Politalks.News/Rajasthan/RajyasabhaElection. बीती 31 मई को राज्यसभा के लिए नामांकन की आखिरी तारीख के बाद से राजस्थान की राजनीति में जारी सियासी बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोपों पर पूर्ण विराम उस समय लग गया जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सभी 6 नाराज विधायकों को साथ लेकर अपने चार्टर विमान से उदयपुर पहुंचे. यही नहीं डबोक एयरपोर्ट पर मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इन सभी विधायकों को मुसीबत का साथी बताया. इस दौरान सीएम गहलोत ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहाकि जिन विधायकों ने क्राइसिस में हमारी सरकार का साथ दिया, भाजपा उनसे उम्मीद ही क्यों कर रही है? सरकार पर आए सियासी संकट के मुकाबले यह राज्यसभा चुनाव तो कुछ भी नहीं है. इतना ही नहीं, सीएम गहलोत ने यह दावा भी किया कि हमने मैजिक नम्बर हासिल कर लिया है और कांग्रेस राज्यसभा की तीनों सीटें जीतेगी.
विधायकों की नाराजगी के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि, बसपा से कांग्रेस में आए विधायक साथ थे, साथ हैं और साथ रहेंगे. सीएम गहलोत ने आगे कहा कि ये लोग बीएसपी के बैकग्राउंड के थे. इन्होंने हमारी सरकार को स्टेबल करने के लिए ही कांग्रेस ज्वॉइन की थी और इन्होंने कोई शर्त भी नहीं रखी थी. अब हो सकता है मान-सम्मान में कोई कमी रही हो, हर विधायक की अपनी कुछ समस्याएं होती हैं. लेकिन छोटी-मोटी नाराजगी थी, हम तीनों सीट आराम से जीतेंगे.
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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि सरकार के क्राइसिस के वक्त या बसपा के कांग्रेस में विलय के वक्त विधायकों के साथ उनके इलाके काम को लेकर कई वादे हुए थे, उनमें कुछ काम नहीं हुए. अब इस वक्त जब वो अपने काम मुझे याद दिला रहे हैं तो क्या गलत है? वो कहीं नहीं जा रहे हैं, वो हमारे साथ हैं और हमने मैजिक नंबर हासिल कर लिया है. भाजपा समर्थित उम्मीदवार को तो कोई उम्मीद करनी ही नहीं चाहिए थी.
वहीं भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाते हुए सीएम गहलोत ने आगे कहा कि जब भी मौका आया है हमने बीजेपी के होर्स ट्रेडिंग के षड़यंत्र को पूरी तरह फेल किया है. जब कोई उद्योगपति मैदान में आता है तो आप मानकर चलो कि वो क्यों आए हैं, वो भी जब संख्याबल नहीं है. वो वोट कहां से लेंगे, क्यों लेंगे. जब हमारे साथ लोग एकजुट हैं तो उनसे बीजेपी वाले कैसे उम्मीद कर सकते हैं, हमारा कुनबा एकजुट है.
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वहीं विधायकों की बाड़ाबंदी और होटल में होने वाली सख्ती को लेकर मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि हम कभी विधायकों के मोबाइल लेते ही नहीं हैं. मोबाइल वो लोग लेते हैं जिनको विश्वास नहीं होता. सतीश पूनिया को पूछों उनकी दुर्गति क्यों हुई? 2020 में क्राइसिस हमारे ऊपर आया हुआ था, वो उन पर शिफ्ट हो गया. क्राइसिस के वक्त भी हमने किसी विधायक का मोबाइल न चेंज किया न बंद किया. बाकी राज्यों में लाखों-करोड़ों रुपए खर्च करते हैं, मगर हमने एक नया पैसा किसी को नहीं दिया, तब भी साथ हैं लोग, यही फर्क है बीजेपी और कांग्रेस में.