सत्ता के स्वार्थ में अपने अतीत के काले पन्नों को छुपाने के प्रयास में जुटे हैं भाजपा और RSS- अखिलेश

तिरंगे को वे क्या सम्मान देंगे जो भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में अंग्रेजों के हमसफर थे और जिनके नागपुर मुख्यालय पर 52 वर्षों तक राष्ट्रध्वज की जगह भगवाध्वज ही लहराता रहा, इसी मानसिकता का असर है कि बीजेपी 'आजादी का अमृत महोत्सव' की पवित्रता को भी नष्ट करने पर तुली है- अखिलेश

अखिलेश के निशाने पर बीजेपी और RSS
अखिलेश के निशाने पर बीजेपी और RSS

Politalks.News/AkhileshYadav. 15 अगस्त 2022 को देश आजादी के 75 साल के उपलक्ष्य में आजादी का अमृत महोत्सव बना रहा है. इसी कड़ी में आज से देश भर में हर घर तिरंगा अभियान की शुरुआत भी हो चुकी है. इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर भाजपा के दिग्गज नेताओं, कारकर्ताओं एवं आम आदमियों ने अमृत महोत्सव के तहत अपनी सोशल मीडिया डीपी को देश की आन बान तिरंगे से बदल लिया है. हालांकि पीएम मोदी की इस अपील के बाद देश की सियासत गर्म हो गई और तरह तरह के सवाल उठने लगे. बीजेपी ने जहां कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा तिरंगे की जगह जवाहर लाल नेहरू के साथ वाली तिरंगे की तस्वीर लगाने पर सवाल उठाये. तो वहीं विपक्षी दलों ने भी RSS और मोहन भागवत की सोशल मीडिया डीपी ना बदले जाने पर सवाल उठाए. हालांकि पुराने तथ्यों को तांक में रखते हुए शुक्रवार को RSS और मोहन भागवत ने तिरंगे की डीपी लगा ली लेकिन इस पर भी सियासत शुरू हो गई है. इसे लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS)  और मोहन भागवत ने स्वतंत्रता दिवस से पहले शुक्रवार को अपने ट्विटर हैंडल की डीपी बदल ली है. आरएसएस और मोहन भागवत ने अपनी डीपी पर संगठन के झंडे को हटाकर तिरंगा लगाया है. हालांकि ये वही दल और दल के नेता हैं जिन्होंने कभी तिरंगे को अपना राष्ट्रीय ध्वज नहीं माना. लेकिन बावजूद इसके ना सिर्फ डीपी बदली गई बल्कि संघ कार्यालय में ध्वजारोहण भी किया गया. इसके साथ ही इसके वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल किये गए. लेकिन अब इसे लेकर भी सियासत गरमा गई है. पहले सोशल मीडिया डीपी ना बदलने को लेकर विपक्ष हमलावर था तो वहीं अब डीपी बदलने को लेकर विपक्ष बयानबाजी कर रहा है. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को बीजेपी पर जमकर निशाना साधा.

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अखिलेश यादव ने कहा कि, ‘सत्ता के स्वार्थ और जनता के दबाव में राष्ट्रध्वज को आगे रखकर बीजेपी-आरएसएस अपने अतीत के काले पन्नों को छुपाने का प्रयास करने में जुटे हैं.’ आजादी का अमृत महोत्सव’ को भी आपदा में अवसर की तरह इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि, ‘तिरंगे को वे क्या सम्मान देंगे जो भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में अंग्रेजों के हमसफर थे और जिनके नागपुर मुख्यालय पर 52 वर्षों तक राष्ट्रध्वज की जगह भगवाध्वज ही लहराता रहा. बीजेपी के मातृ संगठन आरएसएस का आजादी की लड़ाई में और आजादी के बाद भी राष्ट्रध्वज और संविधान को स्वीकार नहीं करना क्या कहता है? इसी मानसिकता का असर है कि बीजेपी ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ की पवित्रता को भी नष्ट करने पर तुली है.’

सपा मुख्‍यालय से शनिवार को जारी एक बयान में अखिलेश यादव ने मीडिया में आ रही खबर कि, ‘बीजेपी के नेता, कार्यकर्त्ता 20-20 रूपये तिरंगे दे रहे हैं पर सवाल उठाते हुए कहा कि, ‘लगातार इस तरह की खबरें आ रही हैं कि बीजेपी कार्यकर्ताओं द्वारा राष्ट्रीय ध्वज की बिक्री की जा रही है, यह ध्वज जहां करोड़ों भारतीयों के लिए आन-बान शान का प्रतीक है वहीं भाजपाइयों के लिए यह बेचने का सामान है. भाजपाई हर बात पर दुकान लगाना बंद करें. राष्ट्रध्वज के गौरव के साथ खिलवाड़ शर्मनाक और निंदनीय है.’

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अखिलेश यादव ने कहा कि, ‘समाजवादी पार्टी नीत सरकार में राजधानी लखनऊ में 207 फुट ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज जनेश्वर मिश्र पार्क में फहराया गया था और जब तक समाजवादी सरकार रही हर शाम प्रोटोकॉल के तहत आकाश में लहराते इस तिरंगे को पुलिस सलामी देती रही, लेकिन सत्ता परिवर्तन होते ही पुलिस द्वारा सलामी देना बंद हो गया है. ऐसे में मैं सवाल पूछता हूँ कि बीजेपी के शासनकाल में राष्ट्रध्वज को सलामी देने की परम्परा को बंद क्यों किया गया?’ अखिलेश यादव ने राज्य सरकार से मांग करते हुए कहा कि, ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ काल में जनेश्वर मिश्र पार्क में राष्ट्रध्वज को पुलिस द्वारा सलामी दिए जाने की फिर से शुरुआत होनी चाहिए. बीजेपी नेता ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के दौरान भी कहीं तिरंगे का रंग बदल रहे हैं तो कहीं उसे उल्टा पकड़े फोटो खिंचवाते हैं.’

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