कांग्रेस को अगले महीने मिलेगा फुल टाइम अध्यक्ष या इस बार कोरोना बनेगा ब्रह्मास्त्र ?

कांग्रेस के रणनीतिकारों के सामने अगले महीने फिर से खड़ा होगा फुल टाइम अध्यक्ष का मसला, क्या कांग्रेस को अध्यक्ष मिलेगा या फिर टलेगा मामला, पांच राज्यों के चुनाव परिणाम तय करेंगे आगे की रणनीति, परिणाम अनुकूल आया तो और प्रतिकूल आया तो भी मुसीबत नहीं होगी कम, फिलहाल अगर रास्ता नहीं भी मिला तो कोरोना करेगा ब्रह्मास्त्र का काम

कांग्रेस को अगले महीने मिलेगा फुल टाइम अध्यक्ष?
कांग्रेस को अगले महीने मिलेगा फुल टाइम अध्यक्ष?

Poilitalks.News/Rajasthan. अगले महीने कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव हो जाएगा या चुनाव अभी टला रहेगा? यह लाख टके का सवाल है, जिसका जवाब कांग्रेस का कोई नेता नहीं दे रहा है सभी कांग्रेसी नेता पांच राज्यों के चुनाव के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं. अगर कांग्रेस केरल में सरकार बना लेती है और तमिलनाडु में सहयोगी पार्टी डीएमके की सरकार बन जाती है और असम में विधानसभा त्रिशंकु हो जाती है तो इसका श्रेय केवल राहुल गांधी को जाएगा. ऐसे में राहुल जब चाहें तब अध्यक्ष बन सकते हैं, यहां तक कि कोई भी अध्यक्ष के चुनाव को लेकर कोई आवाज भी नहीं उठाएगा. लेकिन अगर केरल और असम के नतीजे अनुकूल नहीं आए तो कांग्रेस नेताओं का एक समूह तत्काल अध्यक्ष के चुनाव की मांग कर देगा, यह भी तय है.

खैर, गांधी परिवार के अच्छी खबर यह है कि अभी तो ऐसे कोई भी हालात बनते हैं तो कोरोना का ब्रह्मास्त्र बाकी है, जिसके बहाने पार्टी अध्यन का चुनाव थोड़े दिन और टाला जा सकता है. लेकिन कोरोना के नाम पर भी चुनाव ज्यादा लम्बा नहीं टलेगा. महीने-दो महीने में जब केसेज कम होंगे तब चुनाव कराना ही होगा. आपको बता दें, मई-जून में संभावित पार्टी अध्यक्ष के चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनावों के नतीजे भी बहुत मायने वाले हैं. प्रियंका गांधी की टीम कांग्रेस को चुनाव लड़ा रही है. अगर कांग्रेस का प्रदर्शन ठीक-ठाक नहीं रहता है तो पार्टी के अंदर प्रियंका गांधी की बातों का वजन भी कम होगा. अब तक वे परिवार के प्रति समर्पित और बागी नेताओं के बीच संतुलन का काम देखती रही हैं.

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इस बीच राहुल गांधी की ब्रांडिंग का काम उनकी टीम ने शुरू कर दिया है. कुछ तो हालात भी ऐसे बने, जिसमें राहुल गांधी की कही बातें सही साबित होने लगीं. भारतीय जमीन पर चीन के कब्जे और कोरोना वायरस की दूसरी लहर की भविष्यवाणी से लेकर, 45 साल से ऊपर के सभी लोगों के लिए वैक्सीन की मंजूरी की मांग, दुनिया की हर वैक्सीन के भारत में इस्तेमाल की इजाजत की मांग, बोर्ड की परीक्षाएं टालने और बंगाल चुनाव प्रचार बंद की मांग जैसी कई बातें हैं, जिनमें राहुल सही साबित हुए. सो, अपने आप भी सोशल मीडिया में उनको लेकर माहौल बना कि वे एक गंभीर और समझदार नेता हैं. वहीं कुछ लोगों ने तो सोशल मीडिया पर ये भी ट्रेंड करवा दिया कि असली ‘पप्पू कौन’ है?

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कोरोना वायरस से लड़ाई और अर्थव्यवस्था की बुरी हालत ने केंद्र सरकार और खास कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशासकीय क्षमता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. वहीं पिछले सात साल के अपने आक्रामक अभियान की वजह से उनके सामने राहुल का कद कुछ ऊंचा हुआ है. सोशल मीडिया पर आजकर राहुल की भद भी कम पिट रही है और मानें या ना मानें राहुल गांधी आजकल सधे हुए बयान भी दे रहे हैं. लोग उन्हें और उनके बयानो को अब सीरियस लेने लगे हैं. राहुल गांधी की टीम के नेता इस स्थिति का फायदा उठा सकते हैं. उन्होंने अपनी तरफ से भी राहुल की ब्रांडिंग को हवा दी है. इस बीच कांग्रेस के बागी नेता हाशिए पर आ गए हैं. उनके ऊपर से फोकस हटा है. ऐसे में राहुल गांधी की नई ब्रांडिंग उनको फायदा पहुंचा सकती है.

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