गारंटी लेता हूं कि मेरा बाप था मुसलमान, लेकिन मां की नहीं कोई गारंटी- मुन्नवर राणा का बड़ा बयान

पसमांदा मुस्लिम का इस्लाम में कोई जिक्र ही नहीं है और ये हैं अरबी, बीजेपी मुस्लिमों के नाम पर अरबी लोगों को कर रही है टारगेट- मशहूर शायर मुन्नवर राणा का बड़ा बयान

मुन्नवर राणा का बड़ा बयान
मुन्नवर राणा का बड़ा बयान

Politalks.News/UttarPradesh. अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चाओं में रहने वाले मशहूर शायर मुन्नवर राणा ने बुधवार को फिर से बड़ा बयान देते हुए हुए सुर्ख़ियों में आ गए हैं. शायर मुनव्वर राणा अपनी अनेक मां पर लिखी कृतियों के कारण काफी लोकप्रिय रहे हैं लेकिन अब उन्होंने मां को लेकर ही अजीबो-गरीब बयान दे दिया है. दरअसल उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बीते दिनों बीजेपी ने पसमांदा सम्मेलन किया था लेकिन बीजेपी का ये सम्मलेन अब सुर्खियां बटोर रहा है. इसी बीच शायर मुनव्वर राणा का एक बयान काफी चर्चा में है. मुनव्वर राणा से पूछा गया कि ये पसमांदा कौन हैं, तो उन्होंने कहा कि, ‘पसमांदा की शब्दावली का मतलब ये होता है कि पिछड़े हुए लोग. समाज में जो पिछड़ जाते हैं, उन्हें पसमांदा कहा जाता है.’ इस दौरान उन्होंने बड़ा बयान देते हुए कहा कि, ‘मैं बहुत इमानदारी से एक बात कहता हूं कि मेरा बाप मुसलमान था, इसकी मैं गारंटी लेता हूं लेकिन मेरी मां भी मुसलमान थी, इसकी गारंटी मैं नहीं ले सकता.’

फिलहाल बीजेपी मुसलमानों के बीच अपनी छवि सुधारने की कोशिश में जुटी हुई है. पिछले कुछ समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी के बड़े नेता मुस्लिम समुदाय के नेताओं से मिल रहे हैं. इससे ये संदेश देने की कोशिश हो रही है कि बीजेपी मुसलमान विरोधी नहीं है. वह खुले दिल से इस समुदाय को गले लगाने के लिए तैयार है. लोकसभा और विधानसभा में बीजेपी का एक भी मुसलमान सांसद नहीं है. इसे लेकर पार्टी की खासी आलोचना होती रही है. ऐसे में मुसलमानों को साधने के लिए बीजेपी ने रविवार को लखनऊ में ‘पसमांदा बुद्धिजीवी सम्मेलन’ का आयोजन किया. लेकिन पसमांदा शब्द को लेकर जब मशहूर शायर मुन्नवर राणा से जब सवाल पुछा गया तो उन्होंने अजीबोगरीब बयान देकर सुर्खियां बटोरनी चाही. इस दौरान उन्होंने अपने मां बाप को लेकर इस तरह का बयान दिया कि वह आज की सुर्ख़ियों में बना हुआ है.

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इसी कड़ी में जब मुनव्वर राणा से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, ‘पसमांदा की शब्दावली का मतलब ये होता है कि पिछड़े हुए लोग. समाज में जो पिछड़ जाते हैं, उन्हें पसमांदा कहा जाता है. इस्लाम में पसमांदा का कोई जिक्र नहीं था और न ही जात-पात का कोई जिक्र था. इसमें कोई नहीं जानता है कि कौन-कौन किस जाति का है. केवल ये जानते हैं कि ये अरबी हैं. इसी पर शादी होती है और इसी पर विवाह होता है. हिंदुस्तान में आकर हमलोग इस रंग में रंग गए हैं.’ राणा यही नहीं रुके और उन्होंने अजीबोगरीब बयान देते हुए कहा कि, ‘मैं बहुत इमानदारी से एक बात कहता हूं कि मेरा बाप मुसलमान था, इसकी मैं गारंटी लेता हूं लेकिन मेरी मां भी मुसलमान थी, इसकी गारंटी मैं नहीं ले सकता. इसलिए कि मेरे पिता पहले भारत आए थे.’

मुन्नवर राणा ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि, ‘मेरे पिता चाहे ईसा पूर्व से आया हो, चाहे समरकंद से आया हो, चाहे मुखारद से आया हो, चाहे अफ्रीका आया हो या अरब से आया हो. वो फौज के साथ आया था और फौज बगल में बीवी लेकर नहीं चलते हैं. इसलिए मेरा बाप जो था वो मुसलमान था लेकिन मेरी मां भी मुसलमान थी इसकी मैं गारंटी नहीं ले सकता हूं. मेरे पिता यहां आए. उसके बाद अपने तौर-तरीके से, अपनी अच्छी विचारधारा से वे लोग पूरे हिन्दुस्तान में फैलते चले गए. जब यहां के ठुकराए हुए लोगों ने ये देखा कि ये कैसे लोग हैं तो उन लोगों ने इस्लाम को कबूल करना शुरू कर दिया.’

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अपने इस बयान के जरिए मुनव्वर राणा ने यह बताया है कि, ‘पसमांदा मुस्लिम का इस्लाम में कोई जिक्र ही नहीं है और ये अरबी हैं. बीजेपी मुस्लिमों के नाम पर अरबी लोगों को टारगेट कर रही है.’ हालांकि, यह कोई पहली बार नहीं है, जब मुनव्वर राना ने विवादित और अजीबोगरीब बयान दिया हो. इससे पहले भी वह कई बार विवादित बयान दे चुके हैं. कुछ महीने पहले उन्होंने ज्ञानवापी मामले में सर्वे कराए जाने से नाराज जज के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल कर दिया था. उन्होंने तंज कसते हुए कहा था कि जज ने जो कह दिया वही सही. वह भगवान से भी बड़े हैं. हालांकि, इसके बाद उनकी भाषा बदल गई और अपशब्द कहने लगे.

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