Supreme Court On Aasaram. नाबालिग के साथ यौन शोषण के मामले में जोधपुर जेल में आजीवन कारावास की सजा भोग रहे 80 साल के आसाराम को लगता है अब जिले में ही अपना आगामी समय व्यतीत करना पड़ेगा. एक बार फिर आसाराम के जेल से बाहर आने की उम्मीदों को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एक बड़ा झटका लगा है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, ‘आसाराम के खिलाफ गुजरात में दुष्कर्म के एक मामले की ट्रायल चल रहा है. ऐसे में उसे जमानत नहीं दी जा सकती.’ वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आसाराम का दर्द झलक पड़ा. आसाराम ने कहा कि, ‘इस मामले में जिस तरह धीमी गति से ट्रायल चल रहा है, उससे लगता है कि मेरा ट्रायल कभी खत्म ही नहीं होगा.‘ यही नहीं हिंदू सेना ने आसाराम के पैरोकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि, ‘आसाराम की संपत्ति पर काबिज होकर शिष्य मौज उड़ा रहे हैं.’
दरअसल, यौन शोषण के आरोप में जेल में सजा काट रहे आसाराम ने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. मगर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. आसाराम की ओर से सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दाखिल कर ट्रायल कोर्ट में अतिरिक्त गवाहों को पेश करने की मांग करते हुए कहा गया कि, ‘आसाराम ने बढ़ती आयु और बीमारी को वजह से जमानत की मांग की है.’ यही नहीं इसके अलावा याचिका में आसाराम ने अपनी बिगड़ती सेहत और बीमारी का हवाला देते हुए बेहतर इलाज के लिए जमानत की गुहार लगाई थी. आसाराम का कहना है कि, ‘गंभीर बीमारियों का जेल में रहते इलाज संभव नहीं है.’ साथ ही कहा गया कि आसाराम से जुड़े मामले की ट्रायल बहुत लंबी हो रही है और जल्द पूरी होने के आसार भी नजर नहीं आ रहे हैं. लिहाजा इन परिस्थितियों पर विचार करते हुए आसाराम को जमानत पर छोड़ा जाए.
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वहीं सुप्रीम कोर्ट में सरकारी वकील ने गुजरात में दुष्कर्म के एक मामले की जारी ट्रायल का हवाला देते हुए जमानत दिए जाने का विरोध किया. सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी वकील की दलील से सहमति जताते हुए फिलहाल जमानत देने से इंकार कर दिया. अब सु्प्रीम कोर्ट मामले की अगली सुनवाई जनवरी में करेगा. तो वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर आसाराम की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. आसाराम ने कहा कि, ‘इस मामले में जिस तरह धीमी गति से ट्रायल चल रहा है, उससे लगता है कि मेरा ट्रायल कभी खत्म ही नहीं होगा.’ वहीं हिंदू सेना ने एक प्रेस बयान जारी कर आसाराम के पैरोकारों पर आरोप लगाए हैं. हिंदू सेना का कहना है कि, ‘आसाराम बापू के केस के पैरोकार उनके पुत्र, पुत्री या पत्नी नहीं बल्कि उनके आश्रम के ट्रस्टी और उनके अपने निकटवर्ति शिष्य हैं. ऐसा इसलिए की आसाराम बापू ने अपने शिष्यों को सदा अपने परिवार से बढ़ कर माना पर इन्ही शिष्यों ने पैसे की चमक देख अपने गुरु को ही रास्ते से हटा दिया.’
हिंदू सेना ने आगे लिखा कि, ‘जोधपुर केस से पहले आसाराम बापू की हत्या के कई प्रयास हुए थे जब उससे बात नहीं बनी तो आश्रम के ही एक संचालक की लड़की से झूठा इल्ज़ाम लगवाकर आसाराम बापू को जेल पहुँचा दिया गया. केस झूठा था, ना कोई सीसीटीवी फुटेज थी, ना ही फॉरेंसिक जाँच में कुछ मिला ना लड़की की मेडिकल रिपोर्ट में कुछ आया. परंतु कोर्ट में परिस्थितिजन्य साक्ष्य और आश्रम से निकाले गए लड़कों की झूठी ग्वाही करवा कर बापू को आमरण कारावास करवा दिया गया. बापू को सज़ा करवा कर उनके शिष्य उनकी सम्पत्ति के मालिक बन मौज उड़ा रहे है. करोड़ों रुपया आश्रम से गायब कर अपने बिज़नेस चला लिए है.’
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हिंदू सेना ने कहा कि, ‘आसाराम बापू के करोड़ों अनुयायी है, वो बापू जी को लाने के लिए शोर ना मचाये इसलिए अपील के नाम पर पिछले चार साल से तारीखें ली जा रही है. कितनी ही बार SOS (सज़ा स्थगित करवाने की याचिका) लगवा कर वापस ले ली गई है. जज ने खुद केस पर कमेंट डाला की यदि अगली बार आपने तारीख़ स्थगित करी तो मैं सदा के लिए SOS खारिज कर दूँगा. आसाराम बापू, 86 वर्ष के संत है जो पिछले दस वर्ष से जेल में बंद है. उन को न्याय मिले इस के लिए जरूरी है उनके आश्रमों और मैनेजमेंट की जाँच हो.’ बता दें, आसाराम पर 2013 में नाबालिग से रेप का आरोप लगा था. इस पर सुनवाई करते हुए जोधपुर कोर्ट ने 2018 में आसाराम को दोषी करार दिया और उम्र कैद की सजा सुनाई थी.