ajit pawar and fadanvis
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महाराष्ट में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और सरकार के बीच टूट की अटकलों के बीच अब स्पष्ट हो गया है कि जल्दी ही दोनों के बीच गठबंधन समाप्त हो चुका है. आरएसएस और बीजेपी के नेता भी अजित पवार एवं उनकी पार्टी पर अंगुली उठा चुके हैं. लोकसभा चुनावों में शर्मनाक प्रदर्शन के बाद डिप्टी सीएम बने बैठे अजित पवार पर भी सवाल उठने लगे हैं. इसी कड़ी में अजित पवार ने प्रदेश में होने जा रहे नगर निकाय चुनाव अकेले लड़ने का फैसला लेते हुए सभी को चौंका दिया. एक कार्यकर्ता सम्मेलन में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने यह ऐलान किया.

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महाराष्ट्र की पुणे यूनिट को संबोधित करते हुए एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने कहा कि राज्य में होने वाले नगर निकाय चुनाव में उनकी पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी. उन्होंने कहा कि हमने लोकसभा चुनाव गठबंधन में लड़ा था और विधानसभा चुनाव भी गठबंधन में लड़ेंगे. हालांकि मैं यह घोषणा करना चाहता हूं कि पार्टी नगर निगम चुनाव अकेले लड़ेगी. एनसीपी अपने बल पर निकाय चुनाव लड़ेगी, इसलिए स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को अपने-अपने क्षेत्र में पार्टी को मजबूत करने के लिए काम करना चाहिए.

गौरतलब है कि अजित पवार का ये ऐलान पिंपरी चिंचवाड़ में कुछ नेताओं के पार्टी छोड़कर NCP (शरद चंद्र पवार) में शामिल होने के बाद हुआ है. चिंचवाड़ में कुछ बड़े नेताओं और पार्षदों ने अजित पवार का साथ छोड़ शरद पवार का दामन थाम लिया है. कुछ सप्ताह से अटकलें भी चल रही हैं कि चुनाव आते आते दर्जनभर से अधिक विधायक भी अजित पवार का साथ छोड़ देंगे. सरकार और केंद्र में मंत्री पद न मिलने से भी कुछ विधायक नाराज चल रहे हैं. आम चुनाव में केवल एक सीट जीत पाए अजित पवार ऐसे में अपना हर कदम मजबूती से रख रहे हैं.

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अपने कुछ नेताओं के विपक्षी पार्टी में शामिल होने पर अजित पवार ने कहा कि पिंपरी चिंचवाड़ के कुछ स्थानीय नेताओं ने यह सोचकर पार्टी छोड़ दी कि एनसीपी के दूसरे पॉलिटिकल दलों के साथ गठबंधन के कारण उनके विकास में बाधाएं आ रही हैं. स्थानीय नेता चले गए, लेकिन अधिकांश कार्यकर्ता पार्टी के के साथ बने हुए हैं. उन्होंने यह भी कहा कि गठबंधन में शामिल होने का निर्णय पूरी तरह राज्य के विकास के इरादे से लिया गया है. हालांकि अजित पवार के निकाय चुनाव में अकेले खड़ा होने पर सत्ताधारी शिवसेना और बीजेपी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आयी है लेकिन प्रदेश में राजनीति के समुंदर में लहरें उठना शुरू हो चुकी हैं.

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