गहलोत-पायलट के बीच जारी कोल्डवार, लंबी चुप्पी के बाद सुनाई देने लगी बड़े सियासी तूफान की आहट

एक बार फिर कांग्रेसी दिग्गजों के बीच शुरू हुआ सियासी 'कोल्डवार', गहलोत और पायलट के बीच पिछले एक महीने में तीन बार हुआ वार-पलटवार, जिसकी शुरुआत गहलोत ने की, अब बोले- जो मुझ पर कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं करने का लगाते हैं आरोप, उनके यहां ही नहीं होती है कार्यकर्ताओं की सुनवाई', पायलट ने कुछ दिन पहले कहा था की कुछ लोग चिपके रहना चाहते हैं सीट से, पांच राज्यों के चुनाव के बाद हुई इस बयानबाजी ने बढ़ाई सियासी धड़कनें

जारी सियासी कोल्डवार
जारी सियासी कोल्डवार

Politalks.News/Rajasthan. एक लंबे समय के अंतराल के बाद प्रदेश कांग्रेस की सियासत में एक बार फिर बड़े तूफान की आहट सुनाई देने लगी है. पिछले काफी समय से शांत पड़ी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व पीसीसी चीफ व पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच की अदावत खुलकर सामने आ गई है, या यूं कहें पांच राज्यों के चुनाव के बाद राजस्थान पर आलाकमान के फोकस से पबले एक बार फिर दोनों दिग्गजों के बीच जुबानी तलवारें खींच गईं हैं. पिछले एक महीने में सीएम गहलोत और सचिन पायलट के बीच 3 बार जुबानी वार-पलटवार हुआ है, जिसकी शुरुआत खुद सीएम गहलोत ने की है. इसी कड़ी में रविवार को मुख्यमंत्री आवास पर कांग्रेस के डिजिटल सदस्यता अभियान को लेकर हुई कार्यकर्ताओं की बैठक के दौरान सीएम गहलोत ने सचिन पायलट पर इशारों-इशारों में तंज कसते हुए कहा कि, ‘जो लोग मुझ पर यह आरोप लगाते हैं कि पार्टी के लिए खून-पसीना बहाकर सरकार बनाने वाले कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं होती, तो उनसे मैं यह कहना चाहूंगा कि उनके यहां भी कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं होती.’ किसी का नाम लिए बिना गहलोत के इस तंज पर अब सचिन पायलट या पायलट कैम्प के पलटवार पर सभी निगाहें टिकी हैं.

दरअसल, रविवार को कांग्रेस मेंबरशिप अभियान की धीमी रफ्तार को तेज करने के लिए मुख्यमंत्री निवास पर बुलाई गई बैठक में पार्टी के अंदरूनी हालात पर नेताओं ने जमकर सवाल उठाए. बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि, ‘जो कार्यकर्ता अच्छा काम कर रहे हैं उन्हें मौका मिलना चाहिए. किसी भी सूरत में मेहनत करने वालों की उपेक्षा ना हो. मेरा ऐसा मानना है कि ऐसे लोगों को चिन्हित कर उन्हें आगे बढ़ाएं.’ इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि, ‘राजनीतिक नियुक्तियां समयबद्ध होनी चाहिए. मैं भी इसका पक्षधर हूं कि नियुक्तियों में देरी नहीं होनी चाहिए.’ वहीं बैठक के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इशारों इशारों में सचिन पायलट पर भी निशाना साधा.

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सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि, ‘जो लोग मुझ पर यह आरोप लगाते हैं कि पार्टी के लिए खून-पसीना बहाकर सरकार बनाने वाले कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं होती, उनके यहां भी कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं होती. आरोप लगाने वाले खुद भी कार्यकर्ताओं की नहीं सुनते.’ यहां आपको बता दें कि राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं टोंक विधायक सचिन पायलट कई मौकों पर यह कह चुके हैं कि, ‘खून-पसीना बहाकर पार्टी को सत्ता में लाने वाले कार्यकर्ताओं की सुनवाई हो और उन्हें उचित सम्मान मिले.’ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का यह बयान सचिन पायलट के इसी बयान का जवाब माना जा रहा है.

वहीं राजनीतिक नियुक्तियों का जिक्र करते हुए बैठक के दौरान सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘राजनीतिक नियुक्तियों में देरी पर भी कई बातें हुईं. अब राजनीतिक नियुक्तियां भी हो गईं. कई नेताओं को मौका दिया है. कांग्रेस में हर कार्यकर्त्ता को काम करते रहना चाहिए, पता नहीं कब किसकी लॉटरी लग जाए.’ सीएम गहलोत के इस बयान पर चुटकी लेते हुए कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने मजाकिया लहजे में कहा- ‘जैसे मेरी लग गई.’ डोटासरा के इस कमेंट पर सियासी हलकों में खूब चर्चाएं हो रही हैं. वहीं सीएम गहलोत ने आगे कहा कि, ‘मैं 1977 में चुनाव लड़ा, पार्टी ने सोचा कोई और नहीं है, यह काम कर रहा है तो इसे ही टिकट दे दिया जाए. मुझे भी इसी तरह मौका मिला था. पार्टी जो टास्क दे उसे पूरा करना चाहिए, इसी तरह सब मिलकर मेंबरशिप अभियान में जोर शोर से जुटें.’

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बात करें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट की तो समय पर दोनों ही दिग्गज एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी को कोई भी मौका नहीं छोड़ते. हाल ही में जयपुर के महारानी कॉलेज में आयोजित एक समारोह के दौरान सचिन पायलट ने इशारों इशारों में सीएम गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा था कि, ‘दुर्भाग्य से राजनीति में ज्यादातर लोगों की यह सोच हो जाती है कि कैसे वो अपनी कुर्सी से चिपके रहें, वैसे ये हर फील्ड में होता है लेकिन राजनीति में ज्यादा होता है. ऐसे लोग खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं और ठीक से काम नहीं कर पाते और अपने साथ वालों को साथ लेकर नहीं चल पाते. नेताओं को मन में असुरक्षा की भावना नहीं पालनी चाहिए, नेताओं को लगता है मेरा कार्यकर्ता कहीं आगे ना बढ़ जाए. विधायक को लगता है मेरा कार्यकर्ता मेरा कॉम्पिटिटर ना बन जाए, जीवन में अगर अभिलाषा नहीं है तो जीवन किस काम का.’ इसी कार्यक्रम के दौरान सचिन पायलट ने सीएम गहलोत के बेटे वैभव को लोकसभा टिकट दिलाने के लिए आलाकमान से पैरवी करने की बात का खुलासा करते हुए कहा था कि सोनिया और राहुल गांधी वैभव को टिकट नहीं देना चाहते थे, लेकिन मेरी सिफारिश के बाद वैभव को मिला टिकट.

सियासी हलकों में चर्चा है कि रविवार को कार्यकार्ताओं के साथ सीएमआर में हुई बैठक में सीएम गहलोत ने पायलट के इसी बयान पर पलटवार किया है. हालांकि यहां आपको याद दिला दें की इस कोल्डवार की शुरुआत सीएम गहलोत ने ही कि थी. हाल ही में बजट घोषणाओं पर धन्यवाद ज्ञापित करने आए कार्यकर्ताओं के एक प्रतिनिधिमंडल को सम्बोधित करते हुए सीएम गहलोत ने कहा था कि प्रदेश में गुर्जर आरक्षण आंदोलन के बाद हमारी सरकार बनी और उसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में हमने 25 में से 20 सीटों पर जीत दर्ज की. इन दौरान केंद्र में बनी यूपीए की सरकार में केंद्रीय मंत्रियों के लिए राजस्थान से गुर्जर नेता के रूप में मैंने सचिन पायलट के नाम की सिफारिश की, जबकि उसके बाद पायलट ने मुझे फ़ोन करके केन्द्र में मंत्री बनाने की सिफारिश करने का आग्रह किया, जबकि मै तो पहले ही सिफारिश कर चुका था.

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