केंद्र की मानी बात तो प्यासी रह जाएगी 13 जिलों के किसानों की भूमि- गजेंद्र के बयान पर गहलोत’वार’

जलशक्ति मंत्रालय मार्गदर्शन में बनी इस DPR पर जलशक्ति मंत्री द्वारा सवाल उठाने का कोई औचित्य नहीं आता समझ, केन्द्रीय मंत्री द्वारा प्रस्तावित मापदण्ड परिवर्तन से पूर्वी राजस्थान के किसानों को सिंचाई का पानी नहीं हो पाएगा उपलब्ध, गुरूवार को हुई सांसदों की बैठक से 8 भाजपा सांसदों का अनुपस्थित रहना दर्शाता है कि भाजपा के सांसद ERCP और जल जीवन मिशन को लेकर हैं कितने गंभीर- गहलोत

गजेंद्र के बयान पर गहलोत'वार'
गजेंद्र के बयान पर गहलोत'वार'

Politalks.News/AshokGehlot/Rajasthan. राजस्थान में ईस्टर्न राजस्थान परियोजना को लेकर सियासत लगातार जारी है. एक तरफ जहां केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के बयान ‘राजस्थान सरकार केंद्र सरकार के नियमों के अनुसार DPR बनाकर जल्द से जल्द मुझे भेजें मैं एक महीने के भीतर इस प्रोजेक्ट का निस्तारण करवा दूंगा’ पर अब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पलटवार किया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक प्रेसनोट जारी करते हुए कहा कि, ‘केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह अपने मंत्रालय में सलाहकार श्रीराम वेदिरे के मार्गदर्शन में बनी DPR पर ही सवाल उठा रहे हैं जिसका मुझे औचित्य समझ नहीं आता. अगर केंद्र की बात मानी तो पूर्वी राजस्थान का हाल बुन्देलखण्ड जैसा हो जाएगा और 13 जिलों के किसानों की भूमि प्यासी रह जाएगी.’ 

28 अप्रैल को जयपुर के 5 स्टार होटल में हुई जल जीवन मिशन की बैठक में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा था कि, ‘प्रदेश सरकार ने ईआरसीपी को लेकर जो प्रोजेक्ट तैयार किया है, उसकी डीपीआर तक पास नहीं हो पाई है और प्रोजेक्ट भी नियमों के तहत नहीं है. ऐसे में केंद्र सरकार उसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा कैसे दे?.’ अब केंद्रीय मंत्री के बयान पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पलटवार किया है. सीएम गहलोत ने एक प्रेसनोट जारी करते हुए कहा कि, ‘पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) को राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित करने में कोई अड़चन नहीं है. पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की DPR को तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा ही वर्ष 2017 में केन्द्र सरकार के उपक्रम वेप्कोस लिमिटेड के माध्यम से तैयार करवाया गया था. वेप्कोस लिमिटेड जल सम्बधी परियोजनाओं के क्षेत्र की एक जानीमानी अंतरर्राष्ट्रीय कन्सलटेन्सी संस्था है.’

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आगे कहा कि, ‘ERCP परियोजना की डी.पी.आर उस समय राजस्थान रिवर बेसिन ऑथिरिटी के चैयरमेन श्रीराम वेदिरे की देखरेख में बनाई गयी थी और वर्तमान में श्री श्रीराम वेदिरे केन्द्रीय जलशक्ति मंत्रालय में सलाहकार भी है. उनके मंत्रालय के सलाहकार के मार्गदर्शन में बनी इस DPR पर जलशक्ति मंत्री द्वारा सवाल उठाने का कोई औचित्य समझ नहीं आता है.’ सीएम गहलोत ने आगे कहा कि, ‘इस परियोजना से संबधित सभी मापदंड केन्द्रीय जल आयोग की गाइडलाइंस के अनुरूप ही रखे गये थे. केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री द्वारा प्रस्तावित मापदण्ड परिवर्तन से पूर्वी राजस्थान के किसानों को सिंचाई का पानी उपलब्ध नहीं हो पाएगा.’

केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘पूर्वी राजस्थान में 2 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में मिलने वाली सिंचाई सुविधा से किसानों को वंचित नहीं किया जा सकता है. अगर केन्द्र सरकार की बात मानी तो पूर्वी राजस्थान का हाल बुन्देलखण्ड जैसा हो जाएगा और 13 जिलों के किसानों की भूमि प्यासी रह जाएगी. राजस्थान एक मरुस्थलीय प्रदेश है जहां बारिश भी कम होती है एवं एक भी बारहमासी नदी नहीं है. ऐसे में राजस्थान की तुलना किसी दूसरे राज्य से करना न्यायोचित नहीं है.’

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वहीं शुक्रवार को हुई जल जीवन मिशन की बैठक का जिक्र करते हुए सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘जलशक्ति मंत्री ने मध्यप्रदेश के आपत्ति के संबंध में भी बैठक उपरांत टिप्पणी की है. इस संबंध में तथ्य है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान इंटरस्टेट कंट्रोल बोर्ड जिसके अध्यक्ष बारी-बारी से 1-1 वर्ष के लिए दोनों प्रदेश के मुख्यमंत्री होते हैं. 2005 में इस बोर्ड की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि राज्य किसी परियोजना के लिए अपने राज्य के कैचमेंट क्षेत्र से प्राप्त पानी और दूसरे राज्यों के कैचमेंट से प्राप्त पानी का 10% उपयोग में ले सकते हैं. इस निर्णय के अनुसार ही ERCP की DPR तैयार की गई थी. संभवत: राजनीतिक कारणों से ही जलशक्ति मंत्री इसका विरोध कर रहे हैं क्योंकि विरोध का कोई तकनीकी कारण तो नहीं है.’

सीएम गहलोत ने आगे कहा कि, ‘केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने गुरूवार 28 अप्रैल, 2022 को जयपुर में जल जीवन मिशन के लिए बैठक बुलाई, जिसमें प्रदेश के सभी सांसदों को बुलाया गया था. मैंने इस बैठक से पूर्व सभी सांसदों से अपील की थी कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) के 13 जिलों के 10 सांसदों की ओर जनता आशा भरी नजरों से देख रही है. प्रधानमंत्री द्वारा स्वयं इसे राष्ट्रीय महत्व की परियोजना का दर्जा देने का आश्वासन अजमेर व जयपुर में दो बार दिया था. इसके बावजूद 13 जिलों की इस जीवनदायिनी परियोजना को अभी तक राष्ट्रीय परियोजना नहीं बनाया गया. इस पूर्व निर्धारित बैठक में भी 8 भाजपा सांसदों का अनुपस्थित रहना दर्शाता है कि भाजपा के सांसद ERCP और जल जीवन मिशन को लेकर कितने गंभीर हैं.

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प्रदेश सरकार द्वारा इस परियोजना के लिए जारी की गई राशि का जिक्र करते हुए सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘राजस्थान राज्य के लिए यह परियोजना अति महत्वपूर्ण है. जिससे राज्य के 13 जिलों में पेयजल, सिंचाई, उद्योगों हेतु जल की आवश्यकताओं की पूर्ति होगी. इसके महत्व को देखते हुए राज्य सरकार इसकी क्रियान्विति हेतु कटिबद्ध है. परियोजना के नवनेरा बैराज एवं ईसरदा बांध पर हमारी राज्य सरकार द्वारा लगभग 1000 करोड़ रूपये खर्च भी किये जा चुके हैं एवं इस वर्ष बजट में 9600 करोड़ की लागत से नवनेरा-गलवा-बीसलपुर-ईसरदा लिंक योजना, रामगढ़ एवं महलपुर बैराज के कार्य आरम्भ करने की घोषणा की गई, जो कि राज्य की वित्तीय स्थिति को देखते हुए एक बड़ा कमिटमेन्ट है. राज्य को पूर्ण आशा है कि भारत सरकार इसमें सकारात्मक सोच के साथ राज्य सरकार को वित्तीय संसाधन उपलब्ध करवायेगी जिससे इस परियोजना का कार्य समयबद्ध तरीके से पूर्ण किया जा सके.

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