Rajendra Rathore’s attack on CM Gehlot: राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर खंडपीठ ने जयपुर बम ब्लास्ट केस मामले में 28 याचिकाओं पर फैसला देते हुए बुधवार को उन चारों आरोपियों को बरी कर दिया जिन्हें 4 साल पहले निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी. अब इस मामले को लेकर प्रदेश भाजपा ने गहलोत सरकार पर तुष्टिकरण के आरोप लगाए है और बयानबाजी का दौर जारी है. वही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीपी जोशी ने सीएम गहलोत पर तंज कसते हुए कहा कि कुर्सी बचाने के लिए की थी मजबूत पैरवी और बम ब्लास्ट के आरोपियों को सजा दिलाने में कमजोर साबित हुई है गहलोत सरकार. तो अब दिग्गज बीजेपी नेता और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने गहलोत सरकार पर हमला करते हुए कहा कि जिन परिवारों ने बम ब्लास्ट का दंश झेला है, उन्हें उनके जख्मों पर नमक छिड़कने का काम राज्य के सरकारी तंत्र ने किया है.
राजस्थान विधानसभा में बीजेपी के उपनेता प्रतिपक्ष ने प्रेसनोट जारी करते हुए कहा कि 13 मई 2008 को जयपुर में हुए सीरियल बम ब्लास्ट में 80 से ज्यादा निर्दोष लोगों ने जान गंवाई थी और 180 से ज्यादा परिवारों की खुशियां किसी न किसी रूप में गम में बदली थी. राठौड़ ने आगे कहा कि दुर्भाग्य है कि जयपुर को छलनी करने वाले अत्यंत संवेदनशील मामले में भी सरकार के स्तर पर व्यापक लापरवाही और अनियमितता इस कदर बरती गई कि अब आतंकी खुलेआम घूमेंगे. वहीं जिन परिवारों ने बम ब्लास्ट का दंश झेला है, उन्हें उनके जख्मों पर नमक छिड़कने का काम राज्य के सरकारी तंत्र ने किया है.
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उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने अपने बयान में आगे कहा कि जयपुर बम ब्लास्ट के दोषी सैफुर, मोहम्मद सरवर आजमी, मोहम्मद सैफ व मोहम्मद सलमान को लोअर कोर्ट से सजा मिलने के बाद भी राज्य के गृह व विधि विभाग, एटीएस और एएजी ने जो लापरवाही बरती वह चिंताजनक एवं दुर्भाग्यपूर्ण है. राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि सरकारी तंत्र की इसी घोर लापरवाही के कारण माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय को फांसी की सजा रोकने और उन्हें बरी करना पड़ा, अब राज्य सरकार को बिना देरी किए तत्काल प्रभाव से इस फैसले के खिलाफ माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अपील करनी चाहिए जिसकी पैरवी के लिए वरिष्ठ, अनुभवी कानूनविद को जिम्मेदारी देनी चाहिए.
दिग्गज बीजेपी नेता राठौड़ ने कहा कि एक तरफ सरकारी तंत्र के खिलाफ दोषियों ने अपने गुनाह झूठ साबित करने के लिए वकीलों की खोज खड़ी कर दी वहीं दूसरी तरफ सरकार की तरफ से ब्लास्ट केस से जुड़ी अपीलों में पैरवी के लिए एएजी की नियुक्ति कर इति श्री कर दी. राठौड़ ने आगे कहा कि जबकि वह 48 दिनों तक सुनवाई पर ही नहीं गए और उन्होंने पैरवी की जिम्मेदारी जूनियर सरकारी अधिवक्ता पर छोड़ दी. अगर सरकार वास्तव में दोषियों को कड़ी सजा दिलाने में गंभीर होती तो माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष लचर पैरवी नहीं करती.
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अपने बयान में राजेंद्र राठौड़ ने हमला जारी रखते हुए कहा कि माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय ने इस पूरे मामले में निर्णय देते हुए जांच में ढिलाई के लिए पूरी गलती एटीएस अफसरों की बताई है और कहा है कि आरोपियों पर जो चार्ज लगाए गए हैं, वे कहीं से भी पुख्ता साबित नहीं होते हैं. राठौड़ ने आगे कहा कि सरकारी तंत्र आरोपियों की ना तो दिल्ली से जयपुर यात्रा को साबित कर सका, नाभी बम इम्प्लांट करने को साबित कर पाए हैं, जिसके चलते आरोपियों को बरी किया गया है.
राठौड़ ने CM गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार के मुखिया अंतर्कलह को छिपाने के लिए तो जांच एजेंसियों का बेजा इस्तेमाल करते हैं, अलर्ट मोड पर रहते हैं लेकिन जयपुर को कभी ना भूलने का जख्म देने वाले आतंकियों को सजा दिलाने के लिए मजबूती से पैरवी भी नहीं करवा सके. राठौड़ ने कहा कि ऐसा होना लाजमी भी है क्योंकि पूरा प्रशासनिक अमला गहलोत साहब ने सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों और विपक्ष के जनप्रतिनिधियों के विरुद्ध लगा रखा है. उन्होंने आगे कहा कि इसलिए ही सरकारी तंत्र की नाकामी के कारण कभी राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारा बिगड़ता है तो कभी बम ब्लास्ट के आतंकी बरी हो जाते हैं.