ब्यूरोक्रेसी को लेकर खाचरियावास-दिव्या के सवालों पर सीएम गहलोत ने तोड़ी चुप्पी, दिया बड़ा बयान

ब्यूरोक्रेसी को मनमानी करने कौन देगा... ऐसा करने पर उनके खिलाफ हो सकता है एक्शन, विद्या संबल योजना में अगर आरक्षण की कैल्कुलेशन में कहीं गड़बड़ हुई है, तो हो जाएगी ठीक, लेकिन नौकरियां राजस्थान सरकार बड़े रूप में दे रही है और ये है हमारा नीतिगत फैसला- अशोक गहलोत

गहलोत का खरियावास-मदेरणा को जवाब
गहलोत का खरियावास-मदेरणा को जवाब

Ashok Gehlot On Bureaucracy राजस्थान में जैसे जैसे चुनावी साल नजदीक आता जा रहा है वैसे वैसे गहलोत सरकार की मुश्किलें बढ़ती जा रही है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की अदावत तो किसी से छिपी ही नहीं है, लेकिन इसी बीच अगर अन्य सियासी मुद्दों पर पार्टी के मंत्री और विधायक सरकार पर सवाल उठाते हैं तो ये बेहद चिंताजनक हैं. हाल ही में खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा द्वारा सरकारी महकमों में अफसरशाही के हावी होने और अफसरों की ACR मंत्री द्वारा भरने के मुद्दे को लेकर सवाल उठाए थे, जिसके पक्ष और विपक्ष में अन्य मंत्री-विधायकों की बयानबाजी भी सामने आई थी. इस कड़ी में अब मुद्दे के करीब 12 दिन बीत जाने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बड़ी प्रतिक्रिया सामने आई है. सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘ब्यूरोक्रेसी कोई मनमानी नहीं करती है और ना ही कर सकती है. उन्हें कौन मनमानी करने देगा और उन्हें भी पता है ऐसा करने पर उनके खिलाफ एक्शन हो सकता है.’

आपको बता दें कि बीते रोज राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर के बिड़ला सभागार में दो दिवसीय मेगा जॉब फेयर में शिरकत की थी. इस दौरान सीएम गहलोत ने जॉब फेयर में भाग लेंगे पहुंचे युवाओं को सर्टिफिकेट भी प्रदान किए. कार्यक्रम के पश्चात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पत्रकारों से बात करते हुए खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और विधायक दिव्या मदेरणा द्वारा ब्यूरोक्रेसी के सरकारी महकमों में हावी होने से जुड़े सवालों का जवाब दिया. सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘ब्यूरोक्रेसी कोई मनमानी नहीं करती है, ना कर सकती है. कौन करने देगा उनको मनमानी, उनके खिलाफ एक्शन हो सकता है.’ वहीं प्रदेश सरकार द्वारा निकाली गई विद्या संबल योजना के स्थगन को लेकर भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की प्रतिक्रिया सामने आई.

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ब्यूरोक्रेसी की लापरवाही के चलते विद्या संबल योजना के तहत 93000 नौकरियों का प्रोसेस माध्यमिक शिक्षा निदेशक के आदेश से स्थगित होने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि, ‘कई बार ऐसा हो सकता है कि कोई कमी रह जाए, उसके कारण ही ये फैसला लिया गया है. मैं उनको भी कह सकता हूं.’ वहीं जब सीएम गहलोत से सवाल पुछा गया कि, ‘क्या SC ST आरक्षण और बसपा के विरोध के चलते भर्ती प्रोसेस स्थगित करना पड़ा?’ इस पर सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘आरक्षण तो आजकल कानूनी प्रावधान हो गया है. अभी सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर मोहर लगा दी है. आरक्षण की अगर कैल्कुलेशन में कहीं गड़बड़ हुई है, तो ठीक हो जाएगी. कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन नौकरियां राजस्थान सरकार बड़े रूप में दे रही है. ये हमारा नीतिगत फैसला है कि नौकरियां मिलें.’

आपको याद दिला दें कि हाल ही में सूबे के खाद्य मंत्री एवं अपनी बेबाकी के लिए मशहूर प्रताप सिंह खाचरियावास ने राजस्थान में ब्यूरोक्रेसी के हावी होने को लेकर खुलकर नाराजगी जताई थी. खाचरियावास ने सीएम के प्रमुख सचिव कुलदीप रांका और खाद्य विभाग से ट्रांसफर किए गए सचिव को निशाने पर लेते हुए कार्रवाई की मांग भी उठाई थी. प्रतापसिंह खाचरियावास ने कहा था कि- ‘हमारा 46 हजार टन गेहूं लैप्स हो गया. यह महीने भर पहले की बात है. मैंने बैठक बुलाकर अफसरों को डांटा. मैंने सख्त आदेश दिए. जिस तरह आईएएस अफसर काम कर रहे हैं. इसके लिए मैंने सीएम को पत्र लिखा है कि आईएएस अफसरों की एसीआर आप मत लीखिए. एसीआर हमें लिखने दीजिए. अलग-अलग विभागों में अलग-अलग मंत्री हैं. दूसरे राज्यों में आईएएस अफसरों की एसीआर मंत्री भरते हैं. आप जब मंत्रियों को एसीआर भरने का अधिकार देंगे, तब ही आईएएस अफसर सुधरेगा, नहीं तो वो बात नहीं मानेगा.’

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वहीं बमंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के इस बयान के सामने आने के बाद जलदाय मंत्री महेश जोशी ने कहा था कि, ‘मेरे विभाग में मुझे सारे अधिकार है. इस पर खाचरियावास ने यहां तक कह दिया कि महेश जोशी झूठ बोल रहे हैं, गुलामी करने का ही ठेका ले लिया है तो लीजिए.’ दोनों के बीच एक दो दिन सियासी गहमागहमी रही लेकिन बाद में दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद मामला शांत हो गया. तो वहीं दूसरी तरफ ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा ने खाचरियावास की मांग का समथर्न करते हुए ब्यूरोक्रेसी को निशाने पर लिया था. दिव्या ने कहा था कि, ‘राजस्थान के अंदर नौकरशाही किस कदर हावी है मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने इसका पटाक्षेप किया. उन्होंने पावर के डिसेंट्रलाइजेशन की जो बात कही वो काबिले तारीफ है.’

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