Politalks.News/Rajasthan. दौसा में एक निजी क्लिनिक में कार्यरत डॉ अर्चना शर्मा के सुसाइड मामले में प्रदेश की सियासत गरमा गई है. चिकित्सा मंत्री प्रसादी लाल मीणा के विधानसभा क्षेत्र लालसोट में सोमवार को डिलीवरी के दौरान एक प्रसूता की मौत हो गई थी. इसके बाद परिजनों ने डॉक्टर के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया. हत्या का मामला दर्ज होने के बाद डॉ अर्चना शर्मा डिप्रेशन में आ गई और मंगलवार को उन्होंने सुसाइड कर लिया. अर्चना शर्मा के कमरे से एक सुसाइड नोट भी मिला है. इस पुरे मामले को लेकर अब प्रदेश की सियासत गरमा गई है. एक तरफ जहां बीजेपी प्रदेश सरकार पर सवाल उठा रही है तो वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस घटना को दुर्भागयपूर्ण बताते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने की बात कही है.
दरअसल, सोमवार को लालसोट के खेमावास निवासी लालूराम बैरवा अपनी पत्नी आशा देवी (22) की डिलीवरी कराने के लिए आनंद हॉस्पिटल लेकर आए थे. महिला चिकित्सक एवं गोल्ड मेडलिस्ट सर्जन अर्चना शर्मा ने लालूराम की पत्नी की दोपहर में डिलीवरी करा दी लेकिन इस दौरान उसकी मौत हो गई. इधर, गुस्साए परिजनों ने लालसोट थाने में रिपोर्ट दी थी. इसके बाद डॉ.अर्चना शर्मा के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया. हत्या का मामला दर्ज होने के बाद अर्चना शर्मा डिप्रेशन में आ गई. मंगलवार सुबह 11 बजे कमरे में फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया.
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डॉ अर्चना शर्मा के कमरे से एक सुसाइड नोट भी मिला है. उन्होंने लिखा कि, ‘मैंने कोई गलती नहीं की, किसी को नहीं मारा, मेरा मरना शायद मेरी बेगुनाही साबित कर दे. मैं मेरे पति, बच्चों से बहुत प्यार करती हूं. कृपया मेरे मरने के बाद इन्हें परेशान नहीं करना. पीपीएच कॉम्पलिकेशन है. इसके लिए डॉक्टर को इतना प्रताड़ित करना बंद करो. मेरा मरना शायद मेरी बेगुनाही साबित कर दे. DONT HARASS INNOCENT DOCTORS, Please, LUV U please मेरे बच्चों को मां की कमी महसूस नहीं होने देना.’ डॉ अर्चना शर्मा के इस सुसाइड मामले को लेकर जहां एक ओर प्रदेश की सियासत गरमाई हुई है तो वहीं सेवारत चिकित्सक संघ भी इस घटना को लेकर आक्रोशित है.
इस पुरे मामले को गम्भीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, ‘दौसा में डॉ. अर्चना शर्मा की आत्महत्या की घटना बेहद दुखद है. हम सभी डॉक्टरों को भगवान का दर्जा देते हैं. हर डॉक्टर मरीज की जान बचाने के लिए अपना पूरा प्रयास करता है परन्तु कोई भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना होते ही डॉक्टर पर आरोप लगाना न्यायोचित नहीं है. अगर इस तरह डॉक्टरों को डराया जाएगा तो वे निश्चिन्त होकर अपना काम कैसे कर पाएंगे.’ सीएम गहलोत ने अपने अगले ट्वीट में लिखा कि, ‘हम सभी को सोचना चाहिए है कि कोविड महामारी या अन्य दूसरी बीमारियों के समय अपनी जान का खतरा मोल लेकर सभी की सेवा करने वाले डॉक्टरों से ऐसा बर्ताव कैसे किया जा सकता है. इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है एवं दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.’
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चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि, ‘घटना दुखद है, ऐसा नहीं होना चाहिए था. प्रशासन की लापरवाही है. मामला धारा 302 में दर्ज नहीं होता तो वो आत्महत्या नहीं करती, पुलिस अधिकारियों की नासमझी है, सुसाइड नोट के अनुसार कार्रवाई होगी.’ डॉक्टर की आत्महत्या मामले में अब बीजेपी भी हरकत में आ गई है. सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा की दिग्गज नेत्री वसुंधरा राजे ने इस घटना को दुखद बताया. मैडम राजे ने ट्वीट कर लिखा कि, ‘पुलिस के भय से महिला चिकित्सक डॉ.अर्चना द्वारा आत्महत्या करने की घटना से मन बहुत आहत है. डॉ.अर्चना वही चिकित्सक है जिसने अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए कोरोना काल में लोगों की जान बचाई. इस घटना की निष्पक्ष जाँच होनी चाहिये.’
वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां ने ट्वीट कर लिखा कि, ‘एक डॉक्टर के खिलाफ पुलिस का यह रवैया कि धारा 302 के तहत उस पर आपराधिक मामला दर्ज कर ले और वह भी सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के खिलाफ जाकर, क्योंकि कांग्रेस नेताओं का दबाव था. आखिर प्रदेश में चल क्या रहा है, गृहमंत्री क्या सिर्फ कठपुतली है. यह एक डॉक्टर नहीं, सिस्टम की आत्महत्या है.’ वहीं डॉक्टर अर्चना शर्म के सुसाइड मामले में विरोध प्रकट करते हुए डॉक्टरों ने आज जयपुर मेडिकल एसोसिएशन से स्टैच्यू सर्किल तक रैली निकाली. इस दौरान कई जगहों पर जाम भी लगा और पुलिस ने डॉक्टरों को रोड से हटाया. धरने, प्रदर्शन और पैदल मार्च के बीच डॉक्टर्स और पुलिस के बीच भी तू तू मैं मैं हुई और झड़प भी हुई.