पॉलिटॉक्स ब्यूरो. राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस द्वारा खेला गया किसान कर्जमाफी (Kisan Karjamafi) का सफल कार्ड अब हरियाणा के चुनाव में भी खेला जाएगा. इन तीनों राज्यों ने यह कार्ड कांग्रेस के लिए कितना फायदेमंद हुआ, ये तो सभी ने देखा है. जैसे ही तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने 10 दिनों में किसान कर्जमाफी की घोषणा की, वैसे ही इसे जनता ने हाथों हाथ लेते हुए तीनों राज्यों की सत्ता कांग्रेस की झोली में डाल दी. हरियाणा में तो कांग्रेस ने एक कदम आगे बढ़कर 10 दिन के बजाय 24 घण्टे में ही किसान कर्जमाफी की घोषणा अपने मैनिफेस्टो में कर दी है.
अब तीनों ही प्रदेशों में कितने किसानों को कितनी कर्जमाफी दी गई, इस बात को अशोक गहलोत, कमलनाथ और भूपेश बघेल से बेहतर भला कौन जान सकता है. अब यही सफल कार्ड कांग्रेस हरियाणा में भी खेलने की तैयारी कर रही है. कांग्रेस का इस कार्ड को खेलने की सबसे बड़ी वजह ये है कि तीन राज्यों में ग्रामीण जनता को बहलाने वाला ये अमृतबाण ठीक निशाने पर लगा था. अब इसी कर्जमाफी रूपी रामबाण को लेकर कांग्रेस हरियाणा के चुनावी दंगल में उतरी है.
कांग्रेस ने हरियाणा में कर्जमाफी (Kisan Karjamafi) के साथ एक और दांव खेला है. राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव जीतने के बाद 10 दिनों में कर्जमाफी की बात कही गई थी लेकिन इस बार ये कारनामा केवल 24 घंटों यानि एक दिन में दोहराया जाएगा. अब पार्टी ये काम कैसे करेगी, ये तो बाद की बात है लेकिन इस गुगली से कांग्रेस प्रदेश के किसानों में पैठ बनाने की कोशिश जरूर कर रही है. 24 घंटे में कर्जमाफी अगर एक बार किसानों के दिमाग में बैठ गई तो हरियाणा में कांग्रेस की सत्ता बन सकती है, इसमें कोई शक नहीं.
#IbbkeCongress का संकल्प है कि किसान की फसल का एक-एक दाना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदा जाएगा। फसल खराबी पर मुआवज़ा 12 हज़ार रूपए प्रति एकड़ के हिसाब से दिया जाएगा।
”संकल्प हमारा, समृद्ध किसान और खुशहाल हरियाणा।” pic.twitter.com/eVumo0ymJA
— Haryana Congress (@INCHaryana) October 11, 2019
दरअसल कांग्रेस ने शुक्रवार को जनता की अदालत में अपना चुनावी संकल्प पत्र ‘संकल्प हमारा, खुशहाल हरियाणा’ पेश किया. बीस पन्नों के संकल्प पत्र में 17 प्रमुख एजेंडे शामिल कर कांग्रेस ने दिल खोलकर वादे किए हैं जिसमें 24 घंटे में किसान कर्जमाफी, महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 33 फीसदी आरक्षण, पुरानी पेंशन नीति लागू करने, निजी संस्थानों में महिला आरक्षण और कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष करने सहित कई बातों का जिक्र है. इसके साथ ही दो एकड़ तक के किसानों और 300 यूनिट तक घरेलू उपभोक्ताओं को फ्री बिजली, मॉब लिंचिंग कानून, पंचायती राज चुनाव लड़ने के लिए निर्धारित शैक्षणिक योग्यता खत्म करने और वृद्धावस्था पेंशन 5100 रुपये करने की बात भी कही गई है.
इस संकल्प पत्र को हरियाणा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा, प्रदेश कांग्रेस प्रभारी गुलाम नबी आजाद, सीएलपी लीडर भूपेंद्र सिंह हुड्डा, घोषणा पत्र कमेटी चेयरमैन किरण चौधरी, सह चेयरमैन आफताब अहमद व सदस्य सुरेश गुप्ता ने जारी किया.
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वैसे देखा जाए तो राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में किसान कर्जमाफी (Kisan Karjamafi) के सरकारी और वास्तविक आंकड़ों में रात दिन का फर्क है. तीनों राज्यों में सरकार बनते ही तीनों मुख्यमंत्रियों ने दिल खोलकर कर्जमाफी के प्रमाण पत्र किसानों को बांटे लेकिन सच पहले दिन से ही सामने आने लगा. पूर्ण कर्ज माफी की जगह राजस्थान में 50 हजार, मध्य प्रदेश में एक लाख और छत्तीसगढ़ में दो लाख रुपये का कर्जा माफ किया गया. बाद में पता चला कि बड़े-बड़े वायदे कर जो प्रमाण पत्र किसानों को बांटे गए वे रद्दी के भाव से बंटे और ऐसे बंटे कि अधिकांश बैंकों ने इसे मानने से इनकार कर दिया क्योंकि बैंकों को इस बारे में सरकार की ओर से कोई अपडेट नहीं आया.
कर्जमाफी के वादे के बाद भी राजस्थान और मध्य प्रदेश में किसानों की वास्तविक स्थिति किसी से छिपी नहीं. विपक्ष आए दिन इस मुद्दे को लेकर राज्य सरकार को घेर रहे हैं. पार्टी के खुद के नेता भी इस बात पर कोई भी बयान देने से बचते फिर रहे हैं. ऐसे में हरियाणा में किसान कर्जमाफी (Kisan Karjamafi) का कार्ड कांग्रेस को कितना फलेगा और सत्ता पलट करेगा, ये देखना मजेदार रहेगा. खैर, कांग्रेस का ये दिव्यास्त्र कितना असरदायक होगा, ये तो आगामी 24 तारीख को पता चल ही जाएगा. साथ ही ये भी पता चल जाएगा कि कांग्रेस के थोथे वादों में हरियाणा के किसान फंसते हैं या फिर यहां की जनता कांग्रेस की सच्चाई से वाकिफ हो चुकी है.