Gehlot Government’s Chintan Shivir in Jaipur. साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के चलते गहलोत सरकार अब अपने ही बीते चार सालों के कामकाज की समीक्षा करने में जुटी है. इसके लिए सोमवार को राजधानी के हरिश्चंद्र माथुर लोक प्रशासन संस्थान में दो दिवसीय चिंतन शिविर शुरू हुआ. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में शुरू हुए इस चिंतन शिविर में अलग-अलग सत्रों में मंत्रियों ने अपने-अपने विभागों के कामकाज का प्रेजेंटेशन मुख्यमंत्री के सामने रखा. चिंतन शिविर में तैयारी करके नहीं आने वाले अफसरों को सीएम गहलोत ने फटकार भी लगाई. वहीं पहले दिन के चिंतन शिविर में सबसे अहम फैसला यह लिया गया कि प्रदेश में अब भ्रष्ट अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ ACB में मामला दर्ज होने के बाद उस पर केस चलाने का फैसला करने के लिए हाईपावर कमेटी बनेगी, जो कि एसीबी के मामलों में केस चलाने को मंजूरी देने या नहीं देने का निर्णय लेगी. इसके अलावा शिविर में पेपरलीक कांड और कोटा में प्रोफेसर द्वारा पास करने की एवज में छात्रा से अस्मत मांगने का मामला छाया रहा.
जयपुर में शुरू हुए गहलोत सरकार के 2 दिवसीय चिंतन शिविर के पहले दिन सोमवार को प्रेजेंटेशन की शुरुआत मुख्य सचिव उषा शर्मा के उद्बोधन से हुई. मुख्य सचिव उषा शर्मा ने सरकार के 4 साल का रोड मैप रखते हुए कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में राजस्थान मॉडल स्टेट बन रहा है. शिक्षा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति देखने को मिली है. महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम के स्कूल प्रदेश में खोले गए हैं, विद्यालयों की संख्या में राजस्थान देश में चौथे स्थान पर हैं. 4 सालों में 27 22 घोषणा की गई है जिनमें से 2549 घोषणाओं के लिए 94 फीसदी की वित्तीय स्वीकृति जारी हो चुकी है. चिकित्सा विभाग में 70 फीसदी बजट घोषणा पूरी हो चुकी हैं.
गहलोत सरकार के 2 दिवसीय चिंतन शिविर के पहले दिन सोमवार को यह निर्णय लिया गया कि ACB में ट्रैप हुए, भ्रष्टाचार या आय से ज्यादा संपत्ति के मामलों में केस चलाने की मंजूरी देने में अब विभागों की मनमानी खत्म करके यह अधिकार हाईपावर कमेटी को दिया जाएगा. ऐसे भ्रष्ट अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी देने और रिव्यू करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में यह कमेटी बनेगी. कमेटी में गृह विभाग के एसीएस या प्रमुख सचिव, कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिव और संबंधित विभाग के वरिष्ठ अफसर मेंबर होंगे. वर्तमान में ऐसे करीब 610 मामले पेंडिंग हैं, जिसमें विभाग के स्तर से अनुमति नहीं मिली है. ऐसे में केस कमजोर हो जाता है और इसका लाभ आरोपियों को मिलता है. विपक्ष भी इस तरह के मामलों को लेकर लगातार गहलोत सरकार पर हमलावर है.
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लापरवाह अफसरों को सीएम गहलोत की फटकार
चिंतन शिविर के दौरान लापरवाह अफसरों को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने फटकार लगाते हुए परफॉर्मेंस सुधारने की चेतावनी दी. मंत्रियों के प्रेजेंटेशन के दौरान खूब सवाल-जवाब भी हुए. हर विभाग के प्रेजेंटेशन के दौरान बजट घोषणाओं और कांग्रेस के घोषणा पत्र में किए गए वादों पर हुए काम का रिव्यू किया गया. इस दौरान मुख्यमंत्री गहलोत ने तमाम मंत्रियों को भी कहा कि अपने-अपने विभागों जो जो योजनाएं पेंडिंग हैं, उन्हें जल्द से जल्द धरातल पर उतारा जाए. मुख्यमंत्री के उद्बोधन के बाद कई मंत्रियों ने अपने विभागों का प्रेजेंटेशन सीएम गहलोत के सामने दिया.
पेपर लीक और कोटा का मामला छाया रहा
चिंतन शिविर के पहले दिन पेपर लीक और कोटा आारटीयू में प्रोफेसर का छात्रा से नंबर बढ़ाने के नाम पर अनुचित डिमांड करने जैसे मामलों पर लंबी चर्चा हुई. चिंतन शिविर के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि कोटा मामले को मुख्यमंत्री ने गंभीरता से लिया है. वहीं भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक के मामले पर भी लंबा डिस्कशन हुआ है. सरकार इन मामलों पर सख्त रुख अपनाएगी. कोचिंग और निजी यूनिवर्सिटी पर कंट्रोल के लिए सरकार बिल लाएगी.
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मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने मीडिया से बातचीत में कहा कि भ्रष्ट अफसर-कर्मचारियों के खिलाफ केस चलाने पर फैसले को कमेटी बनाकर मुख्यमंत्री गहलोत ने एसीबी को मजबूत करने का काम किया है. कमेटी जब एसीबी में आए केसों के मामलों को लेकर यह फैसला लेगी कि वह केस चलने लायक है या नहीं है, तो हाई लेवल पर फैसला होगा. केस चलाने की स्वीकृति के लिए एसीबी को विभागों का मुंह नहीं देखना पड़ेगा, इससे एसीबी को मजबूती मिलेगी.
मंत्रियों की अनुपस्थिति बनी चर्चा का विषय
आपको बता दें कि सोमवार को हुई गहलोत कैबिनेट की बैठक और सरकार के दो दिवसीय चिंतन शिविर में चार मंत्री अनुपस्थित रहे. मंत्री विश्वेंद्र सिंह, हेमाराम चौधरी, शकुंतला रावत, राजेंद्र गुढ़ा सुबह कैबिनेट की बैठक और फिर चिंतन शिविर में नहीं आए. वन मंत्री हेमाराम चौधरी कैबिनेट बैठक में नहीं आकर सचिन पायलट के साथ परबतसर सभा के लिए चले गए थे. वहां हेमराम ने अपनी ही गहलोत सरकार को निशाने पर लिया. शाम को हेमाराम चौधरी चिंतन शिविर में पहुंच गए थे. पीएचईडी मंत्री महेश जोशी कैबिनेट की बैठक में शामिल हुए, लेकिन तबीयत खराब होने की वजह चिंतन शिविर में शामिल हुए बिना चले गए.