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आंध्रप्रदेश में वाईआरएस कांग्रेस के मुखिया जगन मोहन रेड्डी ने जब से नए मुख्यमंत्री के तौर पर सत्ता प्रदेश की सत्ता संभाली है, पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू के लिए कुछ भी सही नहीं जा रहा है. पहले तो जगन रेड्डी ने प्रदेश के विधानसभा चुनावों में कुल 175 सीटों में से 151 पर ऐतिहासिक जीत दर्ज कर एन.चंद्रबाबू को सत्ता से बेदखल कर दिया. फिर लोकसभा की 25 में से 22 पर कब्जा कर अपनी एक तरफा बढ़ती ताकत का नजारा भी पेश कर दिया. अब इसी का नजराना चंद्रबाबू नायडू को दिया जा रहा है.

सत्ता में विदाई के साथ ही सबसे पहले तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू को मिल रही सहूलियतों के पर कटे. बाद में उनके परिवार के सदस्यों की सुरक्षा में कटौती की गई. उनके बेटे नारा लोकेश को मिली जेड श्रेणी सुरक्षा को भी हटा दिया गया. अब उनकी सुरक्षा को 5+5 से घटाकर 2+2 कर दिया गया है.

अब इसके बाद सरकार के कहने पर ही चंद्रबाबू नायडू की ‘प्रजा वेदिका’ बिल्डिंग को तोड़ा जा रहा है. यह उनका घर भी है जिसे नायडू ने अपने शासनकाल में पार्टी कार्यालय का दर्जा दे दिया था. वे यहां जनता के साथ-साथ अधिकारियों से रूबरू होते थे.

हालांकि बीते दिनों चंद्रबाबू नायडू ने जगनमोहन रेड्डी को चिट्ठी लिखकर ‘प्रजा वेदिका’ को नेता प्रतिपक्ष का सरकारी आवास घोषित करने की मांग की थी. लेकिन रेड्डी ने इसे अनसुना कर दिया. सरकार के अनुसार, इसका निर्माण नदी तट पर ‘ग्रीन’ नियमों के खिलाफ हुआ है जिसके चलते इसे तोड़ा जा रहा है. बता दें, इस बिल्डिंग को अमरावती कैपटल डेवलपमेंट ऑथोरिटी ने बनवाया था. इसकी लागत 5 करोड़ रुपये आयी है.

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बीते शनिवार को इस बिल्डिंग को सरकार ने अपने ​कब्जे में ले लिया था और गत रात से ‘प्रजा वेदिका’ पर बुलडोजर चलना शुरू हो गया है. जिस समय बिल्डिंग को तोड़ने का काम शुरू हुआ, उस वक्त चंद्रबाबू नायडू मौके पर मौजूद नहीं थे. वह परिवार के साथ लंबी छुट्टी पर थे. तेलुगू देशम पार्टी के नेताओं के विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए पुलिस की एक बड़ी टीम को भी परिसर के बाहर तैनात किया गया है.

हालांकि तेलुगू देशम पार्टी ने इसे बदले की कार्रवाई करार दिया है. विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री के प्रति कोई सद्भावना नहीं दिखाई. वहीं तेदेपा नेता और विधान परिषद के सदस्य अशोक बाबू ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों ने नायडू के निजी समानों को बाहर फेंक दिया. यहां तक की परिसर को कब्जे में लेने के निर्णय के बारे में पार्टी को सूचित तक नहीं किया गया.

दूसरी ओर, नगरपालिका मंत्री बोत्सा सत्यनारायण का कहना है कि नायडू के साथ उसी तरह का बर्ताव किया जाएगा, जिस तरह का बर्ताव जगन रेड्डी के साथ किया गया था, जब वह नेता प्रतिपक्ष थे.

सच्चाई कुछ भी हो लेकिन सच तो यह है कि सत्ता जाने का असली दुख क्या होता है, यह बात चंद्रबाबू नायडू को अच्छी तरह पता चल गया होगा. बताते चलें कि चंद्रबाबू को शायद ही आभास हो कि विधानसभा चुनाव में उनकी इतनी बुरी गत होने वाली है. अगर उन्हें इस बात की भनक तक होती तो लोकसभा चुनाव के बाद विपक्ष से मिलकर तीसरा धड़ा बनाने की पहल करने दिल्ली न पहुंचते.

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