Politalks.News/Bharat/PMModi. देश के कई राज्यों में जारी साम्प्रदायिक हिंसा को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कई राजनेताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) की चुप्पी को लेकर सवाल खड़े किए हैं और कई बार सार्वजनिक तौर पर सोशल मीडिया के जरिए पीएम मोदी से अपील कर चुके हैं कि मोदी जी सामने आएं और देश के नाम सम्बोधन देकर ऐसी ताकतों को हिदायत दें. इसी बीच अब देश के 100 से ज्यादा पूर्व राजनयिकों ने सरकार पर नफरत की राजनीति को बढ़ावा देने का गंभीर आरोप लगाया है. पीएम मोदी को लिखे अपने पत्र में पूर्व नौकरशाहों (Former Bureaucrats) ने यह उम्मीद भी जताई है कि वे ‘नफरत की राजनीति’ को समाप्त करने का आह्वान करेंगे और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नियंत्रण वाली राज्य सरकारों में कथित तौर पर ‘कठोरता से’ इसकी पालना पर जोर देंगे. यही नहीं पूर्व राजनयिकों ने पीएम मोदी को चेताया भी है कि इस माहौल में आपकी चुप्पी समाज में बहुत बड़े खतरे को जन्म दे सकती है.
पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम लिखे खुले पत्र (Letter to PM Modi) में कहा है कि इस साल जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, उन्हे उम्मीद है कि प्रधानमंत्री पक्षपातपूर्ण रवैये से उठकर सबके साथ समान व्यवहार करेंगे. पूर्व नौकरशाहों ने कहा कि, ‘हम देश में नफरत से भरी तबाही का उन्माद देख रहे हैं, जहां बलि की वेदी पर न केवल मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्य हैं, बल्कि संविधान भी है.’ इस तरह पत्र लिखने का कारण बताते हुए पूर्व नौकरशाहों ने कहा कि, ‘पूर्व लोक सेवकों के रूप में, हम आम तौर पर खुद को इतने तीखे शब्दों में व्यक्त नहीं करना चाहते हैं, लेकिन जिस तेज गति से हमारे पूर्वजों द्वारा तैयार की गई संवैधानिक इमारत को नष्ट किया जा रहा है, हमें इस बात पर गुस्सा और पीड़ा है, इसलिए हम अपनी बात रखने और अपना दुख व्यक्त करने के लिए मजबूर हैं.’
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आपको बता दें, पीएम मोदी को लिखे इस खुले पत्र पर 108 लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं और इनमें दिल्ली के पूर्व उप राज्यपाल नजीब जंग, पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह, पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रधान सचिव टीकेए नायर जैसे प्रभावशाली पूर्व नौकरशाह शामिल हैं. पीएम मोदी को लिखे इस पत्र में आगे कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षों और महीनों में कई राज्यों जैसे- असम, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अल्पसंख्यक समुदायों, खासकर मुसलमानों के प्रति नफरत एवं हिंसा में वृद्धि ने एक भयावह नया आयाम हासिल कर लिया है.
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इस पत्र में आगे कहा गया है कि उक्त राज्यों में से दिल्ली को छोड़कर बाकी सभी राज्यों में भाजपा की सरकार है और दिल्ली में पुलिस पर केंद्र सरकार का नियंत्रण है. पत्र के अंत मे पूर्व अधिकारियों ने लिखा कि, ‘हम सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के आपके वादे को दिल से लेते हुए आपकी अंतरात्मा से अपील करते हैं…और यह हमारी उम्मीद है कि आजादी के अमृत महोत्सव के इस 75वें वर्ष में, पक्षपातपूर्ण विचारों से ऊपर उठकर, आप नफरत की राजनीति को खत्म करने का आह्वान करेंगे.’