Politalks.News/HarishChoudhry. हाल ही में हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद छोड़ पंजाब के प्रदेश कांग्रेस प्रभारी बने हरीश चौधरी ने अब अपनी ही सरकार के कार्मिक विभाग द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) आरक्षण में किए गए संशोधन को लेकर सवाल खड़े किए हैं. इस संबंध में पूर्व राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने पिछले सोमवार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात कर भूतपूर्व सैनिक अधिनियम मामले में पूर्ववर्ती व्यवस्था लागू करने की मांग भी की थी, लेकिन मांग के बावजूद कार्मिक विभाग द्वारा संशोधन ना किए जाने पर 7 दिन बाद बीते सोमवार हरीश चौधरी ने अपने आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए दो टूक शब्दों में कहा कि, ‘ओबीसी अभ्यर्थियों के साथ हो रहे अन्याय को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.’ इसके साथ ही चौधरी ने ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ हो रहे अन्याय के विरोध में सभी जिलों में ओबीसी संघर्ष समिति के बैनर तले आंदोलन शुरू करने की भी बात कही है.
इस तरह गहलोत सरकार में मंत्री रह चुके हरीश चौधरी ने जहां एक तरफ भाजपा सरकार में बनाए गए भर्ती नियमों पर सवाल खड़े किए, तो वहीं, वर्तमान सरकार को भी पुराने नियम नहीं बदलने के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया. ऐसे में सियासी चर्चाएं इस बात को लेकर है कि चुनाव से लगभग एक साल पहले अचानक अपनी सरकार के खिलाफ आवाज उठाकर आखिर हरीश चौधरी कहना क्या चाहते हैं? दरअसल, कार्मिक विभाग द्वारा 17 अप्रेल, 2018 को भूतपूर्व सैनिक आरक्षण अधिनियम 1988 में परिवर्तन कर लागू नई अधिसूचना जारी की थी. इससे ओबीसी पुरुष वर्ग की अधिकतर सीटें भूतपूर्व सैनिकों को आवंटित की जा रही है. भर्तियों में आने वाले भूतपूर्व सैनिकों के आवेदनों में अधिकतर आवेदन ओबीसी वर्ग से आते है ऐसे में ओबीसी वर्ग के नए पुरुष बेरोजगारों को राज्य सरकार की भर्तियों में न के बराबर नियुक्ति मिल रही है.
बकौल हरीश चौधरी इस संबंध में खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात के बाद भी उनकी मांगों को ना माने जाने को लेकर चौधरी का सोमवार को अपनी ही सरकार के खिलाफ गुस्सा फुट पड़ा. अपने आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए चौधरी ने कहा कि, ‘राजस्थान में ओबीसी वर्ग को 21 फीसदी आरक्षण मिला हुआ है लेकिन भर्तियों को लेकर कार्मिक विभाग ने जो रोस्टर बनाया है वह सही नहीं है. पिछले सालों में हुई भर्तियों में ओबीसी वर्ग के साथ अन्याय किया गया है.’
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यही नहीं हरीश चौधरी ने चेतावनी देते हुए कहा कि, ‘सिस्टम में बैठे लोग चाहते हैं कि सामान्य घरों के छात्र आंदोलन की राह पकड़े और उन पर मुकदमे दर्ज हो ताकि उन्हें भविष्य में सरकारी नौकरी नहीं मिल पाए लेकिन अब समय बदल गया है. हम हमारा हक और अधिकार लेने के लिए नई परिस्थितियों के नए हथियार से आंदोलन करेंगे.’ पत्रकारों से बात करते हुए हरीश चौधरी ने कहा कि, ‘ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ हो रहे अन्याय के विरोध में सभी जिलों में ओबीसी संघर्ष समिति के बैनर तले आंदोलन शुरू किए जाएंगे. ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों को इसके बारे में बताया जाएगा डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी इसके बारे में अभ्यर्थियों को जानकारी दी जाएगी.
भर्तियों के उप नियम वापस ले सरकार
हरीश चौधरी ने कहा कि, ‘मैं इस मामले को लेकर दो बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिला हूं और उनके सामने भी इस मामले को उठाया है. मुख्यमंत्री गहलोत संवेदनशील आदमी है इसलिए मुझे पूरा विश्वास है कि सरकार कार्मिक विभाग की ओर से भर्तियों में बनाए गए उप नियम वापस लेगी.’ चौधरी ने कहा कि, ‘यह कोई सरकार पर सवाल खड़े करने का मामला नहीं है बल्कि यह दलगत राजनीति से ऊपर उठकर लाखों अभ्यर्थियों को न्याय दिलाने का मामला है. मैं पार्टी के भीतर भी इस मामले को जोर-शोर से उठा रहा हूं.’
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ईडब्ल्यूएस पर कोई विवाद नहीं हुआ
पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीश चौधरी ने कहा कि, ईडब्ल्यूएस को लेकर कभी कोई विवाद नहीं हुआ. सबने मेज थपथपा कर इसका समर्थन किया था. जब गरीब व्यक्ति के लिए नियम बनते हैं तो उस पर विवाद होता है और जब अमीर आदमी के लिए कोई नियम बनते हैं तो उस पर कभी कोई विवाद नहीं होता.