महाराष्ट्र की राजनीति में तब ज्वार की उंची लहर उठने लगी थी, जब ठाकरे ब्रदर्स एक साथ एक मंच पर आए थे. दो दशक बाद हुई इस सियासी घटना ने एकबारगी तो सत्ताधारी महायुति सरकार को भी सकते में ला दिया था. उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) का गठजोड़ न केवल एक सियासी गठजोड़ है, बल्कि ये बाला साहेब ठाकरे की स्थापित एक इमारत के दो छोर हैं, जिसका महाराष्ट्र की जनता से भावनात्मक जुड़ाव है. हालांकि ठाकरे ब्रदर्स का महाराष्ट्र को बदलने का सपना शुरूआत में भी ध्वस्त होते दिख रहा है. कर्मचारी सहकारी क्रेडिट सोसाइटी के चुनाव में इस गठबंधन को करारी शिख्स्त का सामना करना पड़ा है. यहां गठजोड़ के सभी 21 सदस्यों को हार नसीब हुई है.
यह चुनाव मुंबई की बीईएसटी (बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट) के कर्मचारियों से जुड़ी इस हाई-प्रोफाइल क्रेडिट सोसाइटी के लिए हुआ था, जिसे दोनों पार्टियों ने एक साथ मिलकर लड़ा था. दोनों पार्टियों ने ‘उत्कर्ष’ नाम से एक पैनल बनाया था, जिसमें शिवसेना (यूबीटी) के 18, एमएनएस के 2 और अनुसूचित जाति-जनजाति संगठन का एक उम्मीदवार शामिल था. इस सोसाइटी में 15 हजार से ज्यादा सदस्य हैं और यह लंबे समय तक उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना (यूबीटी) से जुड़े बीईएसटी कामगार सेना के दबदबे में रही थी.
यह भी पढ़ें: शशि थरूर फिर अलग राह पर… नए बयान से राजनीति में मचाई हलचल
यह चुनाव उस वक्त हुआ, जब शिवसेना (यूबीटी) और मनसे के बीच आगामी स्थानीय निकाय चुनावों, खासकर बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) जैसे प्रभावशाली निकायों के लिए गठबंधन की अटकलें जोरों पर थीं. यह चुनाव दोनों पार्टियों के बीच एकता का राजनीतिक संदेश देने का भी मौका था. हालांकि इस चुनाव में दोनों पार्टियों के पैनल ने सभी 21 सीटें गंवा दीं.
शिवसेना (यूबीटी) से जुड़े बीईएसटी कामगार सेना के अध्यक्ष सुहास सामंत ने कहा कि हमारे सभी 21 उम्मीदवारों की हार चौंकाने वाली है. उन्होंने इस चुनाव में धनबल के इस्तेमाल का आरोप लगाया है. गौरतलब है कि इस चुनाव में कुल पांच पैनल मैदान में थे. उत्कर्ष के अलावा, बीजेपी का ‘सहकार समृद्धि’ पैनल, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना से जुड़ा एक अन्य यूनियन और शशांक राव का पैनल शामिल था. शशांक राव के पैनल ने सबसे ज्यादा 14 सीटें हासिल कीं.
यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र में महायुति के सामने कितनी बड़ी चुनौती पेश करेंगे ठाकरे बंधु?
यह चुनाव ऐसे समय में हुआ है जब दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की अटकलें तेज हैं. आगामी महाराष्ट्र निकाय चुनावों को लेकर दोनों का गठबंधन तय हो गया है. हालांकि अंतरिम बातचीत अभी शेष है लेकिन पुराने लोगों में इस पार्टी और गठबंधन को लेकर उत्साह है. फिर भी यह चुनाव ठाकरे ब्रदर्स के लिए एक प्रेक्टिस मैच की तरह था जो अपनी तैयारी को टेस्ट करने के लिए रखा जाता है, जो दोनों को हार का सामना करना पड़ा. अब देखना होगा कि ठाकरे ब्रदर्स आगामी निकाय चुनावों को लेकर दोनों पुरजोर से किस तरह से सत्ता पर काबिज महायुति सरकार को मिलकर टक्कर दे पाते हैं.



























