Politalks.News/Delhi/Farmers Protest. केन्द्र के कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर एक महीने से हजारों किसानों का आंदोलन जारी है. इस बीच आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने आरोप लगाया कि शुक्रवार को महरौली के किसान सम्म्मेलन में दिया गया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भाषण किसानों को ‘बांटने और गुमराह‘ करने का प्रयास था. किसान नेताओं ने कहा कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर कानूनी गारंटी चाहते हैं.
असल मुद्दे से ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही है मोदी सरकार
राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा अपना एजेंडा आगे बढ़ाने के लिये आंदोलन का इस्तेमाल करने के प्रधानमंत्री मोदी के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि यूनियन ने कभी भी किसी राजनीतिक दल को अपना मंच इस्तेमाल नहीं करने दिया. कोहाड ने सरकार पर मुद्दे से ध्यान भटकाने का आरोप लगाया.
आपको बता दें, किसान सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केन्द्र सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच वार्ता में गतिरोध के लिये राजनीतिक मंशा रखने वालों पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी सरकार अपने कटु आलोचकों समेत सभी से बातचीत करने के लिये तैयार है. लेकिन यह बातचीत ‘तर्कसंगत, तथ्यों और मुद्दों’ पर आधारित होनी चाहिये. मोदी ने अपने भाषण में विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि जब आंदोलन की शुरुआत हुई थी तब नये कानूनों को लेकर उनकी एमएसपी सहित कुछ वाजिब चिंताएं थीं, लेकिन बाद में इसमें राजनीतिक लोग आ गए और हिंसा के आरोपियों की रिहाई और राजमार्गों को टोलमुक्त बनाने जैसी असंबद्ध मांगे करनी शुरू कर दीं.
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हमारा प्रदर्शन राजनीतिक नहीं, गलत है पीएम मोदी का दावा
किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा, ‘प्रधानमंत्री का यह दावा गलत है कि अन्य राजनीतिक दल हमें गुमराह कर रहे हैं. हमें दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन करते हुए एक महीना हो गया है और हमने किसी भी नेता को अपने मंच पर आने नहीं दिया है. बल्कि हमने उन्हें अपने मंच का इस्तेमाल करने पर पाबंदी लगा दी है. हमारा प्रदर्शन राजनीतिक नहीं है.’
संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य अभिमन्युकोहाड़ ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण के दौरान दावा किया कि ये तीन कृषि कानून किसानों के लिये लाभकारी हैं, लेकिन यह नहीं बताया कि ये कानून किस तरह किसानों के लिये लाभकारी हैं. कोहाड़ ने कहा कि, ‘आप यह कह कर नहीं बच सकते कि यह अच्छा कानून है, आपको साबित करना होगा कि यह किस प्रकार किसानों के लिये लाभकारी है.’
क्रांतिकारी किसान यूनियन (पंजाब) के प्रेस सचिव अवतार सिंह मेहमा ने आरोप लगाया कि सरकार का यह दावा झूठा है कि कुछ किसान तीन कानूनों का समर्थन करते हैं. मेहमा ने कहा कि, ‘हमने दिल्ली आने से पहले कांग्रेस, और शिरोमणि अकाल दल और आम आदमी पार्टी जैसे राजनीतिक दलों पर निशाना साधा था, तो हम इन राजनीतिक दलों के द्वारा कैसे गुमराह किये जा सकते हैं.’
वहीं चालीस किसान यूनियनों के संयुक्त किसान मोर्चे के एक वरिष्ठ नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि, ‘प्रधानमंत्री ने अपने सार्वजनिक भाषण में कहा कि एमएसपी बरकरार रहेगी, तो फिर वह इसकी कानूनी गारंटी देने से क्यों डर रहे हैं? सरकार इसे लिखित में क्यों नहीं दे सकती?’ कक्का ने आरोप लगाया कि, ‘प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को अपने भाषण के दौरान किसानों को बांटने का प्रयास किया…चुनाव रैलियों में वह कहते हैं कि उनकी सरकार ने एम एस स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों के आधार पर एमएसपी तय की है, लेकिन अदालत में वे कहते हैं कि ऐसा करना संभव नहीं है.’
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इसके साथ ही अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के सचिव अविक साहा ने केन्द्र सरकार से पूछा कि वह एमसएसपी की कानूनी गारंटी क्यों नहीं दे देती? साहा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को केवल छह राज्यों के किसानों के संबोधित किया है. साहा ने पूछा कि प्रधानमंत्री ने प्रदर्शनकारी किसानों के मुद्दों पर बात क्यों नहीं की?
आपको बता दें, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों सहित देशभर के हजारों किसान तीन कृषि कानूनों के खिलाफ बीते लगभग एक महीने से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा जमाए हुए हैं. ये सभी किसान संगठन बकानूनों को वापस लेने से कम कुछ भी स्वीकार करने को राजी नहीं है, जिसके चलते सरकार और उनके बीच अब तक कम से कम पांच दौर की वार्ता बेनतीजा रही है.