गहलोत सरकार में भाजपा नेताओं को राजनीतिक नियुक्ति देने से भड़के कांग्रेसी, मंत्री बोले- CMO ने किया तय

गहलोत सरकार में चरितार्थ हो रही- 'घर का पूत कुंवारा डोले, पडोसियां का फेरा' वाली कहावत, गहलोत सरकार के खिलाफ जनाक्रोश यात्रा के जिला प्रभारी की जिम्मेदारी निभा चुके भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश संयोजक ग्यारसी लाल मीणा को बनाया जयपुर द्वितीय जिला आयोग अध्यक्ष, वहीं बांसवाड़ा के सदस्य के तौर पर कमलेश शर्मा की नियुक्ति की गई जो भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ से जुड़े हैं

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Political Appointments to BJP Leaders in Gehlot Government: राजस्थान की एक प्रसिद्ध कहावत- घर का पूत कुंवारा डोले, पडोसियां का फेरा, आजकल प्रदेश में सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी पर सटीक बैठ रही है. गहलोत सरकार के तीसरे कार्यकाल में कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ताओं को सत्ता में भागीदारी के लिए राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार ही बना रहा है. संक्षिप्त में कहा जाए तो गहलोत सरकार का यह कार्यकाल राजनीतिक नियुक्तियों के मामले में सवालों के घेरे में ही रहा है, फिर चाहे वह रिटायर्ड अधिकारियों को राजनीतिक नियुक्तियां देने से जुड़ा मामला हो या फिर राजनीतिक नियुक्तियों में हुई देरी. ताजा घटनाक्रम में तो मामला एक कदम और बढ़ गया है. दरअसल, कांग्रेस सरकार में बीजेपी से जुड़े नेताओं को नियुक्तियों में जगह मिलने से नया विवाद खड़ा हो गया है. जिला उपभोक्ता जयपुर सेकेंड के अध्यक्ष और बांसवाड़ा में मेंबर पदों पर की गई इन नियुक्तियों पर कांग्रेस नेताओं ने विरोध शुरू कर दिया है.

आपको बता दें, 13 मार्च को प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने जिला उपभोक्ता आयोगों में 12 अध्यक्ष और आठ मेंबर बनाए थे. अब इसमें राज्य आयोग और जिला आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति पर विवाद खड़ा हो गया है. विवाद यह है कि जयपुर द्वितीय जिला आयोग के अध्यक्ष ग्यारसी लाल मीणा और बांसवाड़ा के सदस्य के तौर पर कमलेश शर्मा की नियुक्ति की गई है, जिन्हें जिला आयोग का पूर्णकालिक अध्यक्ष और सदस्य नियुक्त किया गया है. जबकि ग्यारसी लाल मीणा भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश संयोजक व भाजपा विधि विभाग के महासचिव के पद पर तैनात हैं तो वहीं बांसवाड़ा के कमलेश शर्मा भी भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ से जुड़े हैं. अब इन दोनों की नियुक्तियों से सवाल यह खड़े हो गए हैं कि क्या कांग्रेस के पास ऐसे योग्य नेताओं की कमी है, जिन्हें यह राजनीतिक नियुक्तियां दी जा सके या फिर सरकार को अंधेरे में रखकर यह नियुक्तियां की गई हैं? इसे ही कहते हैं-
‘घर का पूत कुंवारा डोले, पडोसियां का फेरा’.

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सबसे बड़ी बात, जिला उभोक्ता आयोग अध्यक्ष बनाए गए ग्यारसीलाल मीणा को बीजेपी एसटी मोर्चे ने हाल ही में गहलोत सरकार के खिलाफ जनाक्रोश यात्रा के जिला प्रभारी की जिम्मेदारी भी दी थी. बीजेपी एसटी मोर्चे के प्रदेशाध्यक्ष जितेंद्र मीणा के साइन लेटर में इसका जिक्र है. कांग्रेस नेता इस लेटर को शेयर करते हुए सवाल उठा रहे हैं. उक्त दोनों ही नियुक्तियों पर कांग्रेस नेताओं ने भारी विरोध जताया है. सोशल मीडिया पर कांग्रेस लीगल सेल से जुड़े वकीलों ने कड़ा विरोध जताते हुए तल्ख कमेंट्स किए हैं. जयपुर सेकेंड जिला उपभोक्ता आयोग अध्यक्ष बनाए गए ग्यारसीलाल मीणा की बीजेपी के कार्यक्रमों की फोटो शेयर किए जा रहे हैं. कांग्रेस हाईकमान को की गई शिकायत में भी इसका जिक्र करते हुए यह लेटर साथ लगाया है. कांग्रेस से जुड़े वकीलों ने इसे लेकर सीएम को ज्ञापन भेजे हैं, अलग अलग तरीके से विरोध जता रहे हैं.

मैं नहीं जानता, सीएमओ से पूछो- खाचरियावास
वहीं उपभोक्ता आयोग में हुई नियुक्तियों को लेकर जब खाद्य और उपभोक्ता मामलात मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास से बात की गई तो मंत्री जी भी नाराज ही नजर आए. प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि मैं नहीं जानता ग्यारसीलाल मीणा और कमलेश कौन हैं? उपभोक्ता आयोगों में ये जो नियुक्तियां हुई हैं, उनके बारे में मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) से ही पूछिए, वहीं से सब तय हुआ है. जबकि आपको बता दें कि उपभोक्ता आयोग में हुई नियुक्तियों के लिए खाद्य और उपभोक्ता मामले के मंत्री तक भी फाइल जाती है.

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यह पहली बार नहीं है कि जब भाजपा के नेताओं को वर्तमान कांग्रेस सरकार में राजनीतिक नियुक्तियां मिली हो. इससे पहले भी भाजपा के मीडिया संपर्क विभाग के आनंद शर्मा की पत्नी को जिला उपभोक्ता मंच में सदस्य बनाया गया था. वहीं, कई पार्षदों को भी राजनीतिक नियुक्तियां दी गई थी. इतना ही नहीं, महिला कांग्रेस में तो भाजपा से जुड़ी नेताओं को अध्यक्ष भी बना दिया गया था, लेकिन विवाद बढ़ने लगा तब उनकी नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया. इस मामले में राजस्थान कांग्रेस के पूर्व महासचिव और विधि प्रकोष्ठ के पूर्व अध्यक्ष सुशील शर्मा ने भी सवाल उठाए हैं. साथ ही इन दोनों ही नियुक्तियों को तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग सरकार से की है

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