राजनीति के झरोखे सेः कर्नाटक में जब 14 महीने में तीन सीएम बदले, येदियुरप्पा बने ढाई दिन के मुख्यमंत्री

कभी न भूलने वाला साल रहा था कर्नाटक की राजनीति में, राजनीति के चलते रात 12 बजे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया जा चुका है 2018 में, केवल 14 महीने सरकार को चला पाए एचडी कुमारास्वामी

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KarnatakaPolitics. कर्नाटक की राजनीति में साल 2018 कभी न भूलने वाला साल है. वो इसलिए की एक ओर जहां बीजेपी प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी होकर भी सरकार नहीं बना सकी. या दूसरे शब्दों में कहें तो बहुमत के लिए केवल 9 विधायक नहीं जुटा सकी, वहीं दूसरी ओर, प्रदेश में केवल 14 महीनों में तीन मुख्यमंत्री बने. कर्नाटक के दिग्गज येदियुरप्पा तो केवल ढाई दिन के सीएम बनकर रह गए. वहीं तीसरे नंबर पर रहने वाली पार्टी के सुप्रीमो एचडी कुमारास्वामी ने किंगमेकर बनते हुए सीएम पद की शपथ ग्रहण की. 2018 के चुनावों में कर्नाटक की सियासत और राजनीति नें इतने नाटकीय मोड लिए, उतने तो महराष्ट्र की राजनीति में भी नहीं हुए थे। गिरते-संभलते बीजेपी ने आखिर जोड़ तोड़ की राजनीति करते हुए अपनी सरकार बना ही ली.

यह चुनाव इसलिए भी खास है क्योंकि इस चुनाव में रात साढ़े 12 बजे अदालत का दरवाजा भी खटकटाया गया था और करीब साढ़े पांच बजे कोर्ट ने अपना फैसला भी सुनाया. आज राजनीति के झरोखे से कर्नाटक की भूली बिसरी यादें आपके साथ सांझा करेंगे…

बहुमत के लिए 9 विधायक नहीं जुटा सकी बीजेपी

2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनावों में 224 में से 222 सीटों पर चुनाव हुए थे. 104 सीटें जीतकर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी लेकिन सरकार बनाने के लिए उसे 9 और विधायकों की जरूरत थी. वहीं कांग्रेस ने 78 और जेडीएस ने 37 सीटों पर जीत दर्ज की. जब कांग्रेस ने देखा कि बीजेपी के पास सरकार बनाने के लिए जरूरी 113 वोट नहीं है तो वह जेडीएस के साथ सरकार बनाने का दावा करने लगी.

इसके बावजूद बड़े नाटकीय ढंग से राज्यपाल ने सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दे दिया. येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले लीएलेकिन बहुमत सिद्ध नहीं कर पाए और मात्र ढाई दिन के सीएम रहे. इसके बाद कांग्रेस और जेडीएस ने मिलकर सरकार बना ली. यह कसक येदियुरप्पा को खाए जा रही थी. इसके बाद येदियुरप्पा ने ऐसी चाल चली कि 14 महीने में ही गठबंधन की सरकार गिर गई और येदियुरप्पा फिर से सीएम बन गए.

बीजेपी की ओर से हुई ट्वीट पाॅलिटिक्स

15 मई, 2018 की बात है. सुबह 8 बजे से कर्नाटक विधानसभा के नतीजे आने शुरू हो गए. दोपहर तक कर्नाटक की कुल 222 सीटों में बीजेपी 100 से ज्यादा सीटें जीतती दिखाई दी. कांग्रेस की सिद्धारम्मैया सरकार का जाना तय हो गया था. वहीं येदियुरप्पा कर्नाटक के सबसे बड़े नेता के तौर पर उभरे. शाम तक जब सभी सीटों का रिजल्ट आया तो 104 सीटें जीतकर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी तो बनी, लेकिन बहुमत से 8 सीटें दूर रह गई. यहीं से कर्नाटक की सियासत का असल खेल शुरू हुआ.

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16 मई की रात 75ः6 बजे बीजेपी विधायक सुरेश कुमार ट्वीट करते हैं. ट्वीट में लिखते हैं कि राज्यपाल ने बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिया है. इसी के साथ कर्नाटक का सियासी नाटक शुरू हो गया. रात 8 बजे खबर आती है कि येदियुरप्पा 17 मई की सुबह ही शपथ लेंगे. साथ ही राज्यपाल ने उन्हें बहुमत सिद्ध करने के लिए 15 दिन का समय दिया है.

8:31 बजे कर्नाटक बीजेपी ट्वीट कर कहती हैं. वो पल आ गया जिसका करोड़ों कन्नड़िगा को इंतजार था. येदियुरप्पा राजभवन में कल सुबह 9:30 बजे कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. हमारा सोने का कर्नाटक बनाने का आंदोलन शुरू हो गया है. यहां पर भी एक ट्विस्ट आता है. कर्नाटक बीजेपी अपना ट्वीट डिलीट कर देती है. रात 9 बजे राज्यपाल का येदियुरप्पा को सरकार बनाने वाला औपचारिक पत्र मीडिया में आता है. इसके बाद कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं. वह कहते हैं.

रात 12 बजे खुला सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

गवर्नर का जो पत्र मीडिया में सर्कुलेट हो रहा है, उसमें यह साफ दिख रहा है कि गवर्नर को भी लग रहा है कि येदियुरप्पा के पास बहुमत नहीं है. 16 मई को रात 10:35 बजे कांग्रेस राज्यपाल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचती है और इमरजेंसी सुनवाई की मांग की. 11:40 बजे कांग्रेस और JDS ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई.

रात 12:30 बजे याचिका स्वीकार होने के बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ रजिस्ट्रार चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के घर पर पहुंचे. 12:45 बजे CJI ने तीन जजों जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच बनाई. रात 2 बजे सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने सुनवाई शुरू की. तीन घंटे से ज्यादा देर तक चली सुनवाई के बाद तड़के 5:25 बजे सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले पर रोक लगाने से मना कर दिया. BJP ने इसे अपनी जीत माना.

17 मई की सुबह 9 बजे येदियुरप्पा ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. हालांकि अभी भी बहुमत के लिए 8 विधायकों को जुटाया नहीं जा सका था, लेकिन 15 दिन का समय होने के चलते BJP को लग रहा था कि इन्हें जुटाना बड़ी चुनौती नहीं होगी. दूसरी तरफ कांग्रेस और JDS ने भी अपने विधायकों को एकजुट करके रखा था. यानी टूट की कोई गुंजाइश दिखाई नहीं दे रही थी. सुप्रीम कोर्ट से झटका खाई कांग्रेस ने बहुमत के लिए 15 दिन देने के राज्यपाल के फैसले को चुनौती दी.

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18 मई को सुप्रीम कोर्ट ने येदियुरप्पा को 15 दिन के बजाय 19 मई को 4 बजे बहुमत सिद्ध करने का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब BJP पर दबाव था और कांग्रेस फ्रंटफुट पर खेल रही थी. 18 मई को ही रात में कांग्रेस और JDS राज्यपाल द्वारा केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गईं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम 19 मई को सुबह इस मामले की सुनवाई करेंगे.

येदियुरप्पा सिर्फ ढाई दिन के CM बन सके

इसी बीच 19 मई को सुबह-सुबह खबर फैली कि BJP ने बहुमत पाने के लिए विधायकों का समर्थन जुटा लिया है. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस की याचिका पर कहा कि बोपैया ही प्रोटेम स्पीकर होंगे. हालांकि, कोर्ट ने कांग्रेस की मांग पर मत विभाजन का लाइव टेलिकास्ट करने का निर्देश दिया. अब येदियुरप्पा पर सबकी निगाहें थीं. येदियुरप्पा अपने विधायकों के साथ शाम 4 बजे विधानसभा पहुंचे. हालांकि, अब तक तस्वीर एकदम साफ हो चुकी थी कि BJP के पास बहुमत नहीं है.

विधानसभा से लाइव टेलीकास्ट हो रहा था. मुख्यमंत्री येदियुरप्पा विधानसभा और कर्नाटक की जनता को संबोधित करने के लिए खड़े हुए. इस दौरान येदियुरप्पा इमोशनल स्पीच देते हैं और अंत में कहते हैं, ‘मैं मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देता हूं. मैं कर्नाटक के लोगों को धन्यवाद देता हूं.’ इस तरह येदियुरप्पा सिर्फ ढाई दिन के CM बन सके.

कांग्रेस और JDS ने राजनीतिक दुश्मनी को भुलाकर सरकार बनाने का ऐलान किया. बातचीत के बाद तय हुआ कि 37 सीटें जीतने वाली JDS के एचडी कुमारस्वामी ही 5 साल तक मुख्यमंत्री होंगे. 23 मई को JDS के एचडी कुमारस्वामी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

हालांकि ड्रामा अभी खत्म नहीं हुआ था. कांग्रेस-JDS गठबंधन को पहला झटका जुलाई 2018 यानी एक महीने के अंदर ही लगा. इस दौरान नाराज विधायकों ने नए मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने पर BJP के साथ जाने की बात कही. हालांकि, कुमारस्वामी ने मंत्रिमंडल का विस्तार कर इस मुद्दे को सुलझा लिया. इस बीच कांग्रेस के दो विधायक गठबंधन सरकार के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बोलने लगे. सरकार बचाए रखने के लिए कांग्रेस नेतृत्व ने अपने ही विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला किया और उन्हें नोटिस भेजा.

जेडीएस के 13 विधायकों के इस्तीफे ने पलटा घटनाक्रम

कर्नाटक का सियासी ड्रामा फरवरी 2019 में तब चरम पर पहुंच गया जब कांग्रेस के सात विधायक और JDS के एक विधायक ने विधानसभा सत्र में भाग नहीं लिया. कांग्रेस ने BJP पर इन विधायकों का अपहरण करने का आरोप लगाया. साथ ही विपक्षी दल BJP पर विधायकों को अपने पाले में करने के लिए 30 से 40 करोड़ रुपए की रिश्वत देने का आरोप लगाया गया. कुछ दिनों बाद ही विधायक वापस आ गए. बताया गया कि ये विधायक मुंबई के एक होटल में रुके हुए थे.

मई 2019 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-JDS गठबंधन की कर्नाटक में बुरी हार होती है. BJP कर्नाटक की कुल 28 सीटों में से 25 पर जीत दर्ज करती है. वहीं कांग्रेस और JDS को सिर्फ एक-एक सीट से संतोष करना पड़ता है. एक सीट निर्दलीय ने जीती.

1 जुलाई को बड़ा घटनाक्रम सामने आता है. कर्नाटक के विजयनगर से कांग्रेस विधायक आनंद सिंह और गोकक विधायक रमेश जारकीहोली इस्तीफा दे देते हैं. रमेश को पहले ही कांग्रेस ने पार्टी विरोधी गतिविधि के चलते निलंबित कर दिया था. एक हफ्ते के ही अंदर कांग्रेस और JDS के 12 और विधायकों ने इस्तीफा दे दिया.

इन विधायकों ने राज्यपाल वजुभाई वाला से भी मुलाकात की और उन्हें अपने इस्तीफे के बारे में जानकारी दी. इसके बाद ये सभी विधायक चार्टर्ड प्लेन से मुंबई के फाइव स्टार होटल में पहुंच गए. बताया जाता है कि ये विधायक जिस चार्टर्ड प्लेन से मुंबई गए वो BJP के एक राज्यसभा सांसद का था. इस दौरान कांग्रेस और JDS अपने बागी विधायकों को मनाने का भरसक प्रयास करती हैं. अब एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली कांग्रेस और JDS सरकार के लिए करो या मरो वाली जैसी स्थिति हो गई थी.

भरभरा कर गिर गई कुमारास्वामी की सरकार

कुमारस्वामी सरकार अंतिम पैंतरा आजमाती है और बागियों को मंत्री बनाने का लालच देती है. साथ ही कांग्रेस के सभी 21 विधायक 8 जुलाई को इस्तीफा दे देते हैं. इसके बाद भी जब बागी विधायक नहीं माने तो कांग्रेस ने स्पीकर से इन सभी के खिलाफ दल बदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई की मांग की. साथ ही इन विधायकों को अयोग्य ठहराने की भी मांग की. 9 जुलाई को कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर केआर रमेश कुमार ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया. रमेश कुमार कहते हैं कि आठ इस्तीफे क्रम में नहीं हैं. उन्होंने कहा कि अगर विधायक इस्तीफा देना चाहते हैं तो इसे प्रॉपर ऑर्डर में दें.

इसी बीच 2 और विधायक मुंबई पहुंच गए. 10 जुलाई को मुंबई में उस वक्त हाईलेवल ड्रामा देखने को मिलता है, जब कांग्रेस के ट्रबलशूटर डीके शिवकुमार बागी विधायकों से मिलने मुंबई पहुंच जाते हैं. इसके बाद बागी विधायक मुंबई पुलिस को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग करते हैं और डीके शिवकुमार को मिलने से रोकने के लिए कहते हैं. इसके बाद मुंबई पुलिस ने डीके शिवकुमार को होटल में जाने नहीं दिया. कांग्रेस-JDS के जिन विधायकों ने इस्तीफा दिया था अब वे स्पीकर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाते हैं. 11 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई 17 जुलाई को करने पर सहमत हो गया. इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक मामले की सुनवाई हो न जाए तब तक स्पीकर विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही नहीं करें.

इसी बीच आश्चर्यजनक रूप से कुमारस्वामी ने घोषणा की कि वह सदन में विश्वास मत हासिल करेंगे. इसके बाद BJP के साथ ही कांग्रेस और JDS ने अपने-अपने विधायकों को रिसॉर्ट में शिफ्ट कर दिया. 15 जुलाई को स्पीकर ने सदन को 18 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों के इस्तीफे और अयोग्यता याचिकाओं पर यथास्थिति का आदेश दिया था. 17 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि फ्लोर टेस्ट में शामिल होने के लिए बागी विधायकों को बाध्य नहीं किया जा सकता.

कोर्ट ने स्पीकर को किसी भी समय सीमा के भीतर इन बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लेने की भी छूट दे दी. 18 जुलाई को कर्नाटक विधानसभा का सत्र शुरू हुआ. विधानसभा में कुमारस्वामी ने कहा कि वह बहुमत को लेकर आश्वस्त हैं. साथ ही लंबा भाषण देने के बाद वह कहते हैं, ‘मैं सदन में बहुमत साबित करूंगा.’

राज्यपाल ने स्पीकर को एक संदेश भेजकर विश्वास मत को दिन के अंत तक पूरा कराने का संदेश भेजा, लेकिन फ्लोर टेस्ट नहीं हुआ. इसके बाद राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर 19 जुलाई को दोपहर 1:30 बजे तक बहुमत साबित करने का निर्देश दिया.

इसके बाद फ्लोर टेस्ट के बिना सदन स्थगित हो गई और विरोध में ‌BJP के विधायक विधानसभा में ही सो गए. 19 जुलाई को राज्यपाल की ओर से विश्वास मत के लिए डेडलाइन तय करने पर मुख्यमंत्री कुमारस्वामी सवाल उठाते हैं. इसके बाद राज्यपाल दूसरा पत्र लिखकर मुख्यमंत्री से दिन के अंत तक बहुमत साबित करने के लिए कहते हैं. हंगामे के बीच विधानसभा सोमवार तक के लिए स्थगित हो जाती है. मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सदन को विश्वास दिलाते हैं कि 22 जुलाई को विश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होगी.

BJP ने इस बीच विधानसभा में फ्लोर टेस्ट में देरी होने को लेकर हंगामा किया. इसके बाद आधी रात के करीब विधानसभा को स्थगित कर दिया गया. 23 जुलाई 2018 को आखिर वो दिन आ ही गया. कर्नाटक विधानसभा में कुमारस्वामी सरकार का बहुमत परीक्षण हुआ. सदन की कार्यवाही के दौरान 20 विधायक विधानसभा में मौजूद नहीं थे. इनमें 15 कांग्रेस और बाकी JDS के बागी विधायक थे. कांग्रेस-JDS गठबंधन को 99 वोट मिले, जबकि BJP को 105 वोट मिले. करीब 14 महीने बाद कांग्रेस-JDS सरकार 6 वोट कम होने से गिर गई. इसी के साथ विधानसभा में 4 दिन तक चले ड्रामे का अंत हुआ. इसके बाद 26 जुलाई 2019 को येदियुरप्पा ने चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. वहीं जिन बागी विधायकों ने इस्तीफा दिया था, वो बाद में BJP में शामिल हो गए.

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