Politalks.News/Delhi. पेगासस जासूसी कांड, किसान आंदोलन सहित विभिन्न मुद्दो पर मोदी सरकार और विपक्षी दलों के बीच तनातनी जारी है. इस तनातनी और हंगामे के चलते संसद का मॉनसून सत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है. 19 जुलाई से शुरु हुए संसद का मानूसन सत्र 13 अगस्त का चलना है और इस दौरान सत्र की कुल 19 बैठकें प्रस्तावित है. ऐसे में अब जब लगभग आधा सत्र बीत चुका है तब लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही का लगातार हंगामे की भेंट चढ़ने से देश की जनता को लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर से निराशा ही हाथ लग रही है. साथ ही मानसून सत्र में सदन के अंदर पेपर फाड़ने और आंसदी की ओर उछालने की घटना कई बार देखी जा चुकी है. संसद के दोनों सदनों में कामकाज अब तक लगभग ठप ही पड़ा रहा है.
अब आपको बताते हैं कि इसका नतीजा क्या रहा, ये संसदीय मामलों पर शोध करने वाली संस्था पीआरएस लेजिस्लेटिव की एक रिपोर्ट में सामने आया है. रिपोर्ट के मुताबिक, हंगामे के चलते इस सत्र में लोकसभा की कार्यवाही केवल 14% रही है. आलम ये रहा कि केवल एक घंटे से भी कम समय में 5 विधेयक पारित किए गए. जबकि इसी साल की शुरुआत में बजट सत्र के दौरान लोकसभा द्वारा पारित विधेयकों पर औसतन 2.5 घंटे का वक़्त लगा था. वहीं इस पूरे हंगामे के चलते जनता की गाढ़ी कमाई के 60 करोड़ बर्बाद हो चुके हैं.
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इस पूरे हंगामे के बीच राज्यसभा की स्ट्राइक रेट लोकसभा से थोड़ा बेहतर रही, लेकिन कुल-मिलाकर यहां भी निराशाजनक काम हुआ है. पीआरएस के मुताबिक, मौजूदा सत्र में राज्यसभा की प्रोसीडिंग केवल 22 प्रतिशत रही. जहां लोकसभा में पारित पांच विधेयकों की चर्चा में खर्च किया गया कुल समय 44 मिनट था, वहीं राज्यसभा में तीन विधेयक पारित किए गए, जिन पर कुल 72 मिनट समय खर्च किया गया.
5 मिनट में पारित हुआ विधेयक
पहले बात करें लोकसभा से पारित विधेयकों की तो यहां एक विधेयक को पारित कराने में सबसे अधिक 14 मिनट का समय लगा. जो की अकल्पनीय रहा. वहीं, एक अन्य विधेयक को महज 5 मिनट में ही पारित कर दिया गया. पीआरएस के मुताबिक, 28 जुलाई को पारित दिवाला और दिवालियापन संहिता (संशोधन) विधेयक, 2021 केवल 5 मिनट में पारित किया गया था. बाकी के विधेयकों में कितना समय लगा, ये भी आपको बताते हैं. राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी संस्थान, उद्यमिता और प्रबंधन विधेयक, 2019 26 जुलाई: को पारित हुआ. जिसमें मात्र छह मिनट लगे. उसी दिन फैक्टरिंग रेगुलेशन (संशोधन) विधेयक, 2020 पारित हुआ था, जिसमें मात्र 13 मिनट का वक़्त लगा था. 29 जुलाई के दिन अंतर्देशीय पोत विधेयक, 2021 को मंजूरी मिलने में महज़ 6 मिनट का वक़्त लगा. इसी दिन पांचवां और आख़िरी विधेयक भारतीय विमानपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2021 भी पारित हुआ. इसमें सबसे ज़्यादा 14 मिनट में पारित किया गया.
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राज्यसभा भी नहीं रही पीछे
अब बात कर लेते हैं राज्यसभा की तो यहां 3 विधेयक पारित हुए हैं. राज्यसभा में सबसे कम चर्चा वाला विधेयक रहा फैक्टरिंग रेगुलेशन (संशोधन) विधेयक, 2020. इसे 29 जुलाई को सदन के पटल पर रखा गया और महज 14 मिनट में पारित कर दिया गया. उससे पहले 28 जुलाई को लाए गए किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 को पारित करने में 18 मिनट लगे. वहीं, उससे पहले 27 जुलाई को नौवहन के लिए समुद्री सहायता विधेयक, 2021 को ऊपरी सदन ने 40 मिनट में पारित किया था. इसमें सबसे ज़्यादा 7 सांसदों ने चर्चा में भाग लिया था. पीआरएस लेजिस्लेटिव ने बताया कि 2021 के बजट सत्र के दौरान राज्यसभा में किसी भी विधेयक को पारित करने से पहले उस पर औसतन दो घंटे चर्चा की गई थी.
लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही जिस पेगासस मामले की वजह से ठप रही, उसे सरकार कोई मुद्दा ही नहीं मानती. ये कहना है संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी का. जोशी ने कहा कि, ‘पेगासस कोई मुद्दा नहीं है. सरकार लोगों से जुड़े किसी भी मुद्दे पर बहस के लिए तैयार है. भारत के लोगों से सीधे जुड़े कई मुद्दे हैं… सरकार उन पर चर्चा के लिए तैयार है’. एक तरफ़ पेगासस मामले में विपक्ष सरकार को घेरने के लिए लगातार कोशिशें कर रहा है, वहीं संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी विपक्ष ने बर्ताव को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया है. जोशी ने आगे कहा कि, ‘पेगासस पर विपक्ष आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव से जो भी जानना चाहता है वो पूछ सकता है और वे इस मुद्दे पर एक विस्तृत बयान दे चुके हैं’.
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हंगामे की भेंट चढ़े 60 करोड़!
मानसून सत्र के ऐन पहले पेगासस जासूसी मामले का खुलासा होना और उस पर लगातार हंगामा होने से जनता की गाढ़ी कमाई भी एक तरह से बर्बाद हो रही है. 19 जुलाई से शुरु हुए मानसून सत्र के पहले दो हफ्ते हंगामे के भेंट चढ चुके है. अगर पिछले 9 दिनों की दोनों सदनों की कार्यवाही को देखे तो लोकसभा की कार्यवाही मुश्किल से 5 घंटे और राज्यसभा की कार्यवाही लगभग 10 घंटे ही चल पाई है और सरकार दो विधेयक ही पास करवा पाई है. एक अनुमान के मुताबिक प्रति मिनट संसद की कार्यवाही पर 2.50 लाख रुपए और एक घंटे की कार्यवाही पर 1.5 करोड़ रुपए खर्च होते है. वहीं संसद सत्र के दौरान एक दिन का खर्चा 9 करोड़ रुपए के आसपास आता है. ऐसे में देखा जाए तो अब तक संसद की 9 दिन की कार्यवाही में जनता की गाड़ी कमाई के 60 करोड़ से अधिक रुपए बर्बाद हो चुके है.
पीएम मोदी बोले- ‘संसद नहीं चलने दे रहा विपक्षी दल, सामने लाएं उनका असली चेहरा’
संसद में हंगामे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने क्या कहा है, आपको बताते हैं. पीएम मोदी ने कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों को आड़े हाथों लिया और भारतीय जनता पार्टी के सांसदों से विपक्ष के इस रवैये की जनता के समक्ष पोल खोलने की अपील की. प्रधानमंत्री ने कहा कि, ‘विपक्षी दल ‘जानबूझकर’ ऐसा व्यवहार कर रहे है ताकि सरकार गतिरोध दूर करने के अपने प्रयासों में सफल ना हो, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के इस रवैये की जनता के समक्ष पोल खोलने की आवश्यकता है’.
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विपक्ष क्या चूक रहा मौका
कोरोना के चलते संसद का बजट सत्र भी पूरा नहीं चल पाया था ऐसे में लंबे समय के बाद मानसून सत्र में विपक्ष के पास सरकार को घेरने का एक अच्छा मौका था. लगातार हंगामे के बाद अब एक सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि क्या विपक्ष इस मौके को कहीं गवां तो नहीं रहा है. कोरोनाकाल में स्वस्थ्य व्यवस्थाओं के फेल होने और पेट्रोल-डीजल की कीमतों के साथ महंगाई के मुद्दें पर विपक्ष सरकार को संसद में चर्चा के माध्यम से घेर सकता है वह मौका अब कहीं न कहीं विपक्ष के हाथों से निकलता जा रहा है
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा पैगासस मामला, 5 अगस्त को होगी सुनवाई
इस बीच, पेगासस जासूसी मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है. 30 जुलाई को वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार ने शीर्ष अदालत में PIL दायर की है. इसमें मामले की SIT जांच कराने की बात कही गई है. याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना से याचिका को सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था. खबर है कि राजनेताओं, एक्टविस्ट और पत्रकारों की जासूसी करने के लिए कथित तौर पर इजरायली सॉफ्टवेयर पेगासस का उपयोग करने वाली सरकार की रिपोर्टों की अदालत की निगरानी में जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 5 अगस्त को सुनवाई करेगा.
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सुप्रीम कोर्ट में ये याचिकाएं वरिष्ठ पत्रकार एन राम, शशि कुमार और सीपीएम नेता जॉन ब्रिटास ने दायर की है.इससे पहले शुक्रवार को सीजेआई एनवी रमना ने अगस्त के पहले हफ्ते में याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई थी. वहीं कपिल सिब्बल ने कहा था कि सुनवाई मंगलवार या बुधवार को नहीं होनी चाहिए, क्योंकि वो दूसरे मामलों में व्यस्त हैं. इस पर सीजेआई ने कहा कि वो मामले को सुनवाई के लिए लिस्ट करते समय इसे ध्यान में रखेंगे.