कांग्रेस सांसद शशि थरूर और पार्टी के उलझे रिश्तों के बीच एक बार फिर उनकी बेबाकी चर्चा का विषय बन गई है. थरूर ने संसद में एनडीए सरकार द्वारा पेश किए गए 130वें संविधान संशोधन विधेयक 2025 का समर्थन कर सभी को चौंका दिया. जहां विपक्षी दल इस विधेयक का कड़ा विरोध कर रहे हैं और चर्चा तक को लेकर उदासीन दिखे, वहीं थरूर ने इसे “सामान्य ज्ञान” बताते हुए कहा ‘अगर कोई मंत्री 30 दिन जेल में रहे तो क्या वह पद पर बना रह सकता है? मुझे इसमें कुछ भी गलत नहीं लगता.’
थरूर ने न केवल बिल की मंशा का समर्थन किया, बल्कि इसे संयुक्त समिति के पास भेजने के निर्णय को भी सराहा. उनके अनुसार, समिति के भीतर गहन चर्चा लोकतंत्र के लिए फायदेमंद होगी. विपक्ष की ओर से जहां कांग्रेस सांसदों ने सदन में विधेयक की प्रतियाँ तक फाड़ दीं, वहीं थरूर का यह रुख सत्तापक्ष के लिए राहत और अपनी पार्टी के लिए असहजता लेकर आया है.
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दरअसल, बिल में प्रावधान है कि यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्री या केंद्रीय मंत्री किसी गंभीर आपराधिक आरोप में गिरफ्तार होकर लगातार 30 दिन तक न्यायिक हिरासत में रहते हैं, तो उन्हें 31वें दिन पद से इस्तीफा देना होगा या बर्खास्त कर दिया जाएगा.
थरूर का यह बयान ऐसे समय आया है जब हाल ही में उन्होंने पार्टी लाइन से हटकर कई बार अपनी राय रखी है. अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला पर संसद में चर्चा से दूरी बनाने के लिए भी उन्होंने कांग्रेस पर सवाल उठाए थे. इतना ही नहीं, केंद्र सरकार ने उन्हें पार्टी की मर्जी के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से जुड़े प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया था, जिसके बाद से उनके कांग्रेस नेतृत्व से रिश्ते और बिगड़ते नज़र आ रहे हैं.
अब देखना यह होगा कि ज्वलंत मुद्दे पर एनडीए का समर्थन करने के बाद कांग्रेस नेतृत्व शशि थरूर के खिलाफ किस तरह की प्रतिक्रिया देता है.



























