बिहार विधानसभा चुनाव-2025 को लेकर सियासी दलों की तैयारियां तेज हो चली हैं. विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान कभी भी हो सकता है, जिसके चलते केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी अपनी रैलियां निकाल चुके हैं. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की वोटर अधिकार यात्रा भी सुर्खियां बटौर चुकी है. राज्य में मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन में ही है लेकिन मायावती की अगुवाई में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने बिहार की सभी राजनीतिक पार्टियों को पीछे छोड़ दिया है. बसपा बिहार में सभी सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ने का दावा ठोक चुकी है.
एक तरफ एनडीए और महागठबंधन सीट बंटवारे को लेकर अभी तक बैठकें ही कर रहे हैं. वहीं बसपा प्रत्याशियों की लिस्ट जारी करने वाली बिहार की पहली राजनीतिक पार्टी बन गयी है. हालांकि पार्टी ने अपनी पहली लिस्ट में केवल तीन कैंडिडेट के नाम जारी किए हैं लेकिन यह कदम उठा पार्टी ने सभी बड़े राजनीतिक दलों को चौंकाने का एक मौका तो दे ही दिया है.
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बसपा की ओर से जारी प्रत्याशियों की पहली लिस्ट में भभुआ से लल्लू पटेल, मोहनियां (सु) से ओम प्रकाश दीवाना और रामगढ़ से सतीश यादव ऊर्फ पिन्टू यादव को उम्मीदवार घोषित किया है. बसपा ने जिन तीन विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान किया है, वे सभी अपने-अपने क्षेत्र में खास पहचान रखते हैं.
भभुआ विधानसभा सीट से पार्टी प्रत्याशी लल्लू पटेल भभुआ जिले से जिला परिषद सदस्य हैं. मोहनिया से प्रत्याशी ओम प्रकाश दीवाना भोजपुरी जगत के प्रसिद्ध गायक हैं, जिनकी पॉपुलर्टी का फायदा उठाने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं रामगढ़ सीट से पूर्व राजद विधायक अंबिका यादव के बेटे सतीश यादव ऊर्फ पिन्टू यादव को उम्मीदवार बनाया है. सतीश यादव ऊर्फ पिन्टू पिछले साल हुए उप चुनाव में भी बसपा के प्रत्याशी रहे थे और 1362 वोटों के मामूली अंतर से बीजेपी प्रत्याशी अशोक कुमार सिंह से हार गए थे. इस बार सतीश यादव का दावा एनडीए और राजद के मुकाबले भारी माना जा रहा है.
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गौरतलब है कि बसपा बिहार चुनाव अकेले दम पर लड़ रही है. पार्टी सुप्रीमो मायावती पहले ही इस बात का ऐलान कर चुकी हैं कि बसपा बिहार में किसी से कोई गठबंधन नहीं करेगी और सभी 243 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी. अभी हाल ही में पार्टी के राष्ट्रीय को-ऑर्डिनेटर आकाश आनंद भी 10 दिवसीय सर्वजन हिताय जागरूकता यात्रा निकाल चुके हैं.
पिछले बिहार चुनाव में बसपा ने असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) पार्टी से गठबंधन किया था. ओवसी की पार्टी ने 5 सीटों पर कब्जा जमाया जबकि 80 सीटों पर लड़ने वाली बसपा केवल एक सीट हासिल करने में कामयाब हो पायी. इस बार देखना होगा कि सबसे पहले शुरूआत करने वाली बसपा का हाथी एनडीए और महागठबंधन को पीछे छोड़ पाता है या फिर नहीं.



























