विधानसभा में बीजेपी विधायकों की सूची से शोभारानी का नाम हटाने के लिए लिखे गए पत्र में ब्लंडर

नेता प्रतिपक्ष कटारिया ने विधानसभा अध्यक्ष को भेजे अपने पत्र में 10 जून को शोभारानी कुशवाह को बीजेपी की केन्द्रीय अनुशासन समिति की ओर से पार्टी से निकालने की बात लिखी है, जबकि केन्द्रीय अनुशासन समिति ने 10 जून को शोभारानी को कारण बताओ नोटिस किया था जारी, जिसमें शोभारानी से 7 दिन में जवाब मांगा गया था और 14 जून को केन्द्रीय अनुशासन समिति ने शोभारानी कुशवाहा पार्टी से निकालने का आदेश किया था जारी

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Politalks.News/Rajasthan. राज्यसभा चुनाव में पार्टी निर्देशों के विपरीत कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद तिवारी को वोट देने पर भाजपा से निष्कासित विधायक शोभारानी कुशवाहा के निष्कासन की जानकारी राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष को देकर बीजेपी विधायकों की सूची से उनका नाम हटाने का आग्रह किया गया है. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने इस संबंध में मंगलवार को स्पीकर सीपी जोशी को पत्र लिखकर विधानसभा में अंकित शोभारानी कुशवाहा के नाम के आगे से भाजपा विधायक शब्द हटाने का आग्रह किया. लेकिन कटारिया द्वारा स्पीकर सीपी जोशी को लिखे पत्र में शोभारानी कुशवाहा को पार्टी से निष्काषित करने की तारीखों में अंतर है. सियासी जानकारों की मानें तो इतने महत्वपूर्ण पत्राचार में इस तरह की त्रुटि ब्लंडर की श्रेणी में आती है.

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नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने अपने पत्र में कहा कि BJP की केन्द्रीय अनुशासन समिति ने 10 जून 2022 को धौलपुर विधायक शोभारानी कुशवाह को पार्टी के संविधान के रूल्स की धारा 25 और रूल 10-ए,बी,सी और डी के प्रोविजन का घोल उल्लंघन का दोषी पाए जाने पर तुरंत प्रभाव से पार्टी से निकाल दिया है. यही नहीं विधायक शोभारानी को पार्टी की ओर से दिए गए अन्य दायित्वों से भी मुक्त कर दिया है. चूंकि अब शोभारानी कुशवाह की बीजेपी से संबद्धता समाप्त हो गई है, इसलिए इनका नाम पार्टी के विधायकों की लिस्ट से हटा दिया जाए. कटारिया ने बीजेपी की केन्द्रीय अनुशासन समिति के उस आदेश की कॉपी भी विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी को भेजी है, जिसके जरिए शोभारानी कुशवाह को पार्टी से निकाला गया है.

यहां आपको बता दें, नेता प्रतिपक्ष कटारिया ने विधानसभा अध्यक्ष को भेजे अपने पत्र में 10 जून को शोभारानी कुशवाह को बीजेपी की केन्द्रीय अनुशासन समिति की ओर से पार्टी से निकालने की बात लिखी है, जबकि केन्द्रीय अनुशासन समिति ने 10 जून को शोभारानी को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. जिसमें शोभारानी से 7 दिन में जवाब मांगा गया था. लेकिन 11 जून को ही शोभारानी ने जब पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर उलटे आरोप लगा दिए, तो 14 जून को केन्द्रीय अनुशासन समिति ने शोभारानी कुशवाहा पार्टी से निकालने का आदेश जारी किया था.

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आपको बता दें, गुलाबचंद कटारिया के इस पत्र के बाद विधानसभा की वेबसाइट व अन्य स्थानों पर जहां शोभारानी कुशवाहा के नाम के आगे भाजपा विधायक अंकित है, उसे हटाया जाएगा. साथ ही सदन में भी शोभारानी कुशवाहा के बैठने के स्थान में परिवर्तन किया जाएगा. शोभारानी कुशवाहा के भाजपा से निष्कासन के बाद सदन में भाजपा विधायकों की संख्या 70 रह गई है. शोभारानी कुशवाहा विधायक के तौर पर विधानसभा और सदन की कार्यवाही में तो शामिल होंगी, लेकिन बीजेपी से उसका संबद्धता नहीं रहेगी.

गौरतलब है कि 10 जून को हुए राज्यसभा चुनाव में शोभारानी कुशवाहा ने भाजपा के निर्णय के खिलाफ जाकर कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद तिवारी के पक्ष में मतदान किया था. जिसके चलते 10 जून को ही कुशवाहा को पार्टी की सदस्यता से निलंबित कर दिया और 14 जून को शोभारानी कुशवाहा को बीजेपी से निष्कासित कर दिया गया था

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