राज्यसभा की चौथी सीट के लिए होगा सियासी घमासान, बाड़ेबंदी से लेकर करने पड़ेंगे सारे ताम-झाम

राज्यसभा चुनावों के लिए मंगलवार से शुरू होगी नामांकन प्रक्रिया, राजस्थान में चार में से दो पर कांग्रेस और एक सीट पर बीजेपी प्रत्याशी की जीत मानी जा रही है सुनिश्चित, तो वहीं कांग्रेस को तीसरी सीट जीतने के लिए होगी 15 वोटों की जरूरत, राज्यसभा की इस चौथी सीट पर निर्दलीय, बीटीपी, आरएलपी और माकपा के सदस्य तय करेंगे जीत

राज्यसभा की चौथी सीट के लिए होगा सियासी घमासान
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Politalks.News/RajysabhaElection/Rajasthan. राजस्थान में एक बार फिर राज्यसभा चुनाव के करीब आते ही सियासी बाड़ेबंदी की सुगबुगाहट तेज हो गई है. राज्यसभा में खाली होने वाली प्रदेश की 4 सीटों के लिए 10 जून को चुनाव होने जा रहा है. ऐसे में सभी की नजरें अब कांग्रेस और बीजेपी की आगे की रणनीति पर टिकी हुई हैं. चार में से दो पर कांग्रेस और एक सीट पर बीजेपी प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित मानी जा रही है. वहीं बची चौथी सीट के लिए बीजेपी और कांग्रेस के बीच सियासी नूरा कुश्ती देखने को मिल सकती है. बता दें राज्यसभा की इस चौथी सीट पर जीत निर्दलीय, बीटीपी, आरएलपी और माकपा के सदस्य तय करेंगे. ऐसे में एक बार फिर प्रदेश में दोनों ही पार्टियां की तरफ से सियासी बाड़ेबंदी देखने को मिल सकती है.

हालांकि कांग्रेस पार्टी जहां विधानसभा में खुद के और निर्दलीयों व अन्य दलों से प्राप्त समर्थन से प्राप्त बहुमत के आधार पर 4 में से 3 सीटों पर अपनी जीत तय मान रही है तो वहीं बीजेपी भी एक सोची समझी रणनीति के तहत 2 नामों का एलान कर सकती है. आपको बता दें, राज्यसभा के लिए कल यानी 24 मई से नामांकन की प्रक्रिया शुरू होने वाली है जो कि 30 मई तक चलेगी. ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों ने प्रत्याशियों के नामों पर तेजी से मंथन शुरू कर दिया है और दोनों ही दलों में जारी सियासी गुटबाजी से भी सभी वाकिफ है.

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तीन सीटों के लिए कांग्रेस की स्थिति मजबूत
आपको बता दें, देश के 15 राज्यों में खाली होने जा रही राज्यसभा की 57 सीटों का चुनावी रण मंगलवार यानि 24 मई से नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही शुरू हो जाएगा. यहां अगर बात की जाए राजस्थान की 4 राज्यसभा सीटों की तो राजस्थान विधानसभा में पार्टी वाइज सदस्यों की स्थिति के अनुसार कांग्रेस के 108, भाजपा के 71, निर्दलीय 13, आरएलपी के 3, बीटीपी के 2, माकपा के 2 और आरएलडी के 1 सदस्य हैं. विधानसभा में कांग्रेस की स्थिति बेहद मजबूत है. निर्दलीय, बीटीपी, माकपा और आरएलडी फिलहाल सरकार के साथ है. ऐसे में माना जा रहा है कि निर्दलीयों और अन्य पार्टियों के सदस्यों के बूते कांग्रेस को तीसरी सीट जीतने में भी ज्यादा जोर नहीं आएगा.

कांग्रेस में इन प्रत्याशियों के नामों की चर्चा
वहीं बात करें सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस के प्रत्याशियों की तो एक प्रत्याशी का एक नाम दिल्ली में पार्टी आलाकमान की ओर से आना तय माना जा रहा है, जबकि 2 नाम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की तरफ से भेजे जाएंगे. सूत्रों के मुताबिक टिकट के लिए 1 दर्जन से ज्यादा नामों पर विचार चल रहा है. सियासी गलियारों में चर्चा है कि पूर्व राज्यसभा सांसद गुलाम नबी आजाद, प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अजय माकन, यूपी कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी, एआईसीसी महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह, RTDC चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ को राजस्थान से राज्यसभा भेज सकती है. वहीं सूत्रों का ये भी कहना है कि दलित प्रतिनिधि के तौर पर नीरज डांगी राज्यसभा भेजे जा चुके हैं. ऐसे में पार्टी अब प्रदेश से राजपूत, जाट, आदिवासी चेहरे को उतारने की तैयारी में है.

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बीजेपी इन प्रत्याशियों पर ठोक सकती है दावेदारी
वहीं बात की जाए बीजेपी के राज्यसभा प्रत्याशीयों कि तो वह अपने प्रत्याशियों का चयन आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर ही करेगी. सियासी जानकारों की मानें तो बीजेपी एक बार फिर राज्यसभा सांसद ओम माथुर पर अपना दांव खेल सकती है और अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर पार्टी एक सीट पर ब्राह्मण और दूसरी पर दलित या आदिवासी वर्ग से अपना उम्मीदवार चुनाव में उतार सकती है. सूत्रों का कहना है कि, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी, महिला मोर्चा की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष मधु शर्मा, पूर्व मंत्री घनश्याम तिवाड़ी, प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश दाधीच, प्रदेश महामंत्री भजनलाल शर्मा, बीजेपी पॉलिटिकल फीडबैक विभाग के प्रदेश सह संयोजक ब्रजकिशोर उपाध्याय के नामों पर भी चर्चा की जा रही है.

क्यों हो सकती है बाड़ाबंदी?
राजस्थान विधानसभा में संख्या बल के आधार पर एक राज्यसभा प्रत्याशी को जिताने के लिए मिनिमम 41 वोटों की आवश्यकता होगी. ऐसे में कांग्रेस अगर अपने तीन प्रत्याशी मैदान में उतारती है तो 41-41-41 यानी पहली वरीयता के कुल 123 वोट कांग्रेस को चाहिएं. जबकि बीजेपी यदि 2 प्रत्याशी खड़े करेगी, तो उन्हें जिताने के लिए 41-41 यानी 82 वोट पहली वरीयता के चाहिएं. ऐसे में 1 सीट के लिए मुकाबला बेहद रोचक हो सकता है. जिसमें निर्दलीयों और अन्य पार्टियों के विधायकों की बाड़ेबंदी करनी पड़ेगी.

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सीएम सलाहकार बने विधायकों को किया खुश
वहीं राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के कई विधायक जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार तो बन गए लेकिन इन सलाहकारों को लेकर कोई सरकारी आदेश नहीं था. ऐसे में विधायक राजकुमार शर्मा, डॉ. जितेंद्र और दानिश अबरार भी अंदर खाने में अपनी नाराजगी दिखा रहे थे. लेकिन 21 मई को ही मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री सलाहकार परिषद के गठन के आदेश जारी कर इन तीन विधायकों की नाराजगी को थामने का प्रयास किया है.

वागड़ में उठी कांग्रेस से आदिवासी को राज्यसभा भेजने की मांग
वहीं डूंगरपुर के निवर्तमान अध्यक्ष दिनेश खोड़नियां का कहना है कि, मैंने पार्टी आलाकमान से निवेदन किया है कि यहां वार्ड पंच से लेकर सांसद के पद रिजर्व हैं. यहां गैर आदिवासी को रिप्रजेंटेंशन नहीं मिला है जबकि आबादी 30% है. इन्हें प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए.’ तो CWC सदस्य रघुवीर मीणा ने कहा कि, ‘आदिवासी और गैर आदिवासी मुद्दा है. यहां 40 साल से कोई आदिवासी राज्यसभा नहीं पहुंचा है. गुजरात और राजस्थान की 70 विधानसभा सीटें इस ट्राइबल बेल्ट का हिस्सा हैं. ऐसे में प्रतिनिधित्व देना चाहिए.’ राजस्थान विधानसभा में सरकार को समर्थन दे रही BTP की भी प्रतिक्रिया इस मामले में सामने आई है. डूंगरपुर विधायक राजकुमार रोत ने कहा कि, ‘हमारी प्राथमिकता यही है कि यहां से किसी आदिवासी को प्रतिनिधित्व मिले.’

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