Politalks.News/HimachalPradesh. देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस पर मुसीबतों का साया छंटने के बजाए और ज्यादा गहराता जा रहा है. एक तरफ जहां पार्टी के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी का साथ छोड़ दिया तो उनके पीछे पीछे चुनावी मौसम में जम्मू कश्मीर के कई नेताओं ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. लेकिन अब जो कांग्रेस पार्टी के सामने और बड़ी मुसीबत जो आने की संभावना बन रही है वो है पार्टी के अन्य दिग्गज नेता. हाल ही में बीते रोज गुलाम नबी आजाद के घर पर महाराष्ट्र कांग्रेस के दिग्गज नेता पृथ्वीराज चव्हाण और हरियाणा कांग्रेस के कर्ता धर्ता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दिग्गज नेता आनंद शर्मा की मुलाकात ने आलाकमान की नींद उड़ा दी हैं. इसी बीच G-23 गुट के दूसरे बड़े नेता आनंद शर्मा इन दिनों अपने बगावती तेवरों को लेकर चर्चा में हैं. आनंद शर्मा ने हाल ही में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की संचालन समिति से इस्तीफा दे दिया था, तो वहीं अब बुधवार को आयोजित हुए पार्टी के मेनिफेस्टो प्रोग्राम से आनंद शर्मा किनारा कर लिया. आनंद शर्मा इस प्रोग्राम में शामिल नहीं हुए जिसके बाद से सियासी गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म हो गया है. सियासी जानकारों कि मानें तो जल्द ही आनंद शर्मा भी कांग्रेस का दामन छोड़ सकते हैं. वहीं कांग्रेस ने आज विधानसभा चुनावों की तारीखों के एलान से पहले प्रदेश की जनता को 10 गारंटी दी.
आपको बता दें, हिमाचल प्रदेश सहित अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों का कभी भी ऐलान हो सकता है. जिसके चलते सूबे में सियासी सरगर्मियां बहुत तेज हो गई हैं. आम आदमी पार्टी की तर्ज पर कांग्रेस ने भी हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बुधवार को गणेश चतुर्थी के मौके पर सूबे की जनता को 10 गारंटी देने का ऐलान किया है. शिमला में छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री और हिमाचल कांग्रेस के मुख्य चुनाव पर्यवेक्षक भूपेश बघेल ने कांग्रेस पार्टी की 100 गारंटी योजनाओं की घोषणाओं का एलान करते हुए कहा कि, ‘कांग्रेस पार्टी चुनाव जीतने पर प्रदेश में पुरानी पेंशन स्कीम लागु करेगी, महिलाओं को हर महीने 1500 रूपये दिए जाएंगे, 300 यूनिट फ्री बिजली, युवाओं को 5 लाख रोजगार, बागबान तये करेंगे फलों की कीमत, युवाओं के लिए 680 करोड़ रूपये का स्टार्टअप फण्ड, मोबाइल क्लिनिक, हर विधानसभा में 4 इंग्लिश मीडियम स्कूल, गाय पालकों से खरीदा जाएगा प्रतिदिन 10 लीटर दूध और साथ ही 2 रूपये किलो में होगी गोबर की खरीदी.’
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कांग्रेस पार्टी जहां इन वादों के साथ चुनाव जीतने के दावे भर रही है तो वहीं प्रदेश के दिग्गज नेता आनंद शर्मा ने आलाकमान की मुश्किलें बढ़ा रखी है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के पार्टी छोड़ने के बाद एक और सीनियर लीडर आनंद शर्मा भी बगावती मूड में दिख रहे हैं. हिमाचल प्रदेश से आने वाले शर्मा ने बुधवार को पार्टी के मेनिफेस्टो प्रोग्राम से किनारा कर लिया. इससे पहले शर्मा ने 21 अगस्त को हिमाचल कांग्रेस की संचालन समिति के अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे दिया था. हालांकि तब उन्होंने कहा था कि वे विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों के लिए वोट जरूर मांगेंगे. सियासी जानकारों का कहना है कि लेकिन अगर आप पार्टी के मैनिफेस्टो प्रोग्राम में ही भाग नहीं ले रहे तो फिर आपके अन्य वादों का क्या. वहीं कुछ सूत्रों का तो ये भी कहना है कि आजाद के बाद अब आनंद शर्मा भी पार्टी को अलविदा कहने वाले हैं.
यहां आपको बता दें कि आनंद शर्मा के पार्टी छोड़ने के सूत्रों को इस वजह से हवा मिल रही है क्यों कि उन्होंने पिछले 5 दिनों में गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस छोड़ने के बाद दो बार मुलाकात की है. मंगलवार को आनंद शर्मा, पृथ्वीराज चव्हाण और भूपिंदर सिंह हुड्डा आजाद से मिलने पहुंचे थे. तीनों के बीच करीब 2 घंटे तक बातचीत हुई. इससे पहले, आनंद शर्मा 27 अगस्त को आजाद से मिलने उनके सरकारी आवास गए थे. इस मुलाकात और पार्टी की मीटिंग में शामिल ना होने को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा है कि आनंद शर्मा भी जल्द ही आजाद की राह पर चलने वाले हैं. गुलाम नबी आजाद ने जहां कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर पार्टी छोड़ने का सारा ठीकरा फोड़ दिया तो आनंद शर्मा ने भी 28 अगस्त को CWC की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव को लेकर सवाल उठाया था. उन्होंने अपने चिर परिचित अंदाज में कहा था कि, ‘ब्लॉक, जिले और राज्य स्तर पर चुनाव नहीं हो रहे हैं. ना तो अध्यक्ष पद के लिए वोटरों की संख्या बताई जा रही है. शर्मा के सवाल उठाने के बाद सोनिया गांधी ने कांग्रेस इलेक्शन कमेटी के चेयरमैन मधुसूदन मिस्त्री को इसे देखने का आदेश दिया था.
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बता दें कि, आनंद शर्मा कांग्रेस में बागी गुट G-23 के सबसे मुखर सदस्यों में से एक हैं और वे कभी गांधी परिवार के बेहद करीबी भी रहे हैं. पेशे से वकील आनंद शर्मा की राजनीति में एंट्री संजय गांधी के समय में हुई थी. बाद में वे पूर्व पीएम राजीव गांधी की कोर टीम में शामिल हो गए. आनंद शर्मा हिमाचल प्रदेश से आते हैं, लेकिन वे कभी चुनाव नहीं लड़े. हिमाचल की लोकल पॉलिटिक्स में शर्मा ने कई बार पकड़ बनाने की कोशिश भी की, लेकिन पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के विरोध की वजह से उनकी कोशिश सफल नहीं हो सकी. कांग्रेस ने 2004 में हिमाचल से, 2010 में राजस्थान से और 2016 में हिमाचल से शर्मा को राज्यसभा में भेजा. शर्मा मनमोहन सरकार में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री रह चुके हैं.