Rajasthan Election: राजस्थान की 200 सीटों पर विधानसभा चुनाव का संग्राम का काउंटडाउन शुरू हो चुका है. शह मात के चुनावी खेल में आधे से ज्यादा पत्ते खुल भी चुके हैं. बगावत और विरोध के चलते राजधानी जयपुर की कुछ सीटों पर दोनों ही पार्टियों की ओर से उम्मीदवारों का खुलासा फिलहाल नहीं हो पाया है. जयपुर शहर की 8 सीटें भी उनमें से कुछ अहम सीटें हैं. बात की बीजेपी की तो अब तक जारी 2 लिस्टों में बीजेपी ने जयपुर शहर की 8 में से 4 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए हैं. झोटवाड़ा से राज्यवर्धन सिंह राठौड़, विद्याधर नगर से दीया कुमारी, सांगानेर से भजनलाल शर्मा और मालवीय नगर सीट से कालीचरण सराफ को प्रत्याशी घोषित किया है.
राठौड़ और दीया कुमारी सांसद हैं लेकिन सेफ सीट के चलते उन्हें क्रमश: झोटवाड़ा और विद्याधर नगर से उतारा गया है. हालांकि टिकट काटे जाने पर इनमें से दो सीटों पर अभी भी विरोध हो रहा है. अन्य 4 सीटों पर बीजेपी ने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है. उन सीटों पर बीजेपी के लिए जिताऊ उम्मीदवार की घोषणा किसी चुनौती से कम नहीं है.
झोटवाड़ा और विद्याधर नगर में हो रहा विरोध
बीजेपी ने अपनी पहली लिस्ट में जयपुर शहर की दो विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा की थी. शहर की झोटवाड़ा विधानसभा सीट से बीजेपी ने सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और विद्याधर नगर सीट से सांसद दीया कुमारी को प्रत्याशी बनाया. हालांकि दोनों ही सीटों पर प्रत्याशियों का विरोध शुरू हो गया था. दोनों सीटों पर बीजेपी द्वारा उतारे गए उम्मीदवारों को बाहरी बताया गया. हालांकि दोनों के नाम ऐसे हैं कि उन्हें किसी भी पार्टी के उम्मीदवारों द्वारा हरा पाना मुश्किल होगा. झोटवाड़ा में पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत के समर्थक विरोध में उतर गए, जबकि विद्याधर नगर सीट से टिकट कटने पर विधायक नरपत सिंह राजवी ने नाराजगी जाहिर की थी. इसके बाद पार्टी ने दूसरी लिस्ट में राजवी को चित्तौड़गढ़ से टिकट देकर विद्याधर नगर के विवाद को पूरी तरह से खत्म कर दिया है. हालांकि झोटवाड़ा में विरोध अभी भी जारी है.
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झोटवाड़ा में 2008 और 2023 में लगातार जीत के बाद राजपाल सिंह शेखावत के लिए जनता में निराशा का भावना घर कर रही थी. वजह थी कि झोटवाड़ा क्षेत्र में विकास कार्य की धीमी रफ्तार. इसके बाद 2018 के विस चुनाव में लालचंद कटारिया ने यहां से जीत दर्ज की और मंत्री बन गए. इस बार यही कहानी उनके साथ भी दोहरायी जा सकती है जबकि शेखावत के प्रति नाराजगी अभी भी कायम है. ऐसे में राज्यवर्धन इस सीट को आसानी से बीजेपी की झोली में डाल सकते हैं. हालांकि यहां शेखावत के समर्थकों का विरोध और समाजसेवा के जरिए राजनीति में कदम रख रहे कुछ निर्दलीय उम्मीदवार राज्यवर्धन की जीत में रोड़ा अटका सकते हैं. लालचंद कटारिया को शायद इस बात का पहले से ही अहसास है जिसके चलते कटारिया झोटवाड़ा के साथ आमेर से भी टिकट की मांग कर रहे हैं.
सांगानेर सीट पर खड़ा हो गया विवाद
विद्याधर नगर विधानसभा सीट पर विरोध जैसे तैसे खत्म हुआ है लेकिन अब अब सांगानेर सीट पर विवाद खड़ा हो गया है. यह बीजेपी की परंपरागत सीट है जहां पर घनश्याम तिवाड़ी ने लगातार तीन बार जीत हासिल की है. उनके अलग पार्टी बनाने के बाद बीजेपी ने जयपुर के तत्कालीन महापौर और वसुंधरा राजे के करीबी अशोक लाहौटी को टिकट थमाया. बिना किसी विरोध के चलते लाहौटी जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे. अब चूंकि बीजेपी ने लाहौटी की जगह भजन लाल शर्मा को पार्टी उम्मीदवार बनाया है, यहां विरोध शुरू हो गया है. यहां से मौजूदा विधायक अशोक लाहोटी का टिकट कटने से नाराज उनके समर्थक विरोध में उतर आए हैं. लाहोटी के समर्थक भजन लाल शर्मा को बाहरी बताकर इनका विरोध कर रहे हैं. हालांकि लाहौटी का कद राजवी के स्तर का नहीं है. ऐसे में लाहौटी को इस बार बेटिकट रहना पड़ सकता है. यहां लाहौटी के समर्थकों की नाराजगी भजनलाल का खेल बिगाड़ सकती है.
4 सीटों पर जिताऊ प्रत्याशी की तलाश में बीजेपी
जयपुर शहर की सिविल लाइन्स, हवामहल, किशनपोल और आदर्श नगर सहित चार सीटों पर बीजेपी ने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की हैं. उक्त चारों सीटों पर बीजेपी को सुरक्षित और जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश है. सिविल लाइन पर पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी का नाम करीब करीब तय है. यहां उनका मुकाबला कांग्रेस सरकार में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास से होना तय है. वहीं किशनपोल, हवामहल और आदर्श नगर सीट पर जिताऊ प्रत्याशी तलाशना बीजेपी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं हैं.
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ये तीनों सीटें ही मुस्लिम बाहुल्य सीटें हैं. यहां यही वोटर किसी भी प्रत्याशी की हार और जीत तय करेगा. पिछली बार बीजेपी ने पिछले चुनाव में यूनुस खान के अलावा पूरे राजस्थान की किसी भी सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी नहीं उतारा था. यूनुस खान पूर्व सीएम वसुंधरा के करीबी हैं और उन्हीं के कहने पर यूनुस खान को टोंक से सचिन पायलट के खिलाफ उतारा गया था. यहां से पायलट ने बड़े अंतर से बीजेपी उम्मीदवार को मात दी. पायलट को इस बार भी यहीं से उतारने की तैयारी है. संभावना है कि बीजेपी यहां फिर से यूनुस खान को मौका दे लेकिन जयपुर की ये तीन सीटें असली सिरदर्द है.
8 में से केवल 3 सीटें हैं बीजेपी के पास
पिछले विधानसभा चुनावों पर गौर करें तो जयपुर शहर की 8 में से 5 सीटों पर बीजेपी चुनाव हार गई थी. तीन सीटें बीजेपी के खाते में रही. इन तीनों सीटों पर बीजेपी ने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है, लेकिन हारने वाली 5 में से 4 सीटों पर बीजेपी को अभी प्रत्याशी घोषित करने हैं. वहीं कांग्रेस ने पिछले चुनावों में 8 में से 5 सीटों पर जीत दर्ज की थी. कांग्रेस ने इस बार जीती हुई 5 सीटों में से 3 और हारी हुई 3 सीटों में से 2 पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं. अब देखना होगा कि कांग्रेस पिछले चुनावों का अपना इतिहास दोहरा पाती है या बीजेपी का जिताऊ उम्मीदवारों पर खेला जाने वाला दांव सटीक निशाने पर बैठता है.