Politalks.News/Rajasthan/AshokGehlot. देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर लगातार जारी सियासी बयानबाजी में हर तरफ से जो नाम सुनाई दे रहा है वो है अशोक गहलोत. यहां तक कि खुद को अध्यक्ष पद से जोड़ने पर मुख्यमंत्री गहलोत लगातार इनकार करते रहे हैं लेकिन बीते रोज गुरुवार को कोटा-बारां के बाढ़ प्रभावित इलाकों के हवाई दौरे के दौरान दिए सीएम गहलोत के बयान ने इस बात का संकेत दे दिया है कि आलाकमान के आदेश को अब ज्यादा देर तक वो इनकार नहीं कर सकते हैं. बारां के अंता में मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि, ’28 अगस्त को चुनाव का कार्यक्रम घोषित होगा, उसमें तय होगा कि चुनाव का प्रोसेस क्या रहेगा? मैं आपके बीच हूं, मैं थां सूं दूर नहीं हूं. मैं इस प्रदेश से जीवन के अंतिम सांस तक दूर नहीं रहने वाला हूं. चाहे कोई जिम्मेदारी हो, चाहे कुछ भी करूं, मेरे जेहन के अंदर जिस प्रदेश के अंदर पैदा हुआ, जहां के हालात मैंने बचपन से देखे, उससे दूर नहीं रहने वाला.’
हालांकि मुख्यमंत्री गहलोत के इस बयान को कुछ जानकर दिल्ली को दिया गया सख्त सन्देश भी मान रहे हैं. सीएम गहलोत के इस बयान को राजस्थान की राजनीति में लगातार सक्रिय रहने से जोड़कर देखा जा रहा है. माना यह भी जा रहा है कि प्रदेश छोड़कर कहीं नहीं जाने और लगातार जुड़े रहने की बात कहकर सीएम गहलोत ने अपने विरोधियों को साफ संकेत दे दिया है. लेकिन इसी बीच पिछले कई दिनों से कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर खुद के नाम से इनकार कर रहे सीएम गहलोत ने अब यह लाइन ले ली है कि हाईकमान यानी सोनिया गांधी जो कहेंगी वह करेंगे.
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अत्यंत विशेष सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इस बात का साफ अहसास हो चुका है कि अब उन्हें मुख्यमंत्री का पद छोड़ना ही पड़ेगा, लेकिन गहलोत किसी भी हाल में सत्ता की कमान सचिन पायलट के हाथ में नहीं देना चाहते. हालांकि सूत्रों की मानें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सीएम गहलोत को दो टूक कहा है कि आप दिल्ली आकर पार्टी संभालो, राजस्थान को मुझ पर छोड़ दो. इसी बीच जो सबसे अहम बात निकल कर आ रही है वो यह कि पायलट के हाथ में सत्ता नहीं आए और बीजेपी से मुकाबले के लिए पार्टी का एक सार्थक कदम आगे बढ़ाते हुए राजनीति के जादूगर ने दलित महिला कार्ड खेलने का मन बनाया है, यानी आने वाले कई राज्यों के विधानसभा चुनावों को देखते हुए बीजेपी के द्रौपदी मुर्मू वाले कार्ड की काट में और राजस्थान की सत्ता अपने विश्वसनीय के हाथ में रखने के लिए सीएम गहलोत ने दलित महिला विधायक का नाम आलाकमान को सुझा सकते हैं.
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सूत्रों की इस बात को मान लिया जाए और यह भी मान लें कि आलाकमान सीएम गहलोत के सुझाव पर मुहर लगा देती हैं, तो सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि फिर सचिन पायलट का सियासी भविष्य रहने वाला है? क्योंकि प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री दोनों पदों पर पायलट रह चुके हैं और अब मुख्यमंत्री से नीचे कोई और पद न तो बनता है और न पायलट स्वीकार करेंगे… खैर इन सब बातों को देखते हुए इतना जरुर कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में राजस्थान कि राजनीति में जबरदस्त सियासी उथल पुथल देखने को मिलेगी.