‘जो करना हो कर लें, नहीं मानेंगे नीतीश सरकार का फैसला..’ जिद पर अड़ी RJD

बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी को सरकारी आवास खाली कराने का मामला बनता जा रहा नीतीश सरकार का सिरदर्द, आरपार की लड़ाई लड़ने को तैयार राजद, बताया राजनीतिक प्रतिशोध

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बिहार विधानसभा चुनाव के बाद राज्य सरकार बन चुकी है और निर्णय लेना शुरू हो गया है लेकिन करारी हार के बावजूद लालू प्रसाद यादव और उनकी पार्टी के तेवर नरम नहीं हुए हैं. उन्होंने हाल ही में लिए गए नीतीश सरकार के फैसले को सिरे से नकारते हुए मानने से इनकार कर दिया. इतना ही नहीं, पार्टी ने उक्त फैसले को कानून के तहत नहीं, बल्कि राजनीतिक दुर्भावना का चोला भी पहचाना है. अब इस मामले में सरकार, संबंधित विभाग और राजद में ठन गयी है.

दरअसल, बिहार की राजनीति इस समय उस सरकारी आवास को लेकर विवादों में घिरी है, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी पिछले दो दशकों से रह रही हैं. भवन निर्माण विभाग ने हाल ही में 10 सर्कुलर रोड स्थित इस सरकारी बंगले को खाली करने का नोटिस जारी किया है, जिसके बाद राजनीतिक माहौल एक बार फिर गर्म हो गया. हालांकि राबड़ी को दूसरा बंगला अलॉट किया गया है लेकिन लालू परिवार इसे खाली करने के मूड में नहीं दिख रहा है और सरकार से आरपार की लड़ाई लड़ने को तैयार है. राजद ने इस सरकारी फैसले को सीधे-सीधे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है.

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इस संबंध में राजद के प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल ने नीतीश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा, ‘यह कार्रवाई कानून के तहत नहीं, बल्कि राजनीतिक दुर्भावना के कारण की जा रही है. राबड़ी देवी को यह आवास 20 साल पहले आवंटित किया गया था और इतने वर्षों तक किसी भी सरकार ने इसे खाली कराने की पहल नहीं की. यदि यह आवास वाकई अनुचित तरीके से कब्जे में था, तो बीते दो दशकों में इसे क्यों नहीं उठाया गया? कुछ भी करना पड़े, बंगला खाली नहीं करेंगे.’

पार्टी प्रदेश अध्यक्ष ने दावा किया कि वर्तमान राज्य सरकार जानबूझकर लालू परिवार को निशाना बना रही है. सरकार का उद्देश्य राजनीतिक दबाव बनाना है और यह कदम केवल केंद्र की नाराज़गी दूर करने या विश्वास हासिल करने के लिए उठाया गया है. मंडल का कहना है कि लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के प्रति सरकार की नीतियों में ‘पूर्वाग्रह और शत्रुता’ स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है.

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राबड़ी देवी को आवास खाली कराने का यह मामला अब बिहार की राजनीति में नया मोड़ ले चुका है.पार्टी ने साफ संकेत दे दिया है कि वह इस मुद्दे पर पीछे नहीं हटेगी, जबकि सरकार का दावा है कि यह कार्रवाई नियमों के अनुरूप है. अब देखना यह होगा कि विवाद कानूनी मोड़ लेता है या राजनीतिक टकराव और तेज़ होता है.

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