Politalks.News/Bharat. अभी कुछ समय पहले ही भारत महाशक्तिशाली देशों के साथ ‘कदमताल‘ करने लगा था. विश्व भर में भारत की ताकत का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डंका बजने का दावा किया जा रहा था. हाल के वर्षों में भारत ने कूटनीति के स्तर पर दुनिया भर में अपनी ‘धाक‘ जमाई. पिछले वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी की शुरुआत में सख्त लॉकडाउन लगाकर दुनिया में ‘वाहवाही‘ बटोरी थी. उस समय कई देशों ने इस महामारी को काबू में करने के लिए भारत की नीतियों की सराहना भी की थी. लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में हम लचर स्वास्थ्य व्यवस्था और सरकारों के देर से लिए गए फैसलों की वजह से ‘गड़बड़ा‘ गए.
आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत ‘लाचार‘ देश की तरह आ खड़ा हुआ है. ‘दुनिया भर में शक्तिशाली नेता के रूप में उभरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार देश के हालातों को जमीनी स्तर पर समझने में काफी देर कर दी‘. देश के कई शहरों के अस्पतालों में ऑक्सीजन न मिलने पर सैकड़ों लोगों की तड़प-तड़प कर हुई मौत की तस्वीरें अब भारत से निकलकर दुनियाभर के टॉप मीडिया समूहों की फ्रंटलाइन बनती जा रही है. ‘अंतरराष्ट्रीय मीडिया हरिद्वार में महाकुंभ आयोजन, पांच राज्यों के चुनाव कराने, बड़ी-बड़ी रैली करने पर मोदी सरकार पर तमाम सवाल उठा रही हैं‘.
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दूसरी ओर बेकाबू होती जा रही महामारी और खराब हेल्थ सिस्टम के आगे मजबूर मोदी सरकार दुनिया से मदद की गुहार लगा रही है. भारत सरकार के आग्रह पर आज कई देश मदद करने के लिए आगे आए हैं. लेकिन मोदी सरकार के ‘सिस्टम‘ पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. कोविड-19 के बढ़ते मामलों से जूझ रहे भारत को अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने चिकित्सा उपकरण और सामग्री भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. एक ओर जहां ब्रिटेन ने उपकरण भेजे हैं तो वहीं फ्रांस ने भी ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए हाथ बढ़ाया है. उधर बाइडन प्रशासन ने भी कहा है कि वह भारत को मदद उपलब्ध कराने के लिए 24 घंटे काम कर रहा है.
वहीं ब्रिटेन ने भारत को जीवनरक्षक सहायता की पहली खेप भेजी है, जो मंगलवार को नई दिल्ली पहुंच गई. इसमें वेंटिलेटर और ऑक्सीजन जैसी चीजें शामिल हैं. वहीं फ्रांस ने कहा कि वह भारत को ‘पर्याप्त चिकित्सा सहायता’ की आपूर्ति करेगा ताकि देश को कोरोना वायरस संक्रमण की एक बड़ी लहर से निपटने में मदद मिले. भारत में होने वाले शिपमेंट में ऑक्सीजन जनरेटर, रेस्पिरेटर और क्रायोजेनिक कंटेनर शामिल होंगे, जो अगले सप्ताह के अंत में शुरू हो जाएगा. भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुअल लेनिन ने कहा कि अगले कुछ दिनों में फ्रांस भारत को न केवल तत्काल राहत प्रदान करेगा, बल्कि दीर्घकालिक क्षमता वाली मदद भी करेगा. इसके अलावा यूरोपीय संघ ने भी भारत को मदद का आश्वासन दिया है. वहीं ऑस्ट्रेलिया के स्वास्थ्य मंत्री ग्रेग हंट ने कहा कि उनका देश भारत को ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और पीपीई किट भेजेगा. सऊदी अरब ने भारत को 80 मीट्रिक टन तरल ऑक्सीजन भेजी है. भारतीय वायुसेना सिंगापुर से चार क्रायोजेनिक टैंक लेकर भारत पहुंची है.
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जनवरी-फरवरी में हुई सरकार से सबसे बड़ी भूल, मान लिया कि महामारी अब जा चुकी है
इस साल जनवरी और फरवरी महीने में कोरोना के मामले भारत में बेहद कम हो गए थे. फरवरी के मध्य तक देश में केवल 11 हजार मामले आ रहे थे. हर दिन मरने वालों का साप्ताहिक औसत भी घटकर 100 के नीचे पहुंच गया था. फिर क्या था ‘केंद्र और राज्य सरकारों के साथ नीति निर्माताओं ने जश्न मनाना शुरू कर दिया‘. जिस चीज पर पाबंदी लगाई गई थी जैसे स्कूल, धार्मिक स्थल, बाजार, मॉल रेस्टोरेंट आदि सभी खोलने के आदेश जारी कर दिए गए. इसके बाद लोग भी बेपरवाह होकर बिना मास्क पहने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना भूल गए.
वहीं फरवरी के आखिरी दिनों में केंद्रीय चुनाव आयोग ने पांच राज्यों पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान भी कर दिया. जिसमें सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल में निर्वाचन आयोग ने 8 चरणों में चुनाव का एलान किया. बंगाल में तो अभी एक चरण का चुनाव होना भी बाकी है जो कि 29 अप्रैल यानी कल होना है. इसके बाद इन राज्यों में राजनीतिक दलों ने बड़ी-बड़ी चुनावी जनसभाएं शुरू कर दी. रैलियों में सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क का कोई पालन नहीं किया गया. इस बीच निर्वाचन आयोग भी ‘खामोश‘ बैठा रहा. इस बीच कोरोना महामारी तेजी के साथ बढ़ती जा रही थी. वहीं नेता चुनावी जनसभाएं लगातार किए जा रहे थे. हालत यह हो गई कि मार्च के मध्य आते-आते देश में एक बार फिर संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी के साथ बढ़ने लगी. उसके बावजूद भी बंगाल में चुनाव प्रचार उसी रफ्तार से जारी रहे. जब देश में हर दिन दो लाख से ऊपर संक्रमित मरीज मिलने लगे तब केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को इस महामारी का सच समझ में आने लगा.
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दूसरी सबसे बड़ी भूल यह रही कि उत्तराखंड में नए मुख्यमंत्री नियुक्त हुए तीरथ सिंह रावत ने पद संभालते ही हरिद्वार में जारी कुंभ के आयोजन को खुली छूट दे दी. यही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कुम्भ में अनिवार्य रुप से कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट लाने के आदेश को हटाकर तीरथ सिंह ने देश को खतरे में डालने का अपराध किया है. कोरोना के मामले बढ़ने लगे तब भी तीरथ सरकार ने कुंभ के आयोजन पर समय रहते रोक नहीं लगाई गई. जिससे यह महामारी अपने विकराल रूप में आ खड़ी हुई है. कोरोना संक्रमण की यह दूसरी लहर बहुत ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है और इसने भारत के शहरों को बुरी तरह जकड़ लिया है.
अब हालात यह है कि देश के अस्पतालों में न बेड हैं, न ऑक्सीजन है और न ही जीवन रक्षक दवाइयां, चारों तरफ मौतों पर बिलखते परिजनों की चित्कार और ऑक्सीजन वे रेमेडिसिवर लिए मचा हाहाकार है. कोविड-19 ने भारत को बहुत ही बीमार और लाचार अवस्था में ला कर रख दिया है. अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत मदद की गुहार लगाने के लिए मजबूर है.