GujaratAssemblyElections. गुजरात विधानसभा चुनावों का घमासान अब अपने चरम पर है. गुजरात में 182 सीटों पर विधानसभा चुनाव होने हैं. गुजरात में दलित मतदाताओं का काफी दबदबा है. वैसे तो ये पूरे गुजरात में फैले हुए हैं लेकिन राज्य की 25 विधानसभा सीटों पर इनकी तादात बहुतायत में है. गुजरात में दलित आबादी की संख्या 8 फीसदी है. ये सभी 25 विधानसभा सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों का ही बराबर का कब्जा है. ये सभी 25 सीटें दोनों दलों की जीत हार और सियासी समीकरणों को बनाने बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाती है. हालांकि आम आदमी पार्टी के इस बार सभी सीटों पर उतरने की वजह से इन वोट शेयर में बिखराव हो सकता है.
इन 25 विधानसभा सीटों में से अधिकांश मध्य गुजरात और उत्तर गुजरात में स्थित हैं. इनमें से 13 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं जबकि अन्य 12 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां दलित मतदाता की आबादी 10 फीसदी से ज्यादा है. इन सीटों के मतदाता उम्मीदवार या पार्टी की हार जीत तय करने में सक्षम हैं. उक्त में से 13 विधानसभा सीटों पर दलित मतदाताओं की संख्या 30 फीसदी से ज्यादा है. ये सभी सीटें अपने आप में काफी अहमियत रखती हैं.
बात करें पिछले गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 की, तो उक्त 13 सीटों में से 7 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा जमाया था. अन्य 5 पर कांग्रेस और एक सीट पर कांग्रेस के समर्थन से निर्दलीय उम्मीदवार जिग्नेश मेवाणी ने जीत हासिल की थी. जिग्नेश मेवाणी ने वडगाम से चुनाव लड़ा और उन्हें कांग्रेस का पूरा समर्थन हासिल था.
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हालांकि इससे पहले हुए चुनावों में इन सभी सीटों में से एक या दो को छोड़कर सभी सीटों पर बीजेपी का एकछत्र राज रहा है. हालांकि धीरे धीरे बीजेपी की पकड़ इन सीटों पर ढीली पड़ने लगी. 1995 में हुए गुजरात विधानसभा चुनावों में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इन 13 सीटों में से एक दो को छोड़ सभी सीटों पर बीजेपी उम्मीदवार जीतकर सदन में पहुंचे थे. इसके बाद बीजेपी का वोट शेयर घटने लगा.
2007 में बीजेपी ने 11 और 2012 में 10 सीटों पर विजयश्री प्राप्त की. जबकि कांग्रेस ने 2007 में दो और 2012 में तीन सीटों पर जीत दर्ज की.पिछले गुजरात विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने इन 13 में से 7 सीटों पर जीत हासिल की थी. कांग्रेस ने 5 सीटों पर कब्जा जमाया. इनमें से गढ़ाडा विस सीट से कांग्रेस विधायक प्रवीण मारू ने 2020 में इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए. गढ़ाडा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी के आत्माराम परमार ने जीत हासिल की.
अब तक गुजरात में हुए सभी विधानसभा चुनावों में दलित मतदाताओं का वोट शेयर बीजेपी और कांग्रेस के बीच बंटता आ रहा है. इनके एक फीसदी शेयर अन्य पार्टियों या फिर निर्दलीयों के हिस्से में गए हैं. 2017 में हुए विस चुनावों में कांग्रेस ने पाटीदार वोटों का फायदा उठाते हुए 53 फीसदी वोट शेयर अपने हिस्से में ले लिए. लेकिन इस बार ऐसा होना थोड़ा मुश्किल दिख रहा है.
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वजह है आम आदमी पार्टी. इस बार ये सभी दलित मतदाता तीन हिस्सों में बंटे हुए दिखाई दे सकते हैं. एक सर्वे के मुताबिक, इस विधानसभा चुनावों में 37 फीसदी वोट शेयर बीजेपी, 34 फीसदी वोट शेयर कांग्रेस और 24 फीसदी वोट शेयर आप पार्टी के पक्ष में जाता हुआ दिख रहा है. अन्य वोट शेयर बसपा, AIMIM और अन्य स्थानीय पार्टियों के हिस्से में जा सकते हैं. यहां यह भी बताया जा रहा है कि इन 13 में से 6 से 7 सीटों पर बीजेपी का कब्जा होगा लेकिन कांग्रेस के हाथ में केवल दो से तीन सीटें ही आने वाली हैं. शेष सीटें आम आदमी पार्टी के खाते में जाते दिख रही है. यानी आप पार्टी कांग्रेस के वोटर शेयर में एक बड़ी सेंधमारी कर सकती है. कहना गलत है कि तीनों बड़ी पार्टियों में से जो दलित वोटर शेयर में बड़ा हिस्सा मार ले गया, उसके हाथ बड़ी जीत लग सकती है और यही अंतर हार जीत के समीकरणों को अपने पक्ष में कर सकता है.