Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान के साथ साथ पुरे देश में बिजली का संकट मंडरा रहा है. कोयले की लगातार हो रही कमी के कारण राजस्थान में कई पावर प्लांट बंद हो चुके हैं. बिजली की डिमांड और सप्लाई में भारी अंतर होने के कारण से गांव और शहरों में लगातार कटौती जारी है. वहीं केंद्र सरकार का कहना है देश में कोयला भरपूर है लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये ही अगर कोयला भरपूर है तो फिर बिजली संकट क्यों है? राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जहां कोयले की कमी को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए इसे राष्ट्रीय संकट बताया और कहा कि, ‘मैं सभी से अपील करता हूं कि इस संकट में एकजुट होकर परिस्थितियों को बेहतर करने में सरकार का साथ दें.’ तो वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां ने गहलोत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, ‘राजस्थान सरकार ने हाल ही में ये स्पष्टीकरण दिया था कि राजस्थान में कोयले की कोई किल्लत नहीं है, बिजली की निर्बाध आपूर्ति करेंगे, सरकार का यह बयान अब मुख्यमंत्री की कथनी और करनी की पोल खोलता है.’
राजस्थान में बिजली कटौती को लेकर सियासत शुरू हो गई है. बिजली की कमी को देखते हुए हाल ही में प्रदेश सरकार की तरफ से जारी किये गए आदेशों के अनुसार राजधानी सहित सभी संभाग मुख्यालयों पर एक घंटे, जिलों में दो घंटे, कस्बों में तीन घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में 6 घंटे तक की बिजली कटौती की जा रही है. प्रदेश व देश में जारी बिजली संकट का जिक्र करते हुए शुक्रवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट करते हुए कहा कि, ‘देश के 16 राज्यों में बढ़ती गर्मी के कारण बिजली की मांग बढ़ी है एवं इसके अनुरूप कोयले की आपूर्ति नहीं हो रही है जिसके कारण आवश्यकतानुसार बिजली आपूर्ति संभव नहीं है. यह एक राष्ट्रीय संकट है. मैं सभी से अपील करता हूं कि इस संकट में एकजुट होकर परिस्थितियों को बेहतर करने में सरकार का साथ दें. अपने निवास या कार्यक्षेत्र के गैर-जरूरी बिजली उपकरणों को बन्द रखें. अपनी प्राथमिकताएं तय कर बिजली का उपयोग जरूरत के मुताबिक करें.’
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सीएम गहलोत ने अपने अगले ट्वीट में लिखा कि, ‘राजस्थान में प्रदेश भाजपा बिजली घरों पर प्रदर्शन कर इस संकट में चुनौतीपूर्ण कार्य कर रहे बिजली कर्मचारियों को परेशान कर उन पर दबाव बनाने का कार्य कर रही है. मैं उनसे पूछना चाहूंगा कि राज्यों को कोयला उपलब्ध करवाने का काम केन्द्र सरकार का है. क्या प्रदेश भाजपा का दिशाहीन नेतृत्व केन्द्र सरकार से इस बारे में सवाल पूछेगा कि वो मांग के अनुसार कोयला उपलब्ध करवाने में सक्षम क्यों नहीं है जिसके कारण 16 राज्यों में बिजली कटौती की नौबत आई है?’ वहीं अब राजस्थान में बिजली कटौती व किल्लत पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान पर पलटवार किया है.
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां ने कहा कि, ‘माननीय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी का ट्वीट देखा राजस्थान के बिजली संकट और भारतीय जनता पार्टी के राजस्थान के सभी जिलों में प्रदर्शन को लेकर उन्होंने कहा कि भाजपा जो प्रदर्शन कर रही है वह ठीक नहीं है. मुझे लगता है कि राजस्थान में जिस तरीके से बिजली संकट हुआ और इस बिजली संकट के प्रबंधन की विफलता मुख्यमंत्री केंद्र व भाजपा के माथे पर मड़ना चाहते हैं. राजस्थान में बिजली का मिस-मैनेजमेंट यह जाहिर सी बात है. कोयले की कमी की बात अक्सर की जाती है, लेकिन 24 अप्रैल के राजस्थान सरकार के डीआईपीआर के पत्र में यह स्पष्टीकरण दिया गया है राजस्थान में कोयले की कोई किल्लत नहीं है, बिजली की निर्बाध आपूर्ति करेंगे, यह पत्र मुख्यमंत्री की कथनी और करनी की पोल खोलता है.
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सतीश पूनियां ने आगे कहा कि, ‘मुझे लगता है कि राजस्थान पिछले 3 सालों में जिस तरीके से बिजली की आपूर्ति के मामले में पीड़ित था, अब यह पराकाष्ठा है. प्रदेश का विद्यार्थी परीक्षा के मौके पर बिजली कटौती से पीड़ित है, प्रदेश का आमजन, किसान और व्यापारी भी इस भीषण गर्मी में पीड़ित है. लोक कल्याण और निर्बाध बिजली की आपूर्ति का दावा करने वाली और जनघोषणा पत्र में इन बातों का उल्लेख करने वाली कांग्रेस सरकार के मुखिया के लिए अग्निपरीक्षा है, इस गर्मी में राजस्थान के लोगों को निजात दिलाने की. पहली बार तो मुख्यमंत्री बार-बार कहते थे कि विपक्ष की भूमिका राजस्थान में क्या है, भाजपा लगातार जनहित के मुद्दों को लेकर प्रदर्शन कर रही है तो उनको ऐतराज होता है.’
गहलोत सरकार पर निशाना साधते हुए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां ने कहा कि, ‘2 वर्ष का समय कोरोना की मेहरबानी से निकल गया, जब लोग सड़कों पर नहीं थे, अब सड़कों पर निकले हैं तो उनको ऐतराज है. मुख्यमंत्री जिस तरीके से सियासी गैंबलिंग करते हैं उसी का नतीजा है राजस्थान में बिजली का पिछले 3 वर्षों से कुप्रबंधन है, इसी कुप्रबंधन के कारण राजस्थान में बिजली संकट खड़ा हुआ है. इस बिजली संकट का कोई जिम्मेदार है तो स्वयं अशोक गहलोत व उनकी सरकार है, केंद्र को कोसने के अलावा धरातल पर मुख्यमंत्री ने कोई काम नहीं किया है. केंद्र सरकार की तमाम जनकल्याणकारी योजनाएं हैं, जिनको राज्य में प्राथमिकता से मुख्यमंत्री को जमीनी तौर पर लागू करना था, लेकिन ऐसा कुछ किया नहीं. राजस्थान में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब है, बेरोजगारी से युवा पीड़ित हैं और किसान कर्जमाफी के छलावे से किसान प्रताड़ित हैं.’