Politalks.News/Bihar. इस साल के अंत में और अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही है. बेरोजगारी, बढ़ती महंगाई और अब खाद्य वस्तुओं पर केंद्र सरकार द्वारा लगाये गए GST के फैसले से पार्टी बैकफुट पर है. तो वहीं देश के कई राज्यों में सियासी खेला कर सरकार गिराने वाली बीजेपी को बिहार में मुँह की खानी पड़ी. यही नहीं सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीजेपी को और भी बड़े झटके देने के लिए आतुर बैठे हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बिहार से आने वाले NDA के एक और घटक दल पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के करीब 3 सांसद जदयू के संपर्क में है. लोकसभा में पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के 5 सांसद हैं ऐसे में अगर 3 सांसद जदयू के साथ चले जाते हैं ये बीजेपी के लिए बड़े झटके से कम नहीं होगा. वहीं बीजेपी और जदयू नेताओं के बीच वार पलटवार का दौर बदस्तूर जारी है.
बुधवार को बिहार की सियासत में हुए बड़े बदलाव के बाद से ही बीजेपी ने महागठबंधन और नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है. वहीं अब जदयू बीजेपी को एक और बड़ा झटका देने वाली है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के 3 सांसदों ने महागठबंधन के पाले में जाने की कर तैयारी ली है. जल्द ही पशुपति पारस के 5 सांसदो में से 3 सांसद लोजपा का दामन छोड़ सकते हैं. इन 3 सांसदों में खगड़िया के सांसद महबूब अली कैसर, वैशाली की सांसद बीणा देवी और नवादा सांसद चंदन सिंह शामिल हैं. इनमें से महबूब अली कैसर राजद के साथ और बीणा देवी व चंदन सिंह जदयू के साथ जा सकते हैं. हालांकि इन सांसदों के जाने से केंद्र की भाजपा सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन ये है कि सांसदों की टूट की वजह से पशुपति पारस से मंत्री पद छीना जा सकता है. साथ ही सांसदों के टूटने के बाद बीजेपी को मानसिक आघात तो जरूर लगेगा.
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वहीं JDU और बीजेपी नेताओं के बीच जबरदस्त जुबानी जंग जारी है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जहां बीजेपी पर उनका अपमान और धोखा देने का आरोप लगा रहे हैं तो वहीं अब सूबे के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं वर्तमान राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने नितीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. नीतीश के बयानों पर पलटवार करते हुए सुशील मोदी ने कहा कि, ‘नीतीश कुमार उप राष्ट्रपति बनना चाहते थे लेकिन जब उनका ये सपना पूरा नहीं हुआ तब उन्होंने भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया.’ सुशील मोदी ने आगे बीजेपी और जदयू के गठबंधन टूटने को तीन कारणों से स्पष्ट किया. सुशील मोदी ने बताया कि, नीतीश कुमार की महत्वकांक्षा, लालू परिवार की सत्ता की बेचैनी और ललन सिंह का केंद्र में मंत्री नहीं बन पाने की जलन के कारण नीतीश कुमार बीजेपी से अलग हो गए.’
सुशील मोदी ने आगे कहा कि, ‘यही वो तीन वजहें थे जिसकी वजह से नीतीश कुमार भाजपा से अलग हो गए. अब जब उन्हें कोई बहाना नहीं सुझ रहा है और मैंने नीतीश कुमार की महत्वकांक्षा की बात कह दी जिसके बाद JDU परेशान हो गई है. जान बूझकर मुझ पर बयान देकर जेडीयू राजनीति करना चाहती है लेकिन उसका कोई फायदा उन्हें नहीं मिलेगा.’ दरअसल नीतीश कुमार ने शुक्रवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि, ‘अगर सुशील कुमार मोदी यहां होते तो शायद कुछ नहीं होता. लेकिन बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया. उनके भेजे जाने से मैं बेहद नाराज था लेकिन अब जो हो गया उसे बदल तो नहीं सकते ना.’
पत्रकारों से बात करते हुए सुशील कुमार मोदी ने कहा कि, ‘लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में शानदार सफलता मिलेगी. अटल आडवाणी दौर को याद कर JDU जानबूझकर कर भ्रम फैलाना चाहती है लेकिन इसका फ़ायदा उन्हें नहीं मिलने वाला है. हर बात का एक दौर होता है. समय के अनुसार बातें भी बदलती है. ये बातें JDU क्यों कर रही है उनकी मंशा साफ है लेकिन इसका फायदा उन्हें नहीं मिलने वाला. तेजस्वी यादव डिफैक्टो मुख्यमंत्री हैं और बिहार में उन्हीं की सरकार है. सरकार में अब जो भी होगा वो लालू यादव और तेजस्वी यादव के अनुसार होगा. नीतीश कुमार सिर्फ मूकदर्शक बन कर देखने के सिवा कुछ नही कर पाएंगे.