Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार को समर्थन दे रही दो विधायकों वाली भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने सरकार से बुधवार को समर्थन वापस ले लिया. अभी हाल ही गहलोत सरकार पर आए सियासी संकट के दौरान बीटीपी ने सरकार को समर्थन दिया था. हालांकि बीटीपी के समर्थन वापसी से गहलोत सरकार को कोई नुकसान नहीं है, लेकिन फिर भी प्रदेश कांग्रेस ने भविष्य की चिन्ता करते है बीटीपी के गढ़ ट्राइबल एरिया में सेंध लगाने की पूरी तैयारी कर ली है.
बीटीपी के गढ़ में सेंध लगाने की जिम्मेदारी यूथ को, महापुरुषों की जयंती पर फोकस
पूर्वी राजस्थान की आदिवासी बेल्ट में कांग्रेस के वोटों में सेंध लगाने वाली भारतीय ट्रायबल पार्टी के गढ़ में सेंधमारी के लिए कांग्रेस ने नया प्लान तैयार किया है. अपनी यूथ विंग के जरिये कांग्रेस वागड़ के इस वोट बैंक को फिर से साधने में जुट गई है. इसके लिए कांग्रेस ने पहली बार आदिवासियों के महापुरुष गोविन्द गुरु की जयंती को अपनी सेंधमारी का माध्यम बनाया. गोविंद गुरु की जयंती के मौके पर युथ कांग्रेस की और से प्रदेश भर में कई कार्यक्रम आयोजित किये गए. पहली बार हुए ऐसे कार्यक्रमों को देखकर खुद बीटीपी के नेता अचंभित थे. यह पहला मौका है जब आदिवासियों के इन प्रतीकों को इतने बड़े स्तर पर महत्व दिया गया. दरअसल, कांग्रेस को डर है कि बीटीपी और एआईएमआईएम का संभावित गठजोड़ इस क्षेत्र में उसके वोट बैंक को जबरदस्त तरीके से प्रभावित करेगा.
यह भी पढ़ें: राजनीति का घटिया स्तर: अब पूर्व मंत्री के बेटे ने विधायक को बताया उठाईगिरा, जेबकतरा और बदबूदार
आदिवासी बाहुल्य 8 जिलों में वन धन विकास योजना
आदिवासी बहुल इलाकों में अपना प्रभाव मजबूत करने की दिशा में कांग्रेस की गहलोत सरकार ने आदिवासी जिलों के विकास पर फोकस तेज कर दिया है. इसके तहत राज्य के जनजाति उपयोजना, सहरिया तथा माडा क्षेत्र के 8 जिलों में ट्राईफेड के माध्यम से वन धन विकास योजना लागू होगी. प्रमुख शासन सचिव जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग शिखर अग्रवाल ने बताया कि यह योजना प्रारम्भ में राज्य के 8 जिलों उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, सिरोही, कोटा, बारां तथा झालावाड़ में लागू की जा रही है.
बीटीपी ने समर्थन लिया वापस, ये रही बड़ी वजह
भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने अशोक गहलोत सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. बीटीपी के प्रदेश अध्यक्ष वेलाराम घोघरा ने बुधवार को सरकार से समर्थन वापसी की घोषणा कर दी. बीटीपी का आरोप है कि सरकार ने उनकी 17 सूत्रीय मांगों में से एक भी पूरी नहीं की. वहीं हाल ही में डूंगरपुर में जिला प्रमुख चुनाव में कांग्रेस और भाजपा ने बीटीपी को हराने के लिए हाथ मिला लिए थे, जिसके चलते बीटीपी नाराज चल रही थी.
यह भी पढ़ें: प्रदेश में नए साल 2021 का आगाज रहेगा फीका, सरकार ने जश्न, समारोह व आतिशबाजी पर लगाई रोक
दरअसल, डूंगरपुर जिले में जिला परिषद की कुल 27 सीटें हैं. इस बार के चुनाव में बीटीपी को निर्दलीय के रूप में 13 सीट मिलीं तो वहीं आठ सीट पर भाजपा और छह सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. ऐसी परिस्थिति में बीटीपी का बोर्ड बनना लगभग तय था लेकिन ऐन वक्त पर भाजपा कांग्रेस ने अपनी रणनीति के तहत सूर्या अहारी को जिला प्रमुख प्रत्याशी के रूप में निर्दलीय नामांकन कराया और बीटीपी का जिला प्रमुख बनने रोक दिया. इस मामले में बीटीपी के प्रदेश अध्यक्ष वेलाराम घोघरा का कहना है कि कांग्रेसी नेताओं से बीटीपी को समर्थन देने की बात हुई थी लेकिन समर्थन नहीं देकर धोखा किया गया है. इसलिए सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा की है.
भाजपा ने भी स्वीकारी थी हाथ मिलाने की बात, बीटीपी के नक्सलियों से रिश्ते को बताया था कारण
भाजपा-कांग्रेस के हाथ मिलाने की बात खुद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां ने स्वीकार की थी. पूनियां ने इस सवाल के जवाब में कहा था, हमने जिला स्तर के नेताओं काे कहा था कि उन्हें जो उचित लगे, वो करें. यही नहीं पूनियां ने बीटीपी के नक्सलियों से सम्बंध होने का आरोप लगाते हुए कहा था कि हमें बीटीपी के नक्सली नेताओं से रिश्ते की बात पता चली थी, इसलिए वहां हमने कांग्रेस से हाथ मिलाया.
यह भी पढ़ें: कश्मीर में बेशक भाजपा को मिली मुस्कुराने की वजह लेकिन घाटी की सियासत में लड़ाई अभी लंबी
वेलाराम बोले- अनुसूचित क्षेत्र को अशांत करने की साजिश चल रही है
वहीं बीटीपी के प्रदेशाध्यक्ष वेलाराम ने कहा कि एक सोची समझी साजिश के तहत कांग्रेसी नेता अपनी पार्टी में गुटबाजी दिखा रहे हैं और अनुसूचित क्षेत्र के लोगों को गुमराह कर रहे हैं. कांग्रेस और बीजेपी एक थे और आज भी एक हैं. जिला प्रमुख डूंगरपुर चुनाव में गठबंधन कर उन्होंने साबित कर दिया है. वेलाराम ने कहा कि नगर परिषद व नगर पालिका चुनाव में बीटीपी अपने उम्मीदवार उतारेगी. बीटीपी पर नक्सलवाद के लगाए आरोपों पर वेलाराम ने कहा कि जिन नेताओं ने बीटीपी पर नक्सलवाद की ट्रेनिंग लेने के आरोप लगाए हैं वह साबित करें कि कहां-कहां ट्रेनिंग सेंटर हैं, कब तक कितने लोगों ने ट्रेनिंग ली है. बीटीपी को भाजपा नेताओं के बयानों से लगता है कि अनुसूचित क्षेत्र को अशांत करने की साजिश चल रही है.