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राजस्थान में कांग्रेस की सत्ता होने के बावजूद लोकसभा चुनाव में पार्टी के खाता नहीं खोलने से राहुल गांधी बेहद नाराज हैं. उनके सीधे निशाने पर हैं सूबे के सीएम अशोक गहलोत. बताया जा रहा है कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में राहुल गांधी ने इस पर खुलकर नाराजगी जाहिर की. राहुल ने कहा कि वो खुद गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को जोधपुर से टिकट देने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन गहलोत ने प्रेशर बनाकर वैभव को टिकट दिला दिया.

सूत्रों के मुताबिक गहलोत ने अहमद पटेल, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और अविनाश पांडे के जरिए राहुल पर वैभव को टिकट देने का दबाव बनाया. राहुल ने कहा कि अगर वैभव को टिकट नहीं देते तो गहलोत सभी 25 सीटों पर विशेष फोकस रखते और पार्टी का सूपड़ा साफ नहीं होता. खबर है कि राहुल के पास आधा दर्जन से ज्यादा कांग्रेस प्रत्याशियों ने भी यह शिकायत की है कि सारे मंत्री उन्होंने जोधपुर में प्रचार में लगा दिए थे.

सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी इसलिए ज्यादा खफा है कि अशोक गहलोत ने पार्टी हित से ज्यादा पुत्र मोह को तरजीह दी. उन्होंने बेटे के टिकट के लिए दिल्ली में डेरा डाल लिया था. मैं नहीं चाहता था कि वैभव को टिकट मिले, लेकिन यूपीए अध्यक्ष सोनिया, प्रियंका, अहमद पटेल और अविनाश पांडे के जरिए वैभव को जोधपुर से टिकट देने की सिफारिश कराई. गहलोत ने टिकट मिलने के बाद कई मंत्रियों और विधायकों को जोधपुर में प्रचार में लगा दिया, जिसके चलते वो अपनी विधानसभा में पार्टी प्रत्याशियों के लिए वोट नहीं मांग सके.

सूत्रों के मुताबिक मानवेंद्र सिंह ने हरीश चौधरी, ज्योति मिर्धा ने महेंद्र चौधरी, मदन मेघवाल ने बीडी कल्ला, रिजु झुंझुनवाला ने रघु शर्मा और कृष्णा पूनिया ने लालचंद कटारिया के जोधपुर में डेरा डालने की शिकायतें आलाकमान तक पहुंचाई. ये नेता अगर अपनी विधानसभा में भी प्रचार करते तो इसका फर्क जरूर पड़ता, लेकिन गहलोत न तो अपने बेटे को जीत दिला सके और न ही दूसरी जगह ज्यादा प्रचार के लिए जा सके.

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सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी के गहलोत से नाराज होने की एक वजह और भी बताई जा रही है. जब राजस्थान में सीएम बनाने को लेकर खींचतान चल रही थी तब राहुल गांधी ने सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और अहमद पटेल जैसे नेताओं के दवाब में सचिन पायलट की जगह अशोक गहलोत को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया था.

इसके पीछे यह तर्क दिया गया कि गहलोत के सीएम रहते हुए कांग्रेस लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करेगी, लेकिन अब परिणाम बाद यह तर्क तार-तार आ चुका है. लिहाजा राहुल अब शायद गहलोत को माफ करने के पक्ष में नहीं दिख रहे. अगर राहुल अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देते है तो अशोक गहलोत की कुर्सी पर भी खतरा मंडरा सकता है. हालांकि गहलोत यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि मोदी की आंधी में सभी समीकरण ध्वस्त हो गए. यह देखना रोचक होगा कि सीएम के इस तर्क से कांग्रेस आलाकमान कितना सहमत होता है.

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