ने मजबूर कर दिया था कि वो विधानसभा का सत्र ना बुलाएं. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि कैबिनेट असेंबली बुलाने के लिए रिक्वेस्ट करती रहे और राज्यपाल मना कर दे. कैबिनेट की रिक्वेस्ट के बाद राज्यपाल को असेंबली बुलानी ही पड़ती है लेकिन उस वक्त उल्टा हुआ. राज्यपाल के खिलाफ इतने एडिटोरियल लिखे गए, जो आज तक कभी नहीं हुआ था, क्योंकि राज्यपाल को इशारा था. असेंबली बुलाने की रिक्वेस्ट हम कर रहे हैं, वो बुला नहीं रहे हैं. कई बार मेजोरिटी नहीं होती तो राज्यपाल सरकार को आदेश देता है कि आपको असेंबली बुलाकर अपना बहुमत साबित करना है. उस वक्त उल्टा हो रहा था. यहां तक कि उस मामले में हमारे विधायकों को धरना भी देना पड़ा था.’ बता दें कि राजस्थान में आए सियासी संकट के दौरान प्रदेश सरकार राज्यपाल से विधानसभा का विशेष सत्र आहूत करने की मांग कर रही थी लेकिन उन्हें इजाजत नहीं मिली थी. जिसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों ने राजभवन में धरना प्रदर्शन किया था.

वहीं बीजेपी पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि, ‘हमने जानबूझकर असेंबली को कंटिन्यू रखा क्योंकि पता नहीं इनकी नियत कब खराब हो जाए और फिर सरकार गिराने की कोशिश हो जाए. यह तो कभी भी सरकार गिरा सकते हैं. इसलिए नियमित विधानसभा का निर्णय लिया गया. इसका हमें भी नुकसान हुआ है. इसकी वजह से हम कोई अध्यादेश लाते, वह नहीं ला पाए.’ वहीं बीजेपी द्वारा धरना दिए जाने पर सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘आज बीजेपी विधायक धरना देकर नाटक कर रहे हैं, अरे धरना देकर नाटक करना है तो दिल्ली में दीजिए. मैंने तो लंपी स्किन रोग को लेकर 15 अगस्त को मीटिंग बुलाकर विपक्ष के नेताओं को बुलाया और सब से बात की, धर्मगुरुओं से बात की. हमारी प्रायोरिटी है कि लंपी स्किन रोग से गायों की जान कैसे बचे, लेकिन वैक्सीन तो भारत सरकार ही देगी और दवाइयां वो उपलब्ध करवाएगी. हम तो मांग भारत सरकार से कर रहे हैं कि आप राष्ट्रीय आपदा घोषित करो. उस मांग पर विपक्ष के नेता हमारा साथ दें, उसके बजाय ये यहां धरना दे रहे हैं, नाटक कर रहे हैं.’

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वहीं मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर लाए गए 8 चीतों का जिक्र करते हुए सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘ये प्रस्ताव तो यूपीए गवर्नमेंट का था, बहुत लंबा चला है. तत्कालीन मंत्री जयराम रमेश खुद गए थे अफ्रीका के अंदर, तब से प्रस्ताव चल रहा है कि चीते लाए जाएं. अच्छी बात है, 70 साल बाद चीते आए हैं तो उनका देश को स्वागत करना चाहिए. हम भी स्वागत कर रहे हैं. अभी कितना सरवाइव करेंगे, कितना नहीं करेंगे इसको लेकर एक्सपर्ट अपनी राय दे रहे हैं. हमेशा इंतजार करना चाहिए.’

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