Politalks.News/Hijab. कर्नाटक से शुरू हुआ हिजाब विवाद अब पुरे देश की सुर्खियां बन चूका है. कर्नाटक के उडुपी के ही एक सरकारी कॉलेज से ही शुरू हुआ था हिजाब विवाद, जहां मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनकर आने से रोका गया था. स्कूल मैनेजमेंट ने इसे यूनिफॉर्म कोड के खिलाफ बताया था. इसके बाद दूसरे शहरों में भी यह विवाद फैल गया. इन सब के बीच कर्नाटक हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा था कि, हिजाब पहनना इस्लाम की जरूरी प्रैक्टिस का हिस्सा नहीं है. इसके बाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 26 याचिकाएं दाखिल की गई थीं जिस पर आज सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने आज सुनवाई करते हुए याचिका ख़ारिज कर दी. अब इस मामले पर CJI यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच फैसला करेगी लेकिन इस पर सियासी बयानबाजी शुरू हो गई है. AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि, ‘हिंदू लड़की को सिंदूर लगाने और मंगलसूत्र की छूट दी जा सकती है तो फिर मुस्लिम लड़कियों को हिजाब की परमिशन क्यों नहीं मिलती है. यह तो भेदभाव है.’
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में दो जजों की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की लेकिन दोनों जजों की राय अलग अलग रही. जिसके बाद कर्नाटक में शिक्षण संस्थानों में हिजाब बैन के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अब सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच सुनवाई करेगी. गुरूवार को हुई सुनवाई में जहां जस्टिस हेमंत गुप्ता ने हिजाब बैन को सही ठहराया है तो वहीं जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कर्नाटक हाईकोर्ट के बैन जारी रखने के आदेश को रद कर दिया. जस्टिस धुलिया ने कहा कि, ‘हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा है या नहीं, इस पर विचार की जरूरत ही नहीं थी. यह सिर्फ एक चॉइस से जुड़ा सवाल है. मेरे लिए जो सबसे ऊपर था वह लड़कियों की शिक्षा थी. लड़कियों को स्कूल जाने से पहले घर का काम-काज निपटाना पड़ता है और हम ऐसा करके उनकी जिंदगी को बेहतर बना रहे हैं. यह आर्टिकल 19 और 25 से जुड़ा मामला है.’ वहीं सुनवाई के दौरान जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले पर सहमती जताई.
जस्टिस गुप्ता ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले से सहमति जताई और इस फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल करने वाले से 11 सवाल पूछे. उन्होंने सवाल किया कि क्या छात्रों को आर्टिकल 19, 21 और 25 के तहत कपड़े चुनने का अधिकार दिया जा सकता है? अनुच्छेद 25 की सीमा क्या है? व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निजता के अधिकार की व्याख्या किस तरह से की जाए? क्या कॉलेज छात्रों की यूनिफॉर्म पर फैसला कर सकते हैं? क्या हिजाब पहनना और इसे प्रतिबंधित करना धर्म की स्वतंत्रता का उल्लंघन है? इसके बाद दोनों ही जजों की रजामंदी के बाद जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि, ‘यह मामला CJI को भेजा जा रहा है, ताकि वे उचित निर्देश दे सकें.’ वहीं सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले के बाद कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बी नागेश ने बताया कि, ‘कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला अभी अंतरिम तौर पर लागू रहेगा. वहीं सुप्रीम कोर्ट में हुई आज की सुनवाई के बाद सियासी बयानबाजी भी शुरू हो गई है.’
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि, ‘हम तो उम्मीद कर रहे थे कि सुप्रीम कोर्ट से एकमत से हिजाब के पक्ष में फैसला आएगा. लेकिन जजों की राय अलग रही, हम इसका सम्मान करते हैं. जैसा कि जस्टिस धूलिया ने कहा कि चॉइस बहुत बड़ी चीज होती है और इसका सम्मान होना चाहिए. उन्होंने आर्टिकल 14 और 19 का जिक्र करते हुए उन्होंने अपना फैसला लिखा है.’ बीजेपी पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा कि, ‘इसे भाजपा ने बेवजह मुद्दा बना दिया है. यह तो लड़कियों की पसंद नापसंद का मामला है.’ वहीं AIMIM प्रमुख ने एक टीवी चैनल पर चर्चा के दौरान हिजाब की तुलना पगड़ी, सिंदूर और मंगलसूत्र से भी की.
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असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि, ‘यदि आप यूनिफॉर्म में एक सिख लड़के को पगड़ी की इजाजत देते हैं और हिंदू लड़की को सिंदूर लगाने और मंगलसूत्र की छूट देते हैं, लेकिन मुस्लिम लड़कियों को हिजाब की परमिशन नहीं मिलती है तो यह भेदभाव है. यदि बच्चे एक-दूसरे की धार्मिक परंपराओं को नहीं देखेंगे तो वह कैसे विविधता को समझेंगे. यह जरूरी है कि बच्चे स्कूल में ही सभी परंपराओं को समझें.’ वहीं कुरान का जिक्र करते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि, ‘इस्लाम में हिजाब अनिवार्य है. अल्लाह और कुरान ने हिजाब और निकाब को हुक्म बताया है. कोई यदि हिजाब नहीं पहनना चाहता है तो वह ऐसा कर सकता है, लेकिन किसी की इच्छा है तो उसे पहनने देना चाहिए.’