देवभूमि में धामी को ही कमान या कोई नया नाम? सूत्र- हाईकमान के तय नाम पर प्रधान-गोयल लगवाएंगे मुहर

कौन बनेगा उत्तराखंड का सीएम? धामी के चुनाव हारने से अटकी कांटी! सात विधायक धामी के लिए सीट छोड़ने के लिए तैयार, हाईकमान धामी को देगी मौका या सामने आएगा नया चेहरा, दिल्ली से देहरादून तक मीटिंग्स का दौर जारी, अब प्रधान और गोयल को दी गई बड़ी जिम्मेदारी

देवभूमि में धामी को ही कमान या कोई नया नाम?
देवभूमि में धामी को ही कमान या कोई नया नाम?

Politalks.News/Uttrakhand. राजनीति में संयोग और नेता की किस्मत कैसे काम करती है, इसकी मिसाल उत्तराखंड (Uttrakhand Politics) है. पिछले साल जुलाई में भाजपा ने पांच साल के कार्यकाल में तीसरी बार मुख्यमंत्री बदला था और तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) की जगह दो बार के विधायक पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) को सीएम बनाया था. धामी ने बदलाव की राजनीति की और अपने युवा चेहरे से एंटी इन्कम्बैंसी को खत्म किया. इसका नतीजा हुआ कि पार्टी चुनाव जीत गई लेकिन खुद धामी खटीमा सीट से हार गए. अब सवाल है कि भाजपा उनको ही फिर मुख्यमंत्री बनाएगी या कोई नया चेहरा लाया जाएगा? ध्यान रहे भाजपा के पास राज्य में धामी को लेकर छह पूर्व मुख्यमंत्री हैं. पार्टी सातवां मुख्यमंत्री बनाएगी या पिछले छह में से किसी को मौका मिलेगा? उत्तराखंड की सीएम रेस में धनसिंह रावत, सतपाल महाराज, रमेश पोखरियाल निशंक, अजय भट्ट सहित अन्य नाम चर्चा में हैं. आलाकमान ने केन्द्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान व पीयूष गोयल को पर्यवेक्षक बनाया है. पार्टी नेतृत्व की ओर से जो नाम तय होगा उस पर उनको मुहर लगवानी है.

आलाकमान के पास है ये विकल्प
उत्तराखंड में अगला मुख्यमंत्री चुनने को लेकर बीजेपी में मंथन का दौर जारी है. बीजेपी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, पार्टी नेतृत्व के सामने नए सीएम के चयन को लेकर फिलहाल तीन विकल्प हैं. सूत्रों के अनुसार, बीजेपी का एक धड़ा पुष्कर सिंह धामी को ही दोबारा मुख्यमंत्री बनाने की हिमायत कर रहा है. वहीं दूसरा विकल्प पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों में से ही किसी एक को मुख्यमंत्री बनाने का है. इसके अलावा एक तीसरा विकल्प विधायकों से नहीं बल्कि किसी सांसद को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी देने पर मंथन चल रहा है. एक अन्य बात जो सामने आ रही है कि किसी ब्राह्मण को सीएम की सीट पर बैठाया जा सकता है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री चयन के दौरान 2024 के लोकसभा चुनावों को भी ध्यान में रखा जाना है.

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रावत और सतपाल महाराज रेस में आगे!
आपको बता दें कि उत्तराखंड के सात विधायकों ने धामी के लिए अपनी सीट छोड़ने की पेशकश की है. इन विधायकों का कहना है कि पार्टी धामी के नाम पर जीती है तो उन्हीं को सीएम बनाना चाहिए. दूसरी ओर एक बार फिर धन सिंह रावत और सतपाल महाराज के नाम की चर्चा शुरू हो गई है. पार्टी के विधायक बंशीधर भगत के नाम की भी चर्चा है, पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के नाम की भी चर्चा है पर उनके साथ मुश्किल यह है कि उनको बनाया गया तो विधानसभा की कोई सीट खाली करा कर उनको चुनाव लड़ना होगा.

बाहर से बलूनी और भट्ट की चर्चा
विधायकों से जुदा यदि पार्टी बाहर से मुख्यमंत्री के चेहरा तलाशती है तो उसके लिए दो प्रमुख नामों की चर्चा शुरू हो गई है. इनमें राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी और केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट के नाम लिए जा रहे हैं.

प्रधान और गोयल सुलझाएंगे गुत्थी
उत्तराखंड में भेजे गए दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गीय और केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने अपनी रिपोर्ट दे दी है. अब केन्द्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान व पीयूष गोयल पर्यवेक्षक बनाए गए हैं. पार्टी नेतृत्व की ओर से जो नाम तय होगा उस पर उनको मुहर लगवानी है.

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क्या ब्राह्मण चेहरे पर दांव खेलेगा आलाकमान?
सूत्रों की माने तो आलाकमान के एक अन्य गणित को भी ध्यान में रखने की बातें सामने आ रही हैं. कहा जा रहा है कि यूपी में ठाकुर समाज से आने वाले योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनाए जाने के चलते उत्तराखंड में किसी ब्राह्मण चेहरे को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया जा सकता है. केंद्रीय संगठन महामंत्री बी.एल. संतोष का शनिवार को अजय भट्ट से मिलना इसी का संकेत माना जा रहा है. इस मुलाकात के चलते अजय भट्ट को मुख्यमंत्री रेस में सबसे आगे माना जाने लगा है. इसके अलावा पार्टी के ब्राह्मण चेहरे सुबोध उनियाल, मदन कौशिक, रमेश पोखरियाल निशंक, बंशीधर भगत जैसे ब्राह्मण चेहरे भी इस रेस में शुमार बताए जा रहे हैं. इन सबसे अलग महिला के साथ-साथ ब्राह्मण चेहरे ऋतु भूषण खंडूडी को लेकर भी चर्चा तेज है.

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