Politalks.News/Delhi. किसान आंदोलन को करीब 8 महीने हो गए हैं. मोदी सरकार द्वारा पिछले साल तीन कृषि कानून बनाए गए थे, जिसका कई किसान संगठन विरोध कर रहे हैं. दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसानों के आंदोलन के बीच आज से प्रदर्शनकारी जंतर-मंतर पर जुटे. इधर कांग्रेस पार्टी लगातार केंद्र सरकार से तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग कर रही है. संसद के दोनों सदनों में इस मसले को उठाया जा रहा है. मानसून सत्र में मुख्य रूप से पेगासस जासूसी मामले को लेकर बवाल हो रहा है, लेकिन कृषि कानून के मसले पर भी हंगामा हो रहा है.
संसद परिसर में कांग्रेस का प्रदर्शन
संसद के मानसून सत्र में विपक्ष द्वारा मोदी सरकार पर लगातार हमला किया जा रहा है. गुरुवार को संसद का सत्र शुरू होने से पहले कांग्रेस के सांसदों ने गांधी स्टैच्यू के पास प्रदर्शन किया. राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस सांसदों ने ये प्रदर्शन किया,राहुल गांधी के अलावा लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, लोकसभा सदस्य मनीष तिवारी, गौरव गोगोई, रवनीत बिट्टू, राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा और कई अन्य सांसद इस धरने में शामिल हुए. कांग्रेस सांसदों ने ‘काले कानून वापस लो’ और ‘प्रधानमंत्री न्याय करो’ के नारे लगाए.
जंतर-मंतर पर किसानों का हल्ला बोल
कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर बीते आठ महीनों से आंदोलन कर रहे किसान संगठन आज दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने पहुंचे हैं. कई महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसान अब हर रोज जंतर-मंतर पर जुटे हैं. संयुक्त किसान मोर्चा ने इसे ‘किसान संसद’ का नाम दिया है. संसद के मानसून सत्र के बीच तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जंतर-मंतर पर किसानों के विरोध को देखते हुए सिंघू बॉर्डर पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. पूरा इलाका छावनी में तब्दील कर दिया गया है. 26 जनवरी को हिंसा के बाद पहली बार है जब किसानों को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति दी गई है. अब सवाल यही है कि क्या किसानों का प्रदर्शन शांतिपूर्वक होगा. क्या आने वाले दिनों में भी किसान संयम बनाए रखेंगे?
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दूध की जली दिल्ली पुलिस छाछ भी फूंक-फूंक कर पी रही!
दिल्ली पुलिस के अनुसार 200 किसानों का एक समूह पुलिस की सुरक्षा के साथ बसों में सिंघू बॉर्डर से जंतर-मंतर लाया गया है. जंतर मंतर पर सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक विरोध प्रदर्शन की अनुमति है. कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान यूनियनों का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) को इस बारे में एक शपथपत्र देने के लिए कहा गया है कि सभी कोविड नियमों का पालन किया जाएगा और आंदोलन शांतिपूर्ण होगा.
9 अगस्त तक कोरोना प्रोटोकॉल के तहत होगा प्रदर्शन
किसानों को प्रदर्शन के लिए दिल्ली पुलिस ने कोई लिखित इजाजत नहीं दी है. हालांकि दिल्ली सरकार से उन्हें धरना-प्रदर्शन की औपचारिक इजाजत मिली है. इस आदेश के मुताबिक 9 अगस्त तक सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक 200 प्रदर्शनकारी धरना दे सकते हैं. धरने में शामिल सभी किसानों को कोरोना नियमों का पालन करना होगा.
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दिल्ली ने 26 जनवरी को देखा था तांडव
दिल्ली में इस समय आपदा प्रबंधन कानून लागू है, जिसके चलते कहीं भी कोई जमावड़ा नहीं हो सकता. लेकिन किसानों के आंदोलन के लिए दिल्ली सरकार ने दिशानिर्देशों में संशोधन किया और इजाजत दी. इसी साल 26 जनवरी को पूरे देश ने दिल्ली में हुए तांडव को देखा था. हजारों प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़ दिये थे, पुलिस से भिड़ गए थे और लाल किले की प्राचीर पर एक धार्मिक ध्वज फहराया था. इसको देखते हुए एक बार फिर किसानों और दिल्ली पुलिस की अग्निपरीक्षा है.
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कृषि कानून रद्द करने पर अड़े हैं किसान
किसानों की मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दी जाए. हालांकि सरकार का कहना है कि ये कानून किसानों के हित में हैं. सरकार और प्रदर्शन कर रहे किसानों के बीच कई दौर की वार्ता बेनतीजा रही है.