BJP surrounds Gehlot government on Jaipur blast case: जयपुर बम ब्लास्ट केस के दोषियों को राजस्थान हाइकोर्ट द्वारा बरी किए जाने के बाद प्रदेश की सियासत में बयानबाजी का दौर जारी हो गया है. बीते दिन सत्ता पक्ष के विधायक सचिन पायलट ने गृह मंत्रालय को आत्मचिंतन कर जांच करने की मांग की थी तो वहीं इस मामले पर विपक्ष के नेता भी गहलोत सरकार को जमकर घेर रहे है. इस मामले में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीपी जोशी ने सीएम गहलोत पर तंज कसते हुए कहा कि कुर्सी बचाने के लिए की थी मजबूत पैरवी और बम ब्लास्ट के आरोपियों को सजा दिलाने में कमजोर साबित हुई है गहलोत सरकार वहीं पूर्व भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि इतने बड़े संज्ञेय अपराध में आरोपियों का बरी होना अशोक गहलोत सरकार की पैरवी पर शंका पैदा करता है. प्रदेश भाजपा प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने कहा कि जयपुर बम ब्लास्ट में बरी हुए अपराधियों के निर्णय के विरुद्ध गहलोत सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील करे.
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि जयपुर बम ब्लास्ट मामले में सरकार की ओर से कमजोर पैरवी की गई, जबकि राजस्थान सरकार को बचाने के लिए जोरदार पैरवी की गई थी, जिससे यह पूरा मामला सरकार की घोर लापरवाही एवं आरोपियों को सजा दिलाने के प्रति सरकार को संदेह के घेरे में लाता है. सरकार द्वारा इस पूरे मामले में बरती गई असंवेदनशीलता को दर्शाता है. बम ब्लास्ट में राजस्थान के 71 निर्दोष लोगों की जान गई थी, सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए थे, आज भी कई ऐसे लोग हैं जो इस हमले में घायल होने के बाद से दिव्यांग जीवन जी रहे हैं.
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सीपी जोशी ने कहा कि गुलाबी नगरी जो शांति के लिए जानी जाती है, उसकी शांति और सौहार्द को बिगाड़ने का काम जिन्होंने किया उनके खिलाफ सरकार को सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पैरवी कर सजा दिलाये और पीड़ितों को न्याय दिलाएं. पिछले 4 सालों में राजस्थान सरकार ने तुष्टीकरण के चलते कई ऐसे कृत्य किए जिससे यह साफ हो जाता है कि सरकार धार्मिक आधार पर तुष्टिकरण कर रही है, चाहे उदयपुर के कन्हैया लाल हत्यकांड का मामला हो या करौली दंगों का मामला सरकार हर बार तुष्टीकरण की नीति को अपनाती हुई नजर आई है.
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने कहा कि 13 मई 2008 को शांतिपूर्ण शहर जयपुर में बम धमाके हुये, जिसमें 71 लोग मारे गये थे, कालांतर में दिसंबर 2019 में इन्हीं में से एक आरोपी को फांसी की और तीन आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. राजस्थान उच्च न्यायालय ने उन सब आरोपियों को बरी कर दिया है. इतने बड़े संज्ञेय अपराध में उन सबका बरी होना, यह राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार की पैरवी पर शंका पैदा करता है.
पूनियां ने आगे कहा कि जिस तरीके से एटीएस ने सबूत पेश किये, कांट-छांटकर कर पेश किये और न्यायालय ने जिस तरीके से कहा है कि पैरवी ठीक तरीके से नहीं हुई, सबूत ठीक तरीके से नहीं आये, जांच का जो पक्ष है वह शंका पैदा करता है. ऐसे में इस तरीके के संगीन मामले में राज्य सरकार की न्यायिक पैरवी की लापरवाही यह संदेह पैदा करती है. मुझे लगता है कि यह भी कांग्रेस सरकार की तुष्टिकरण की पराकाष्ठा है.
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भाजपा के मुख्य प्रदर्श प्रवक्ता एवं चोमू विधायक रामलाल शर्मा ने कहा कि जयपुर बम बलास्ट के हाईकोर्ट के निर्णय को लेकर जो प्रभावित लोग है वो ही अतिश्योक्ति नहीं कर रहे बल्कि राजस्थान का आम आदमी भी इस फ़ैसले को लेकर अतिशयोक्ति कर रहा है. माननीय न्यायालय ने जैसा कहा कि साक्ष्यों को क्रमबद्ध तरीक़े से और सरकार की पैरोकारी के अंदर कमज़ोरी की वजह से ये निर्णय हुआ है, ये बात तो बिलकुल स्पष्ट है कि राजस्थान की सरकार तुष्टिकरण की राजनीति करने का विचार रखने का काम करती है.
रामलाल शर्मा ने आगे कहा कि सरकार की जाँच एजेंसी और सरकार की पैरोकारी करने वाले डबल एजी इनकी लापरवाही इस पूरे निर्णय को जग ज़ाहिर करने का काम करती है. आज आम आदमी भी इस बात को लेकर दुखी है कि जो निचली कोर्ट के द्वारा फाँसी की सज़ा अपराधियों को सुनाई जाने के उपरांत ऊपर की कोर्ट के अंदर बरी होना, इस बात को इंगित करता है कि राजस्थान के उन 71 लोगों के प्राण ही नहीं बल्कि उन 71 परिवारों के साथ नाइंसाफी हुई है. आम आदमी ये चाहता है कि न्याय होना चाहिए. भाजपा भी माँग करती है कि तत्काल सरकार इस निर्णय के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट के अंदर अपील दायर करें और तत्काल क़ानून के दायरे के अंदर अपराधियों को सजा दिलाने का काम करे.