Bihar election: बिहार में विधानसभा चुनावों को लेकर सरगर्मियां शुरू हो चुकी हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी विकास योजनाओं के बहाने मोतिहारी में एक जनसभा को संबोधित कर चुके हैं. वहीं नीतीश कुमार एक बार फिर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने की आस लगाए बैठे हैं. बीजेपी ने भी पुष्टि कर दी है कि आगामी विस चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा. हालांकि सीएम फेस पर अभी कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है. विपक्ष के हालातों पर गौर करें तो कांग्रेस हो या प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी, सभी नीतीश कुमार के कथित सुशासन पर जुबानी हमला कर रही हैं. वहीं तेजस्वी यादव शायद अकेले ही हैं जो सीधे पीएम मोदी पर हमला करने का साहस जुटा रहे हैं.
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक प्रेस वार्ता में न केवल पीएम मोदी पर हमला किया, बल्कि उन्हें 11 साल पुराना एक वादा याद दिलाते हुए एनडीए को चुनाव से पहले सीएम फेस का ऐलान करने की चुनौती तक दे डाली.
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तेजस्वी ने तीखा तंज कसते हुए पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि करीब 132 महीने पहले पहले नरेंद्र मोदी ने मोतिहारी में चीनी मिल खुलवाकर उसकी चीनी से बनी चाय पीने का वादा किया था. तेजस्वी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री बनने के साढ़े 11 साल बाद भी मोदी ने अपन यह वादा पूरा नहीं किया. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि पीएम इस पर प्रायश्चित करेंगे एवं इसका दोषी सम्राट अशोक या चंद्रगुप्त मौर्य को ठहराएंगे.
तेजस्वी यहीं नहीं रुके. उन्होंने पीएम मोदी की मोतिहारी जनसभा को टार्गेट करते हुए कहा, ‘पीएम मोदी बिहार में अनियंत्रित अपराध का दोषी आज से 5 दशक पहले की सरकारों को ठहराएंगे. किसानों को अपराधी बताने वाली बिहार पुलिस को सम्मानित करेंगे. जुमलों की इतनी भारी मूसलाधार बारिश करेंगे कि इंद्र देवता भी शरमा जाएंगे. अन्य राज्यों के चुनावों की तरह जुबान से बिहार को नंबर-1 बनाएंगे. नवंबर तक वो ज्वलंत मुद्दों के बजाय काल्पनिक डरावनी बातें करेंगे. दो दिन से जिले के सब स्कूल बंद करवा कर एंटायर पॉलिटिकल साइंस की पढ़ाई कराएंगे.’ तेजस्वी ने मोदी की जनसभा में 100 करोड़ रुपए खर्च करने का आरोप भी लगाया.
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बता दें कि इसी साल अक्टूबर-नवंबर में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं. मुख्य मुकाबला महागठबंधन बनाम एनडीए है. कांग्रेस और राजद महागठबंधन का हिस्सा हैं जिसमें सपा, टीएमसी और अब एआईएमआईएम भी शामिल हैं. वहीं एनडीए में भारतीय जनता पार्टी और जदयू मुख्य भूमिका में हैं जबकि चिराग पासवान की लोजपा, जितनराम मांझी की हिंदूस्तान आवाम मोर्चा सहित अन्य पार्टियां भी शामिल हैं. रणनीतिकार से राजनीतिज्ञ बने प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी मैदान में है. अब देखना ये है कि बिहार के इस चुनावी दंगल में कौन किसको पटखनी दे पाता है.



























