Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मुश्किलें ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही है. अगले साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के विधायक एवं नेता ही सरकार पर सवाल उठाने में जुटे हुए हैं. इसी बीच बसपा से कांग्रेस में आए विधायक भी प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार पर सवाल उठाने में कोई कसार नहीं छोड़ रहे, जबकि सीएम गहलोत करीब करीब हर मंच से सरकार बचाने के लिए उनका धन्यवाद कहना नहीं भूलते. सबसे बड़ी बात बसपाई से कांग्रेसी बनने वाले इन विधायकों में सीएम गहलोत के सबसे ज्यादा करीबी और विश्वासपात्र माने जाने वाले राजेन्द्र सिंह गुढा को जब भी मौका मिलता है प्रदेश सरकार को कोसते सुनाई दे ही जाते हैं. जबकि गुढा को गहलोत सरकार में राज्यमंत्री भी बनाया हुआ है. मंगलवार को भी पत्रकारों से बात करते हुए राजेंद्र गुढ़ा ने एक बार फिर अपने मन का गुबार निकल दिया. राजेंद्र गुढ़ा ने साफ़ कहा कि, ‘अगर हमारे साथ किये गए कमिटमेंट पूरे नहीं हुए तो सोचना पड़ेगा की आगे क्या करना है और क्या नहीं.’ यही नहीं गुढा ने अपनी ही सरकार के मंत्रियों के एटीट्यूड पर भी सवाल उठाए.
बहुजन समाज पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए विधायक और पंचायत राज्य मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए अपनी ही गहलोत सरकार पर एक बार फिर सवाल उठाए. राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि, ‘बसपा को छोड़कर कांग्रेस के साथ आए सभी 6 विधायक ये मानते हैं कि जिस तरह की उम्मीदें हमें कांग्रेस से थीं और जो वादे हमसे किए गए थे, उन्हें अब तक पूरा नहीं किया गया. मेरे कहने पर 6 विधायक बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए, क्योंकि मैं पुराना आदमी था और पहले मंत्री भी रह चुका था. पिछली बार भी 6 बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों में से, 3 विधायकों को संसदीय सचिव और 3 विधायकों को मंत्री बनाया गया था. ऐसे में इस बार भी हम सभी को उम्मीद थी कि विधायकों को सरकार का साथ देने के लिए एडजस्ट किये जाने का कमिटमेंट पूरा हो जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ हुआ ही नहीं.’
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राजेंद्र गुढ़ा ने आगे कहा कि, ‘हमारे दो साथी वाजिब अली और संदीप यादव को तो सरकार में कोई हिस्सेदारी दी ही नहीं गई और लाखन मीणा को राजनीतिक नियुक्ति तो दी लेकिन न उन्हें गाड़ी मिली न स्टाफ और न ही ऑफिस. ऐसे में अब मुख्य बात यह है कि हमारे जो साथी विधायक हैं इन लोगों को इस बात का भी भरोसा नहीं है कि आने वाले टाइम में इनका टिकट होगा या नहीं. ऐसे में अब विधायकों में अविश्वास बढ़ गया है.’ वहीं सरकार के द्वारा किये गए कमिटमेंट का जिक्र करते हुए राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि, ‘हम कमिटमेंट पूरे नहीं होने को लेकर चिंतित भी हैं ओर अगर यह कमिटमेंट पूरे नहीं होते हैं तो फिर हमें सरकार को दिए गए समर्थन को लेकर आगे सोचना भी पड़ेगा.’
पत्रकारों से बात करते हुए राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि, ‘पिछली बार जब 6 विधायक बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए थे तो सभी विधायकों को कांग्रेस के टिकट मिले थे. यही बात सबके दिमाग में थी लेकिन यह बातें पूरी नहीं हो पाई और जिस तरह का एटीट्यूड कुछ मंत्रियों का है उससे हमें अब ज्यादा अविश्वास हो गया है. अब क्योंकि चुनाव सामने आ रहे हैं ऐसे में हम चाहते हैं कि टिकट को लेकर बातें क्लियर हो जाएं कि कौन कहां रहेगा और कैसे रहेगा? यही बात असुरक्षा की भावना पैदा कर रही है.’ वहीं जब राजेंद्र गुढ़ा से पूछा गया कि अगर प्रदेश में सत्ता को लेकर कोई परिवर्तन होता है तो वह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ रहेंगे या कांग्रेस के साथ?
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इस सवाल के जवाब में राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि ‘मैं अभी सत्ता परिवर्तन को लेकर ज्यादा दिमाग नहीं लगा रहा, न ही हमें यह पता कि सत्ता और संगठन में क्या बदलाव होगा? अभी तो मुझे खुद नहीं पता कि ऐसी परिस्थितियों में मुझे क्या फैसला करना होगा. साथियों के साथ बैठेंगे और निर्णय करेंगे लेकिन अभी तो स्थितियां ठीक नहीं है. फिलहाल हम सभी अभी कांग्रेसी हैं और कांग्रेस जो करेगी वह ठीक होगा.’ आपको बता दें कि इससे पहले कई मौकों पर राजेंद्र गुढ़ा खुद को अशोक गहलोत का सिपाही बताते हुए नजर आते थे लेकिन सियासत के रंग देखते हुए अब उन्हें कांग्रेस का सिपाही बनने में अपना फायदा ज्यादा दिख रहा है.’
नाराज विधायकों की अगुवाई कर रहे राज्यमंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि, ‘सरकार की सारी चीजें भले ही अच्छी हों, बजट भी अच्छा था काम भी अच्छे हो रहे हैं और मेडिकल क्षेत्र में तो सरकार का कोई जवाब नहीं. लेकिन सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है शिक्षित बेरोजगार. शिक्षित बेरोजगारों की समस्या को लेकर न तो पिछली भाजपा सरकार ने कुछ किया और न ही वर्तमान सरकार ने, ऐसे में शिक्षित बेरोजगारों का ऊंट किस करवट बैठेगा उसी और सत्ता होगी. यही शिक्षित बेरोजगार सरकार के रिपीट होने में सबसे बड़ी बाधा हैं.’