पॉलिटॉक्स ब्यूरो. दिल्ली विधानसभा चुनाव अपने अंतिम मोड की ओर तेजी से बढ़ रहा है. नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और नाम वापसी के बाद चुनावी कैंपेन का दौर तेज हो गया है. दिल्ली चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) पहली बार 4 सीटों पर कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ रही ह़ै. वहीं बीजेपी के साथ 2 सीटों पर नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (JDU) और एक सीट पर लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) चुनाव लड़ रही है. इस तरह कांग्रेस 66 सीटों पर तो बीजेपी 67 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. ऐसे में यह कहना गलत न होगा कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां दिल्ली के सहारे बिहार को साधने की तैयारी कर रहे हैं. वहीं बिहार की दोनों प्रमुख पार्टियां राजद और जदयू दिल्ली विधानसभा चुनावों में बिहारी वोटर्स को डायवर्ट करने के लिए कांग्रेस-बीजेपी की सारथी की भूमिका का निर्वाह कर रही है.
देश की राजनीति में ये पहली बार है कि राजद और कांग्रेस दिल्ली के विधानसभा चुनावों में एक दूसरे के सहयोगी बनकर उतरे हैं. वहीं नीतीश कुमार की गहरी पैठ होने के बावजूद बीजेपी ने उन्हें केवल दो सीटों पर लड़ने का मौका दिया जबकि चुनावों से पहले जदयू ने सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही थी. दूसरी ओर, कांग्रेस ने राजद को चार सीटों पर उम्मीदवार उतारने का अवसर दिया. झारखंड विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने राजद को कुछ सीटों पर लड़ने का मौका दिया. इसके लिए उन्होंने अपनी सीटें कम की और केवल 22 सीटों पर चुनाव लड़ा. झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद ने महागठबंधन के बैनर तले चुनाव लड़ा. झारखंड में राजद ने एक सीट जबकि कांग्रेस ने 16 सीटों पर जीत दर्ज की और वर्तमान में दोनों पार्टियों सरकार में भागीदार हैं.
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दिल्ली चुनाव में बिहारी बैल्ट वाले इलाकों से राजद को चुनावी मैदान में उतार कांग्रेस ने भी बिहारी वोट बैंक में अपनी असरदार छवि दिखाने का प्रयास किया. कांग्रेस की ये दिलदारी बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अधिक सीटों पर लड़ने की कोशिशों को बल अवश्य देगी. वहीं दिल्ली की सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने का दम भरने वाली जदयू को बीजेपी ने केवल दो सीटों पर सीमित रखने के लिए नीतीश कुमार से समझाइश कर एनडीए की पकड़ को पहले से मजबूत किया है.
अगर जदयू अधिक सीटों पर चुनाव लड़ती तो निश्चित तौर पर बीजेपी के वोट बैंक में ही सेंध लगती. बिहार में बीजेपी और जदयू नेताओं के बीच खिंचतान वाले माहौल को देखते हुए नीतीश को इस बारे में मनाना कठिन लग रहा था लेकिन अमित शाह ने बिहार के वैशाली में रैली के दौरान चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ने की बात क्या कही, पार्टी के सारे समीकरण एकदम सटीक बैठ गए.
यहां अमित शाह ने ये बयान देकर न केवल बिहार में बीजेपी-जदयू नेताओं के उग्र नेताओं के मुंह पर ताले जड़ दिए, वहीं जदयू को दिल्ली में एक-आध सीटों पर सीमित रखने में भी कामयाबी हासिल कर ली. अब दिल्ली में दो सीटों पर जदयू और एक सीट पर लोजपा जंगी मैदान में है. जेडीयू के खाते में संगम विहार और बुराड़ी सीटें आई हैं तो सीमापुरी सीट एलजेपी को मिली है. जेडीयू ने संगम विहार सीट से कैंसर विशेषज्ञ और पूर्व विधायक डॉ एससीएल गुप्ता को उतारा है तो बुराड़ी से शैलेंद्र कुमार चुनावी ताल ठोक रहे हैं.
बुराड़ी विधानसभा सीट ऐसी है जहां आरजेडी और जेडीयू के उम्मीदवार आमने-सामने मैदान में हैं. इन सभी सीटों पर बिहारी तादात बहुत अधिक है. इन लोगों की सोच और समझ से जदयू और राजद भलीभांति परिचित हैं. इन सीटों पर दोनों ही पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस के लिए सारथी यानि गाईड का ही काम करेंगे. वहीं इस सीट पर सीधे-सीधे जदयू और आरजेडी के बीच मुकाबला होने से इस आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव की ट्रायल के रूप में भी देखा जाएगा.
दिल्ली चुनावों में जदयू, राजद और लोजपा की हल्की ही सही लेकिन भागीदारी देखते हुए निश्चित तौर पर माना जा सकता है कि दिल्ली में इन तीनों दलों की भूमिका न केवल अहम रहेगी बल्कि राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पार्टियों के मार्ग दर्शन का काम भी ये पार्टियां यहां करेंगी.